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कुछ सेकंड्स का हाथ धोना भी बचा सकता है जीवन

-एसजीपीजीआई ने विश्व हाथ स्वच्छता दिवस और माइक्रोबायोलॉजी विभाग की 37वीं स्थापना दिवस पर किया सीएमई का आयोजन

सेहत टाइम्स 

लखनऊ। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआईएमएस), लखनऊ द्वारा विश्व हाथ स्वच्छता दिवस 2025 और माइक्रोबायोलॉजी विभाग की 37वीं स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में “हैंड हाइजीन और हेल्थकेयर-एसोसिएटेड इन्फेक्शन (HAIs) की रोकथाम में ऑटोमेटेड सिंड्रोमिक पैनल का उपयोग” विषय पर एक सतत चिकित्सा शिक्षा (CME) कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस समारोह के मुख्य अतिथि संस्थान के निदेशक पद्मश्री प्रो. आर.के. धीमन थे। साथ ही प्रो. शालीन कुमार (डीन, एसजीपीजीआईएमएस), प्रो. प्रशांत अग्रवाल (मेडिकल सुपरिंटेंडेंट, एसजीपीजीआईएमएस), प्रो. रुंगमेई एस.के. मारक (विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी, एसजीपीजीआईएमएस), प्रो. सुमित राय (विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी, एम्स मंगळगिरि), डॉ. अमरेश कुमार सिंह (विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी, बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर) और डॉ. विनीता खरे (विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी, एरा मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल) भी प्रतिष्ठित अतिथि व वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।

“हैंड हाइजीन और ऑटोमेटेड सिंड्रोमिक पैनल द्वारा एचएआई की रोकथाम” विषय पर आयोजित सीएमई कार्यक्रम में इस वर्ष की थीम “चाहे दस्ताने हों, हाथों की स्वच्छता जरूरी है” को प्रमुखता दी गई।

प्रो. आर.के. धीमन ने सभा को संबोधित करते हुए हाथ स्वच्छता के महत्व को रेखांकित किया और यह बताया कि किसी भी नैदानिक प्रक्रिया के दौरान दस्तानों की बजाय हाथ धोने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। प्रो. शालीन कुमार ने छात्रों को विभिन्न नैदानिक अभ्यासों में हाथ स्वच्छता के महत्व और इससे एचएआई दर में कमी लाने के तरीकों के बारे में अवगत कराया।

प्रो. रुंगमेई एस.के. मारक ने छात्रों को “हैंड हाइजीन के 5 क्षण” को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया और नर्सिंग छात्रों द्वारा प्रस्तुत पोस्टर प्रतियोगिता की रचनात्मकता की सराहना की। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि हाथों की स्वच्छता को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।

प्रो. प्रशांत अग्रवाल ने हाथ धोने की विधि और उसमें प्रयुक्त पदार्थों के नियमित व अनुकूलित उपयोग पर जोर दिया और बताया कि इससे केवल मरीजों या उनके परिचारकों में ही नहीं, बल्कि चिकित्सकों में भी संक्रमण की दर कम की जा सकती है।

प्रो. सुमित राय ने गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए MIC आधारित उपचार के महत्व पर प्रकाश डाला।

डॉ. विनीता खरे ने हाथ स्वच्छता के अभ्यास और इसके लिए उपलब्ध सर्वोत्तम साधनों के बारे में जानकारी दी।डॉ. अमरेश कुमार सिंह ने शल्य चिकित्सा में हाथ धोने की प्रक्रिया की केंद्रीय भूमिका पर प्रकाश डाला।

पोस्टर प्रतियोगिता और स्किट प्रतियोगिता में 50 से अधिक नर्सिंग छात्र, एम.एससी. प्रशिक्षु, पीएचडी और एमडी छात्र शामिल हुए। डॉ. चिन्मय साहू और डॉ. अतुल गर्ग ने छात्रों को प्रोत्साहित किया कि वे सामुदायिक स्तर पर भी हाथ स्वच्छता के महत्व को प्रसारित करने के लिए अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करें।

स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर एलुमनाई मीट डिनर आयोजित किया गया जिसमें पूर्व रेजिडेंट्स, जो अब प्रतिष्ठित संस्थानों में उच्च पदों पर कार्यरत हैं, उपस्थित हुए।

एलुमनाई मीट में प्रो. के.एन. प्रसाद (विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी, अपोलो हॉस्पिटल) मुख्य अतिथि और प्रो. ज्योत्सना अग्रवाल (विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी, डॉ. आरएमएलआईएमएस, लखनऊ) विशिष्ट अतिथि थीं।

कार्यक्रम का समापन एक संकल्प के साथ हुआ कि सभी लोग हाथ स्वच्छता के महत्व के प्रति जागरूक होंगे और यह समझेंगे कि यह अस्पताल या समुदाय में होने वाले संक्रमणों को रोकने का सबसे सस्ता और प्रभावशाली तरीका है, जैसा कि हमने महामारी के समय में अनुभव किया था।

संस्थान के विभिन्न संकाय सदस्यों ने इस पहल में भाग लिया और प्रभावी हाथ स्वच्छता को अपनाने के लिए सभी से अनुरोध किया, यह याद दिलाते हुए कि कुछ सेकंड का हाथ धोना भी जीवन बचा सकता है।

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