नर्स और नर्सिंग स्टूडेंट्स को दिये तनाव प्रबंधन के टिप्स
लखनऊ। ‘मैम मुझे यह चिंता बनी रहती है कि नर्सिंग का कोर्स करने के बाद मुझे सरकारी अस्पताल में नौकरी मिलेगी या नहीं…’
‘मैडम मैं पढ़ने बैठता हूं तो मुझे नींद आने लगती है लेकिन जब लेटो तो नींद नहीं आती है, इसी सब चक्कर में समय निकल जाता है फिर काम पर जाने का समय हो जाता है, समझ में नहीं आता कि पढ़ाई कब करूं…’
‘मैं नर्स हूं, मेरी दिक्कत यह है कि मेरे जब पेट में दर्द होता है तो मैं सोचती हूं कि मुझे अल्सर तो नहीं हुआ है? या मुझे कैंसर तो नहीं हुआ है?’
मेरी दिक्कत यह है कि मैं एक बात को लेकर लगातार सोचती रहती हूं… ‘मैं शादीशुदा हूं और एक अस्पताल में नर्स हूं मैं अपनी नौकरी और घर के कामों के साथ किस तरह सामंजस्य बैठाऊं…’
‘ मैं एक नर्सिंग स्टूडेंट हूं, मुझे जब तनाव होता है तो मुझे लगता है कि मैं स्पीड में गाड़ी चलाकर टकरा दूं, या दुनिया से दूर कहीं पहाड़ पर शांति में चला जाऊं’
ये वे प्रश्न हैं जो नर्स और नर्सिंग की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों ने गोमती नगर स्थित पर्यटन भवन के प्रेक्षागृह में आज होप (हेल्थ ओरिएन्टेड प्रोग्राम्स एंड एजूकेशन) इनेशियेटिव के तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में पूछे। इन प्रशनों का उत्तर गुड़गांव के फोर्टिस अस्पताल की कन्सल्टेंट क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट कृतिका सक्सेना और होप के संस्थापक डॉ जी चौधरी ने देते हुए कई महत्वपूर्ण जानकारियां दीं। कृतिका ने कहा कि आप शादीशुदा हों या फिर कुंआरे, हर व्यक्ति के बहुत से किरदार होते हैं, जैसे एक ही व्यक्ति कहीं पिता होता है तो कहीं पति होता है तो कही कर्मचारी होता है, तो कहीं छात्र होता है आदि-आदि। इसलिए हर तरह की जिम्मेदारी निभाने के लिए अपने समय को बांटें। उन्होंने कहा कि नींद पूरी लें लेकिन उसके लिए भी एक समय निर्धारित कर लें, यानी ऐसा न करें कि कभी किसी समय तो कभी किसी समय सोना या जगना करें। क्योंकि बॉडी की एक साइकिल होती है उसके अनुसार अगर कार्य नहीं होता है तो नुकसान होता है। इसी तरह अपने खाने का ध्यान रखें, इसके अतिरिक्त अपनी दिनचर्या में ध्यान और व्यायाम को जरूर समय दें। डॉ चौधरी ने कहा कि अगर आप अपने वर्कप्लेस पर बस से जाते हैं तो बस में ही आप अपनी सीट पर बैठ कर ही आंखें बंद कर मेडीटेशन कर सकते हैं।
डॉ चौधरी ने उपस्थित लोंगों से कहा कि आपने नर्सिंग का व्यवसाय चुना है तो आपको हर हाल में अपने आपको दुरुस्त रखना होगा क्योंकि आपके साथ मरीज का स्वास्थ्य भी जुड़ा है, इसीलिए आपको बहुत सी चुनौतियों को स्वीकार करना होगा और अगर इन चुनौतियों को स्वीकार करने की हिम्मत आपमें नहीं है, या आप स्वीकार नहीं करना चाहते हैं तो बेहतर है कि आप नर्सिंग का करियर न चुनें।
कृतिका सक्सेना ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि अगर किसी के साथ ऐसा हादसा हो गया है जिससे वह परेशान है, तो बहुत से लोग उससे सहानुभूति जताने आते हैं, ऐसे में शुरुआत के समय तो सहानुभूति अच्छी है लेकिन बाद में हर समय उसके साथ सहानुभूति दिखाना उसको कमजोर कर सकता है। उन्होने कहा कि बहुत सी दिक्कतें मनोवैज्ञानिक के साथ काउंसलिंग से ठीक हो जाती हैं लेकिन अगर फिर भी ठीक न हों तो मनोचिकित्सक से मिलना ठीक रहता है क्योंकि हो सकता है उसे दवाओं की जरूरत हो। उन्होंने कहा कि फोर्टिस अस्पताल में 24 घंटे सातों दिन इस इसी तरह की दिक्कतों के समाधान के लिए टोल फ्री कॉल की सुविधा है जिसका नम्बर (प्लस 91) 8376804102 है। इस पर फोन करके अपनी समस्या बताकर परामर्श पा सकते हैं। कार्यक्रम के अंत में डॉ जी चौधरी ने कृतिका को स्मृति चिन्ह देकर स्म्मानित किया।
कृतिका ने एक टिप्स देते हुए बताया कि जब भी तनाव हावी होने लगे तो दो बार गहरी-गहरी सांस लेकर सोचें कि मुझे जिस बात पर तनाव हो रहा है वह बेकार है या जायज है, अगर बेकार है तो उसे दिमाग से निकालकर फेंक दें और अगर जायज है तो यह सोचें कि इसका समाधान आप क्यों नहीं कर पा रहे हैं देखें कि यह कैंसे हो सकता है और तनाव पैदा होन वाली बातों की जगह दूसरी बात सोचना शुरू कर दें।
यह भी पढ़ें : पढ़ाई में मन न लगना जैसी बड़ी समस्याओं का समाधान बहुत छोटा, मगर सटीक

Sehat Times | सेहत टाइम्स Health news and updates | Sehat Times