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बच्‍चों को बोरवेल में गिरने से बचाने के लिए क्‍या कदम उठाये ?

-उत्‍तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग ने मुख्‍य सचिव से मांगा जवाब  

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। खुले बोरवेल में गिर कर बच्चों की हो रही दुखद मृत्यु को रोकने के लिए पिछले दो वर्षों से काम कर रही सर्वेभ्यो फाउंडेशन को एक बड़ी सफलता हासिल हुई है। फाउंडेशन की याचिका पर उत्‍तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग ने चीफ सेक्रेटरी उत्तर प्रदेश को आदेश दिया है कि छोटे बच्चों को खुले बोरवेल से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के 2010 के आर्डर की गाइडलाइन्स के पालन में क्या कदम उठाए गए, इसकी जानकारी 6 हफ्ते में उपलब्‍ध करायें।

इस बारे में जानकारी देते हुए सर्वेभ्‍यो फाउंडेशन के निदेशक आलोक सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग के ऑनरेबल चेयरपर्सन ने 27 अक्टूबर 2021 को जारी अपने आदेश में बोरवेल में गिरने से बचाने के उपायों की जानकारी देने के साथ ही कहा है कि एनडीआरएफ/एसडीआरएफ की टीम को बुंदलेखंड और अन्य मंडलों में स्‍थायी रूप से उपलब्‍ध रहने के लिए आदेश दिया है जिससे कि लखनऊ लखनऊ से टीम भेजने का रिस्पांस टाइम जो 12 घंटे, 24 घंटे है वो घट जाए और जल्द से जल्द लोगों तो बचाया जा सके।

आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार को इन्क्वायरी गठित कर लापरवाही के ऑफिसर्स की जिम्मेदार तय कर उन पर आपराधिक करवाई करने का आदेश दिया है।

आलोक सिंह ने बताया कि खुले बोरेवेल बंद करवाने की मुहिम लगातार जारी है। इसी क्रम में फॉउंडेशन ने उत्तर प्रदेश मानवधिकार आयोग के समक्ष पिटीशन की थी कि वो सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन्स इम्पलीमेंट न करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार पर एक्शन ले। इसके बाद आयोग ने महोबा के जिलाधिकारी से सर्वेभ्यो फाउंडेशन द्वारा पूछे गए बिन्दुयों पर रिपोर्ट तलब की थी, जो आ गयी है। 24 अगस्त को चेयर पर्सन ऑनरेबल जस्टिस बालकृष्ण नारायण ने बहुत ही संवेदनशील तरीके से सुनवाई की और अपना प्रतिउत्‍तर रखने के लिए 7 सितम्‍बर तक का समय दिया था, जिसके बाद आलोक सिंह ने जवाब दाखिल करते हुए चेयरपर्सन के समक्ष उपस्थित होकर अपनी दलील रखी।

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