-विश्व स्वास्थ्य दिवस (7 अप्रैल) के मौके पर आज की ज्वलंत समस्या पर डॉ सूर्यकान्त ने जतायी चिंता
-विश्व स्वास्थ्य दिवस की इस साल की थीम है- “मेरा स्वास्थ्य-मेरा अधिकार”

सेहत टाइम्स
लखनऊ। मोबाइल, लैपटॉप या टीवी की स्क्रीन से घंटों चिपके रहने का सीधा असर आज हमारे स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। घंटों बैठे हुए स्क्रीन पर समय देने के कारण लोगों को मोटापा भी घेर रहा है, जिससे अन्य बीमारियाँ भी तेजी से पाँव पसार रही हैं। सोशल मीडिया और स्क्रीन टाइम में अगर समय रहते सुधार नहीं लाया गया तो स्थिति विस्फोटक हो सकती है। आज रात के 12 बजे तक लोग जागते हैं और सुबह आठ बजे के बाद सोकर उठते है। खाने-पीने का कोई समय तय नहीं है। शारीरिक श्रम, घूमना, टहलना, पैदल चलना लोग भूल चुके हैं। पैकेट बंद खाने से मोटापा एवं गैस की समस्या बढ़ रही है।
उपरोक्त विचार प्रकट करते हुए केजीएमयू के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए घर का बना साफ एवं ताजा भोजन ही करना चाहिए। इसमें मौसमी फल एवं सब्जियों को जरूर शामिल किया जाना चाहिए। प्रतिदिन कुछ न कुछ शारीरिक श्रम जरूर करें। आज छोटा बच्चा हो या बुजुर्ग सभी में स्ट्रेस (तनाव) बढ़ रहा है, जिसे कम करने की जरूरत है। इसी को ध्यान में रखते हुए “विश्व स्वास्थ्य संगठन“ हर साल सात अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाता है। बेहतर स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम है- ’’मेरा स्वास्थ्य-मेरा अधिकार’।
डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया की 10 प्रमुख बीमारियां हैं – हृदय रोग, स्ट्रोक, क्रोनिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, लोअर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन, नियोनेटल कंडीशन, ट्रेकिया, ब्रोंकस लंग कैंसर, एल्जाइमर एण्ड डिमेंशिया, डायरिया, डायबिटीज और किडनी डिजीज। वैश्विक स्तर पर वर्ष 2019 में मौतों के 10 प्रमुख कारणों में से सात गैर-संचारी रोग थे। यह सात कारण सभी मौतों के 44 प्रतिशत या शीर्ष 10 में से 80 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार थे। भारत में लगभग 10 करोड़ हायपरटेंशन व हृदय रोग, सांस के रोगी नौ करोड़, सात करोड़ डायबिजीज, प्रतिवर्ष सात लाख रोगी कैंसर के हैं। विश्व का टीबी का हर चौथा मरीज भारतीय है। आंकड़ों के अनुसार भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा मानसिक रोगी रहते हैं, भारत में हर तीन में से एक व्यक्ति मानसिक रोगी होता है। 18 प्रतिशत आत्महत्या करने वाले लोगों का पूर्व में आत्महत्या करने का असफल प्रयास रहा है। डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि अधिकाधिक वृक्षारोपण, धूम्रपान, तंबाकू, नशीले पदार्थो के सेवन की लत से दूर रहना, सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग करना एवं परिवहन के लिए पर्यावरण के अनुकूल ईंधन का उपयोग करना, पैदल चलना और साइकिल चलाना, भोजन बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन का उपयोग करना, प्लास्टिक का उपयोग न करना, स्वस्थ जीवन शैली, पारंपरिक भोजन, योग और व्यायाम स्वस्थ रहने के मूल मंत्र हैं।

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