-हाईपरटेंशन पर शुरू हुई सीएमई में विशेषज्ञों ने दीं महत्वपूर्ण जानकारियां
सेहत टाइम्स
लखनऊ। यदि आपको सुबह बिस्तर से उठने पर सिर में पीछे नीचे दर्द का अहसास हो तो, तुरंत ब्लड प्रेशर की जांच कराईये, क्योंकि बीपी साइलेंट किलर है इसके और कोई लक्षण प्रतीत नही होते हैं, इसीलिए व्यक्ति अपनी दिनचर्या में व्यस्त रहता है, उसे पता ही नही चलता है कि वह हाई बीपी से ग्रस्त है। बाद में यही अनियंत्रित बीपी हार्ट अटैक व ब्रेन हैम्ब्रेज का कारण बनता है।
यह जानकारी शुक्रवार 9 सितम्बर को यहां साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में बीपीकॉन-2022 के पहले दिन अजमेर से आये डॉ.आर के गोखरू ने दी। इंडियन सोसाइटी ऑफ हाइपरटेंशन के तत्वावधान में हाईपरटेंशन एंड कॉमोर्बिडिटीज थीम पर आधारित अंतराष्ट्रीय कार्यशाला में जेएलएन मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राधानाचार्य एंव कार्यशाला के विशिष्ट अतिथि डॉ. आर के खोखरू ने बताया कि बीपी के संबन्ध में जागरूकता तो है लोगों में मगर तत्काल दुष्प्रभाव या लक्षण न दिखने पर लोग लापरवाह रहते हैं, जिसकी वजह से लोग लंबे समय तक हाई बीपी के साथ जीवन व्यतीत करते रहते हैं।
उन्होंने बताया कि कभी-कभी अचानक ज्यादा ब्लड प्रेशर बढ़ने पर स्ट्रोक या अटैक का खतरा बना रहता है। उन्होंने बताया कि बीपी सुबह के समय बढ़ता है, दोपहर में थोड़ा कम और रात को और कम हो जाता है। यह सामान्य चक्र है। हाई बीपी के कुल मरीजों में 10 प्रतिशत मरीजों में रात को भी बीपी बढ़ा रहता है। इन्हें नॉनडीपर्स या राइजर बोला जाता है, इनमें हार्ट अटैक, लकवा व किडनी खराब होने की संभावना अधिक होती है, इसलिए बीपी ग्रस्त लोगों को सुबह खाली पेट बीपी की दवा अवश्य लेना चाहिये, बिना चिकित्सक की सलाह के दवा बीच में छोड़नी भी नहीं चाहिये।
वजन में एक किलोग्राम की कमी से होता है एक मिमी बीपी कम
केजीएमयू के प्रोफेसर डॉ.नरसिंह वर्मा ने बताया कि अपने वजन में एक किलोग्राम की कमी उतना ही मिमी रक्तचाप कम कर देती है। इसके अलावा नमक का सेवन अत्यंत कम कर देना चाहिये, सामान्यत: व्यक्ति 8 से 10 ग्राम नमक सेवन करता है, इसे कम करके मात्र 2 से 4 ग्राम तक सीमित करना चाहिये, जिससे रक्तचाप नियंत्रित रहेगा।
डॉ. अरविंद जगदीशा ने बताया कि अन्य बीमारी के लिए अस्पताल पहुंचने पर मापने पर मरीजों को ज्ञात होता है कि उसका बीपी बढ़ा है, शुरुआत में लोग मानने को तैयार नहीं होते हैं मगर वे लंबे समय से हाई बीपी के साथ जीवन व्यतीत कर रहे होते हैं। बैंगलूर के डॉ.श्रीनिवासा ने बताया कि बीपी को नियंत्रित रखना है तो फलों में केला, नारियल पानी व संतरा, मुसम्मी आदि खट्टे फलों को दैनिक आहार में शामिल करना चाहिये।
महिलाओं को रखनी चाहिये विशेष सावधानी
मेरठ की डॉ.स्नेहलता ने बताया कि महिलाओं, चाहे वर्किंग वूमेन हों या हाऊस वाइफ, को तनाव बहुत रहता है मगर उसे व्यक्त नहीं करती हैं। उन्हें भी अपना बीपी नपवाते रहना चाहिये। गोरखपुर के डॉ. सुधीर कुमार ने बताया कि प्रतिदिन 30 से 45 मिनट किसी भी प्रकार का शारीरिक श्रम रक्तचाप को नियंत्रित रखता है।
अध्यक्ष डॉ राजीव गुप्ता ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में भारत में उच्च रक्तचाप की स्थिति और इसे अधिक बेहतर नियंत्रित करने के उपायों पर चर्चा की।
जयपुर से आए डा0 अरविन्द गुप्ता ने रक्तचाप को नापने की सही विधि बताई तथा यह भी बताया कि स्वास्थ्यकर्मी एवं डाक्टर क्या गल्तियां करते हैं तथा उन्हें कैसे सुधारा जाए।
उच्च रक्तचाप से पक्षाघात का क्या संबंध हैं, इस पर सूरत से आए डॉ वीके अभिचन्दानी एवं डॉ शैलेन्द्र बाजपेई के साथ डा0 नरसिंह वर्मा ने चर्चा की तथा यह निष्कर्ष निकाला गया कि रक्तचाप को नियंत्रण में रखने से पक्षाघात को बहुत कम किया जा सकता है। पक्षाघात के मरीजों में रक्तचाप को बहुत तेजी से नीचे लाने के दुष्परिणामों पर भी विचार किया गया।
अपने घर पर रहते हुए रक्तचाप का मापन कैसे किया जाए, इस संबंध में नोएडा से आए डा0 अमित गुप्ता ने प्रकाश डाला तथा गुवाहाटी से आए डा0 दिनेश अग्रवाल ने चलते-फिरते रक्तचाप को नापने की नवीन विधियों को बताया। मधुमेह के मरीजों में कौन सी दवा रक्तचाप को अच्छी तरह नियंत्रित करती है।
खानपान में क्या रखें ध्यान
सुल्तानपुर से आए डॉ राजीव श्रीवास्तव ने उच्च रक्तचाप के मरीज अपने खान-पान में क्या ध्यान रखें यह बताया। उन्होंने बताया कि भोजन में फाइबर तथा जटिल कार्बोहाइर्डेट फल, सब्जी, सलाद, दही, दाल इत्यादि का सेवन अधिक किया जाए और शुगर, नमक, वसा तथा सरल कार्बोहाइर्डेट कम लिये जाएं।
बरेली से आए डॉ दीपक दास ने उच्च रक्तचाप के रोगियों में तनाव की भूमिका पर बात की तथा यह बताया कि तनाव वर्तमान में सबसे मुख्य कारक है। मुम्बई से आए देश के प्रख्यात चिकित्सक पद्मश्री डॉ शशांक जोशी ने डा0 सिद्धार्थ एन शाह मेमोरियल ओरिएशन प्रस्तुत किया। संस्था के निर्वतमान अध्यक्ष डा0 एसएन नरासिंगन ने विश्व स्तर पर प्रचलित उच्च रक्तचाप के नियंत्रण के लिए गाइडलाइंस को भारत में कैसे लागू किया जाए इस पर चर्चा की। कोलकाता से आए डा0 सुप्रतिक भट्टाचार्या ने थायरॉयड के रोगियों में उच्च रक्तचाप की समस्या के निवारण पर प्रकाश डाला।