-डर, सपने, गुस्सा, उदासी, भ्रम जैसे कारणों का सटीक उपचार है होम्योपैथी में
-अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च ) पर डॉ गिरीश गुप्ता से विशेष बातचीत
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। हमारे व्यवहार में बहुत से ऐसे बदलाव होते हैं, जिनके कारण हम असहज होते हैं लेकिन उसके निवारण को लेकर गंभीर नहीं होते हैं, कह सकते हैं कि इन बदलावों के कारण होने वाली परेशानियों को नजरअंदाज करते रहते हैं, महिलाओं में भी मन:स्थितियों को लेकर अनेक प्रकार के हार्मोन्स का स्राव होता है जो कि कई प्रकार की बीमारियों को जन्म देता है। राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च (GCCHR) की रिसर्च में यह साबित हुआ है कि महिलाओं में होने वाले अनेक गंभीर रोग, उनके अंदर की सोच जैसे डरना, विभिन्न प्रकार के सपने देखना, मानसिक आघात होना, इच्छायें पूरी न होने आदि से उत्पन्न हुए थे।
यह बात गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च के संस्थापक व वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ गिरीश गुप्ता ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ‘सेहत टाइम्स’ के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कही। ज्ञात हो डॉ गिरीश गुप्ता ने अपनी किताब एवीडेंस बेस्ड रिसर्च ऑफ होम्योपैथी इन गाइनीकोलॉजी (Evidence-based Research of Homoeopathy in Gynaecology) में महिलाओं में होने वाले ऐसे रोगों के होम्योपैथिक से सफल इलाज के बारे में सबूत सहित विवरण लिखा है।
डॉ गुप्ता ने बताया कि पुस्तक में महिलाओं में होने वाले रोग यूटराइन फायब्रॉयड, ओवेरियन सिस्ट, पॉलिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम, ब्रेस्ट लीजन्स, नाबोथियन सिस्ट, सर्वाइकल पॉलिप के रोगियों पर की गयी स्टडी के परिणाम के बारे में बताया गया है, वहीं इन रोगों से ठीक हुए रोगियो में से कुछ मॉडल केस के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी है। रोग से पहले, उपचार के दौरान व उपचार के बाद की स्थिति का परीक्षण करने के लिए वैज्ञानिक तरीके से अल्ट्रासाउन्ड जैसी जांचें करायी गयीं जांचों को आधार मानते हुए की गयी रिसर्च के पेपर्स अनेक राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्स में छप चुके हैं। आपको बता दें कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति एलोपैथी में इन रोगों का इलाज सर्जरी ही है।
डॉ गुप्ता ने बताया कि स्टडी में पाया गया कि जिन महिलाओं को ये बीमारियां हुई थीं, उनमें रोग के कारणों के पीछे उनकी मानसिक स्थिति की बड़ी भूमिका रही। इनमें तरह-तरह के सपने आना, उदासी, अकेले रहना, जीवन में हुई कोई घटना का असर होना, गुस्सा ज्यादा आना, चिड़चिड़ापन, लोगों द्वारा कही गयीं बातों को अपने दिल पर लेकर उनके बारे में सोचना, रोने की इच्छा होना, भ्रम होना जैसे अनेक कारण पाये गये। सामान्यत: व्यक्ति इन कारणों को बड़ी बीमारी की वजह नहीं मानता है, लेकिन होम्योपैथिक इलाज में शरीर और मानसिक सोच को एक मानते हुए रोगी की पसंद, नापसंद सहित उसे महसूस होने वाली अनेक बातों को जानकर उसकी पूरी हिस्ट्री ली जाती है। इस प्रकार रोगी के डीएनए के हिसाब से उसका उपचार करने के लिए होम्योपैथिक दवा का चुनाव किया जाता है, इसीलिए असाध्य मानी जाने वाली बीमारियां भी जड़ से समाप्त हो जाती हैं।