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पढ़ाई में मन न लगना जैसी बड़ी समस्‍याओं का समाधान बहुत छोटा, मगर सटीक

होप के मंच ने दिया पढ़ने वाले बच्‍चों को तनाव दूर करने का मंत्र

लखनऊ। अक्‍सर माता-पिता को शिकायत रहती है कि उनके बच्‍चे मन लगाकर पढ़ाई नहीं करते हैं, माता-पिता ही नहीं बच्‍चे स्‍वयं भी महसूस करते हैं कि उनका ध्‍यान पढ़ाई में नहीं लग पा रहा है। आपको जानकर यह आश्‍चर्य होगा कि इन बड़ी लगने वाली समस्‍याओं का हल बहुत साधारण और आपकी पहुंच में है बस जरूरत इसे अपनाने की है। इस तरह के छोटे-छोटे टिप्‍स आज गुरुवार को यहां होप (हेल्‍थ ओरिएन्‍टेड प्रोग्राम्‍स एंड एजूकेशन) इनेशियेटिव के तत्‍वावधान में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में बताये गुड़गांव स्थित फोर्टिस अस्‍पताल की कन्‍सल्‍टेंट क्‍लीनिकल साइकोलॉजिस्‍ट कृतिका सक्‍सेना ने।

 

गोमती नगर स्थित पर्यटन भवन के प्रेक्षागृह में आयोजित कार्यशाला में कई स्‍कूलों के बच्‍चों ने परीक्षा को लेकर होने वाले तनाव के बारे में अपने प्रश्‍न पूछे। कृतिका सक्‍सेना ने एकाग्रता हासिल करने के लिए टिप्‍स देते हुए कहा कि बच्‍चों को चाहिये कि एक आर्टिकल लें तथा उसमें एक जैसे अक्षर काटें, उदाहरण स्‍वरूप जैसे बच्‍चे तय करें कि इस आर्टिकल में जहां-जहा ए अक्षर आया है, उसे काटेंगे, तो ऐसा करें।

उन्‍होंने कहा कि कभी भी परीक्षा को लेकर इतना तनाव न पालें कि बस अब सिर्फ पढ़ाई ही करनी है, बाकी कुछ नहीं करना है। उन्‍होंने कहा कि जितना समय पढ़ाई में दें उतना ही समय दूसरे कामों, जिनमें मन लगता है, उसे दें, इस अवधि में जो भी रुचि का कार्य हो वह करें। एक महत्‍वपूर्ण जानकारी देते हुए कृतिका ने बताया कि विज्ञान में यह साबित हो चुका है कि मनुष्‍य कितना भी महत्‍वपूर्ण और रुचिकर कार्य कर रहा होता है लगातार उसकी एकाग्रता 40 से 50 मिनट तक ही रहती है, इसके बाद ध्‍यान इधर-उधर जाता ही है जैसे कोई अंगड़ाई लेता है, कोई टहलने लगता है, इसलिए इसे लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है। थोड़े समय बाद पढ़ाई में फि‍र से ध्‍यान लगा लेना चाहिये।

 

होप के संस्‍थापक डॉ जी चौधरी ने कार्यशाला की शुरुआत में कहा कि परीक्षा के समय तनाव होना एक आम बात है। उन्‍होंने बताया कि इसका अहसास उन्‍हें है क्‍योंकि मेडिकल की पढ़ाई के दौरान सर्वाधिक 60 से 70 परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है लेकिन अगर प्रबंधन सही ढंग से किया जाये तो तनाव को निश्चित रूप से समाप्‍त किया जा सकता है। उन्‍होंने बच्‍चों को बताया कि आपको परीक्षा का परिणाम सोचने की जरूरत नहीं है उसे ऊपरवाले पर छोड़ दो। उन्‍होंने सलाह दी कि पढ़ाई करते समय अपने मोबाइल फोन को अपने से दूर रख दें क्‍योंकि उस पर आने वाले मैसेज आपका ध्‍यान भटकाते हैं। उन्‍होंने कहा कि पढ़ाई के दौरान अगर मैसेज आता है तो उसे देखने में भले ही 30 सेकंड लगते हैं लेकिन पढ़ाई से ध्‍यान सिर्फ 30 सेकंड के लिए ही नहीं हटता है बल्कि वह 5 से 10 मिनट तक एकाग्रता भंग रहती है। उन्‍होंने कहा कि बच्‍चों को चाहिये कि वह खुद यह तय कर लें कि दो घंटे-छह घंटे तक मोबाइल अपने से अलग रखें और फि‍र एक बार मैसेज चेक कर लें।

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