Sunday , November 24 2024

जी हां, एक्‍सपायरी डेट के अंदर भी दवा हो जाती है एक्‍सपायर

फार्मासिस्‍ट ही दे सकता है दवा खाने और रखरखाव की बेहतर जानकारी

फार्मासिस्‍ट दिवस पर बलरामपुर अस्‍पताल में आयोजित की गयी संगोष्‍ठी

 

लखनऊ। क्या आप जानते हैं कि किस दवा को कब लेना है, कब नहीं लेना है, कौन सी दवा किस दवा और किस भोजन के साथ लेनी है या नही लेनी है, कोई भी औषधि बिना एक्सपायरी डेट के भी खराब हो सकती है। दवा की अधिक या कम दोनो मात्रा जीवन के लिए खतरनाक है .. औषधि ना मिलने से जितनी मौतें हो रही हैं उससे कई गुना मौत दवा के दुरुपयोग से होती हैं। इसलिये जनता को औषधि लेने के पूर्व फार्मेसिस्ट से सलाह लेनी आवश्यक है क्योंकि औषधि का विशेषज्ञ केवल फार्मेसिस्ट होता है।

 

ये बातें आज फार्मेसिस्ट दिवस के अवसर पर बलरामपुर फार्मेसिस्ट कार्यालय में आयोजित संगोष्ठी में बोलते हुए फार्मेसी कॉउंसिल के पूर्व चेयरमैन और राजकीय फार्मेसिस्ट महासंघ के अध्यक्ष सुनील यादव ने कही। गोष्ठी को संबोधित करते हुए डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन के संस्थापक सदस्य एस के यादव ने कहा कि फार्मेसिस्ट को समय के अनुसार अपने को अपडेट करने की भी जरूरत है। एक प्रश्‍न के उत्‍तर में सुनील यादव ने बताया कि कुछ ऐसी दवाएं होती हैं जो एक्‍सपायरी डेट के अंदर भी खराब हो जाती हैं, इन दवाओं में बच्‍चों के पीने वाले सिरप, आंख में डालने वाली दवा आदि शामिल हैं। इन दवाओं को खोले जाने के एक माह तक ही इस्‍तेमाल करना चाहिये। फार्मासिस्‍ट का कर्तव्‍य है कि इस बारे में लोगों को न सिर्फ बताये बल्कि दवा देते समय ही उस पर निशान लगाना चाहिये। इसी प्रकार कुछ लिक्विड दवाएं ऐसी होती हैं जिन्‍हें सस्‍पेंशन कहा जाता है, इन दवाओं को खाते समय यह ध्‍यान रखना चाहिये कि खाने से पहले शीशी को अच्‍छी तरह हिला लें, क्‍योंकि इनमें जो दवाएं मिली होती हैं वह अच्‍छी तरह मिक्‍स हो जायें। इसके अतिरिक्‍त दवाओं का रखरखाव, ट्रांसपोर्टेशन, तापमान, धूप से बचाव जैसी बातों का ध्‍यान रखना बहुत आवश्‍यक है।

बैठक को संबोधित करते हुए डीपीए जनपद शाखा के अध्यक्ष जेपी नायक, संगठन मंत्री आर टी मिश्र  ने जनपद के फार्मेसिस्टों को एकजुट रहकर जनता की सेवा मे लगे रहना है, राजकीय फार्मेसिस्ट महासंघ के महामंत्री अशोक कुमार, होमियोपैथ फार्मेसिस्ट संघ के महामंत्री राजेश श्रीवास्तव , फार्मेसी कौंसिल के सदस्य अनिल प्रताप सिंह , डीपीए के सचिव सुभाष श्रीवास्तव, प्रह्लाद कन्नौजिया, अजय पांडेय , ओ पी सिंह, दिलीप तिवारी, वी पी सिंह, सुशील तिवारी, शरद दीक्षित, आरती , नेहा आदि ने भी गोष्ठी को संबोधित किया ।

वास्तव में फार्मेसिस्ट औषधियों का विशेषज्ञ होता है , जिसे आम जनता के संज्ञान में लाना अति आवश्यक है , इसलिए अंतरराष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल फेडरेशन ने इस वर्ष विश्व फार्मेसिस्ट दिवस की थीम “Pharmacist: your medicine expert ” निर्धारित की है। इस गोष्ठी में चर्चा हुई कि भारत में लगभग कुल 11 लाख डिप्लोमा, बैचलर, मास्टर, पीएचडी फार्मेसी के साथ डी फार्मा की शिक्षा प्राप्त फार्मेसिस्ट हैं । लेकिन उनकी शिक्षा का उचित उपयोग नहीं हो पा रहा है। फार्मेसी चिकित्सा व्यवस्था की रीढ़ होती है, औषधि की खोज से लेकर, निर्माण, भंडारित करने वितरित करने की पूरी व्यवस्था एक तकनीकी व्यवस्था है, जो फार्मेसिस्ट द्वारा ही की जाती है। चिकित्सालयों में अभी तक भर्ती मरीजों के लिए व्यावहारिक रूप से फार्मेसिस्ट के पद सृजित नही हो रहे।

 

ओपीडी में भी मानकों का पालन नहीं हो रहा है। फार्मास्यूटिकल लैब नाम मात्र के हैं, औषधियों के निर्माणशालाओं में भी फार्मेसी प्रोफेशनल के स्थान पर अप्रशिक्षित लोगो से काम लिया जाता है। ड्रग की रेगुलेटरी बॉडी बहुत कमजोर है, मानव संसाधन कम हैं। जिसे मजबूत करने की आवश्यकता है ।  ‘फार्मेसी’ लोगो के जिंदगी से जुड़ी है, इसलिए इसे मजबूत किया जाना आवश्यक है।

 

 

फार्मेसिस्टों को क्रूड ड्रग का अध्ययन भी कराया जाता है, शरीर क्रिया विज्ञान, फार्माकोलॉजी, विष विज्ञान, ड्रग स्टोर मैनेजमेंट, माइक्रोबायोलॉजी सहित फार्मास्युटिक्स, फार्मक्यूटिकल केमिस्ट्री सहित विभिन्न विषयों का विस्तृत अध्ययन फार्मेसिस्ट को कराया जाता है। औषधि की खोज से लेकर, उसके निर्माण, भंडारण, प्रयोग, कुप्रभाव, दवा को ग्रहण करने, उसके पाचन, प्रभाव और उत्सर्जन (ADME) की पूरी जानकारी केवल फार्मेसिस्ट को होती है , इसलिए औषधियों के विशेषज्ञ के रूप में आज फार्मेसिस्ट, जनता को सेवा दे रहा है ।

 

आम जनता को औषधि की जानकारी फार्मेसिस्ट से ही लेनी चाहिए । जनता को पारिवारिक चिकित्सक की तरह पारिवारिक फार्मेसिस्ट भी रखना चाहिए जिसके पास आपकी पूरी जानकारी होगी। संगोष्‍ठी में कहा गया कि प्रदेश के उप केंद्रों और अस्पताल के वार्डो में फार्मेसिस्ट की नियुक्ति की जानी चाहिए ।