-यूपी के एकमात्र केंद्र केजीएमयू स्थित एएमडीआरसी में सुविधा शुरू
-‘थेराप्यूटिक ड्रग मॉनिटरिंग ऑफ एंटीफंगल’ विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न
सेहत टाइम्स
लखनऊ। फंगस के इलाज में दी जाने वाली दवा का उचित मात्रा में मरीज के शरीर में पहुंचना आवश्यक है, क्योंकि यदि दवा आवश्यकता से ज्यादा पहुंच रही है तो नुकसानदायक है यहां तक की कभी-कभी जान जाने का भी खतरा होता है, और अगर कम मात्रा में पहुंच रही है तो फंगस ठीक होने में बाधा पहुंचती है, ऐसे में इसकी निगरानी करने के लिए अल्ट्रा हाई परफॉरमेंस लिक्विड क्रोमेटोग्राफी Ultra high performance liquid chromatography की सुविधा किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के एडवांस्ड माइकोलॉजी डायग्नोस्टिक रिसर्च सेंटर (एएमडीआरसी) में शुरू की गयी है। यह सेंटर उत्तर प्रदेश में अकेला है, इसकी स्थापना आईसीएमआर द्वारा की गयी थी, तथा अब अल्ट्रा हाई परफॉरमेंस लिक्विड क्रोमेटोग्राफी के लिए मशीन भी आईसीएमआर द्वारा ही उपलब्ध करायी गयी है।
एएमडीआरसी, केजीएमयू, लखनऊ द्वारा थेराप्यूटिक ड्रग मॉनिटरिंग ऑफ एंटीफंगल विषय पर 18 एवं 19 जुलाई को एक कार्यशाला आयोजित की गई। इस बारे में इस सेंटर के संकाय प्रभारी प्रो प्रशांत गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि विभिन्न प्रकार के फंगल संक्रमण वाले रोगियों के इलाज में एंटीफंगल प्रमुख भूमिका निभाते हैं। ऐसे में चिकित्सीय दवा की निगरानी फंगल संक्रमण के खिलाफ पर्याप्त मात्रा में दवा पहुंचना सुनिश्चित करने में मदद करती है। इससे चिकित्सकों को मरीजों को ठीक से और समय पर दवाएं देकर उनका इलाज और प्रबंधन करने में मदद मिलती है। इस प्रंबधन में कमी से कभी-कभी मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। इस प्रणाली के तहत खून की जांच में यह सुनिश्चित होता है कि दवा की कितनी मात्रा खून में पहुंची है।
उन्होंने बताया कि इस परीक्षण को संचालित करने के लिए आईसीएमआर द्वारा एएमडीआरसी की स्थापना की गई, जिसने एचपीएलसी प्रणाली खरीदने के लिए धन उपलब्ध कराया। उन्होंने बताया कि एचपीएलसी प्रणाली से चिकित्सीय दवा निगरानी का परीक्षण शुरू किया गया है। उत्तर प्रदेश में यह पहली और एकमात्र ऐसी सुविधा है जिसमें यह व्यवस्था है।
प्रो प्रशांत ने बताया कि जागरूकता बढ़ाने और उत्तर प्रदेश में अन्य संस्थानों को प्रोत्साहित करने के लिए यह व्यावहारिक कार्यशाला 18 और 19 जुलाई को एएमडीआरसी, केजीएमयू में आयोजित की गई। इसमें डॉ.आरएमएल इंस्टीट्यूट, लखनऊ, आईएमएस बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, कैंसर संस्थान, लखनऊ, कमांड हॉस्पिटल के साथ ही गोरखपुर, अयोध्या, कन्नौज, कानपुर और बस्ती के मेडिकल कॉलेजों ने इस कार्यशाला में भाग लिया।
इस कार्यशाला के बाद, एंटीफंगल की चिकित्सीय दवा निगरानी पर एक सीएमई की गई जिसमें डॉ. शिवप्रकाश रुद्रमूर्ति द्वारा अतिथि व्याख्यान दिया गया और एक केस-आधारित पैनल चर्चा की गई। इस सीएमई में मुख्य अतिथि के रूप में कुलपति ले.ज.डॉ बिपिन पुरी ने भाग लेते हुए कहा कि इम्युनोकॉम्प्रोमाइज्ड और आईसीयू रोगियों में आक्रामक फंगल संक्रमण कई बार होता है और स्थितियों को प्रबंधित करना मुश्किल होता है। एचपीएलसी के साथ चिकित्सीय औषधि निगरानी से निश्चित रूप से ऐसे रोगियों के परिणाम में सुधार होगा। सीएमई में डॉ. डी.हिमांशु, डॉ.अरमीन अहमद, डॉ.शैलेन्द्र वर्मा भी उपस्थित थे।