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विभिन्न प्रकार के वायरस से होने वाले रोगों की शीघ्र और सटीक डायग्नोसिस के लिए कार्यशाला प्रारम्भ

-VRDL प्रयोगशाला, माइक्रोबायोलॉजी विभाग, SGPGIMS, लखनऊ में हो रही हैंड्स ऑन वर्कशॉप

सेहत टाइम्स

लखनऊ। वायरोलॉजी रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लेबोरेटरी (VRDL), माइक्रोबायोलॉजी विभाग, SGPGIMS, लखनऊ द्वारा “डायग्नोस्टिक वायरोलॉजी : फंडामेंटल लैबोरेटरी टेक्निक्स एंड प्रैक्टिसेस” विषय पर हैंड्स-ऑन राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन 24 से 28 फरवरी 2025 तक किया जा रहा है। इस कार्यशाला में पूरे देश से 20 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं, जिन्हें 10 राज्यों से चयनित किया गया है। प्रतिभागियों में वायरोलॉजिस्ट और अनुसंधान वैज्ञानिक शामिल हैं, जो कोविड-19, इन्फ्लूएंजा और वायरल हैमरेजिक फीवर जैसी वायरल बीमारियों के प्रकोप की स्थिति में डायग्नोस्टिक परीक्षण करने में जुटे हुए हैं।

VRDL प्रयोगशाला, माइक्रोबायोलॉजी विभाग, SGPGIMS, लखनऊ ने 1 अगस्त 2024 से कार्य करना प्रारंभ किया और तब से यह लखनऊ तथा आसपास के क्षेत्रों की बड़ी आबादी को सेवाएं प्रदान कर रही है। इस कार्यशाला का उद्घाटन प्रो. अमिता अग्रवाल (प्रमुख, क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी, SGPGIMS) द्वारा किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. अमिता जैन (डीन, KGMU और प्रमुख, माइक्रोबायोलॉजी, KGMU, लखनऊ) उपस्थित रहीं। इसके अतिरिक्त, डॉ. सी.पी. चतुर्वेदी (फैकल्टी इंचार्ज, रिसर्च सेल, SGPGIMS), प्रो. रुंगमेई एस.के. मराक (आयोजन अध्यक्ष एवं प्रमुख, माइक्रोबायोलॉजी, SGPGIMS), डॉ. अतुल गर्ग (आयोजन सचिव, माइक्रोबायोलॉजी विभाग, SGPGIMS) एवं डॉ. चिन्मय साहू (सह-आयोजन सचिव, माइक्रोबायोलॉजी विभाग, SGPGIMS) ने भी इस अवसर पर उपस्थिति दर्ज कराई।

कार्यशाला के प्रथम दिन सीएमई (CME) का आयोजन किया गया, जिसमें प्रतिष्ठित माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स ने अपने व्याख्यान दिए। प्रो. अमिता जैन ने वायरल हैमरेजिक फीवर (VHF), इसके कारक एजेंट्स और समय पर निदान न होने की स्थिति में इसके वैश्विक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने VHF के विभिन्न डायग्नोस्टिक तरीकों पर भी प्रकाश डाला।

प्रो. ज्योत्सना अग्रवाल (कार्यकारी रजिस्ट्रार, RMLIMS एवं प्रमुख, माइक्रोबायोलॉजी, RMLIMS) ने उभरते हुए संक्रमणों जैसे मेटाप्नूमोवायरस, मंकीपॉक्स और “Disease X” के बारे में जानकारी दी और बताया कि यदि हम पहले से तैयार नहीं हुए तो इसका मानव जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। आईसीयू विशेषज्ञ प्रो. मोहन गुर्जर (CCM, SGPGIMS) ने आईसीयू रोगियों में साइटोमेगालोवायरस संक्रमण और इसके पुनः सक्रिय होने से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बताया। उन्होंने आईसीयू रोगियों के उपचार में सुधार लाने वाली विभिन्न तकनीकों पर भी चर्चा की।

डॉ. प्रेरणा कपूर (मेडिकल स्पेशलिस्ट, SGPGIMS) ने वायरल संक्रमणों के समग्र निदान दृष्टिकोण और उनके कारण होने वाली गंभीर बीमारियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने दो या अधिक बीमारियों के सह-अस्तित्व और मलेरिया एवं टाइफाइड जैसी आम बीमारियों की बदलती प्रस्तुति पर चर्चा की। इसके साथ ही, उन्होंने टीकाकरण से संबंधित नवीनतम जानकारियों को भी साझा किया।

प्रो. विमल के. पालीवाल (न्यूरोलॉजी विभाग, SGPGIMS) ने तीव्र वायरल एन्सेफलाइटिस के लक्षणों, निदान और प्रबंधन पर जानकारी दी। उन्होंने उत्तर प्रदेश में पाए गए एन्सेफलाइटिस के विभिन्न मामलों और इसके प्रकोपों पर चर्चा की। पांच दिवसीय इस शैक्षणिक आयोजन में प्रतिभागियों को सेल लाइन इनोकुलेशन और उसकी व्याख्या, न्यूक्लिक एसिड एक्सट्रैक्शन तकनीक, पारंपरिक एवं मल्टीप्लेक्स पीसीआर विधियां, CMV और BK वायरस का परीक्षण एवं मात्रात्मक विश्लेषण, और BioFire एवं QIAstat स्वचालित प्रणाली द्वारा सिंड्रोमिक पैनल परीक्षण की व्यावहारिक ट्रेनिंग दी जाएगी। यह प्रशिक्षण प्रतिभागियों को डायग्नोस्टिक वायरोलॉजी में गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा।

कार्यशाला के लिए प्रतिभागियों का चयन उन संस्थानों से किया गया है जो ICMR, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित वायरोलॉजी रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैबोरेटरी नेटवर्क का हिस्सा हैं और जहां यह वायरोलॉजिकल परीक्षण करने की आवश्यक सुविधाएं एवं बुनियादी ढांचा मौजूद है। इस कार्यशाला को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसमें सैद्धांतिक ज्ञान और व्यावहारिक विशेषज्ञता दोनों प्रदान किए जाएं, ताकि प्रतिभागी अपने संस्थानों में इन तकनीकों को आत्मविश्वास के साथ लागू कर सकें।

संस्थान की ओर से कहा गया है कि यह राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण कार्यक्रम SGPGIMS की चिकित्सा अनुसंधान और डायग्नोस्टिक क्षमताओं को बढ़ाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह कार्यशाला कौशल विकास, ज्ञान-विनिमय और क्लिनिकल वायरोलॉजी में विशेषज्ञों व प्रशिक्षुओं के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण मंच साबित होगी।

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