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जी पोयम विधि से गैस्ट्रोपैरेसिस रोग का उपचार बिना सर्जरी संभव

-भोजन पचने की प्रक्रिया बहुत धीमी हो जाती है इस रोग में

-संजय गांधी पीजीआई में आयोजित की गयी एक दिवसीय कार्यशाला  

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। भोजन पचने की प्रक्रिया को धीमा करने वाले रोग गैस्‍ट्रोपैरेसिस का उपचार बिना सर्जरी करने की प्रक्रिया गैस्ट्रिक जी पोयम (गैस्ट्रिक पर ऑरल एंडोस्कोपिक मायटॉमी) पर यहां संजय गांधी पीजीआई में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया।

संस्‍थान के गैस्‍ट्रोएंटरोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यशाला के आयोजन सचिव के विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ आकाश माथुर ने यह जानकारी देते हुए बताया कि गैस्ट्रोपैरेसिस रोग की बिना ऑपरेशन चिकित्सा ‘गैस्ट्रिक जी पोयम’ के लिए नागपुर के सुप्रसिद्ध डॉ सौरभ मुकेवार  की अगुवाई में एक कार्यशाला आयोजित की गई।

इस प्रक्रिया के बारे में जानकारी देते हुए गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ उदय घोषाल ने बताया कि ‘गैस्ट्रोपैरेसिस’ विकार में पाचन प्रक्रिया अत्यंत धीमी हो जाती है और भोजन पचने के बजाय पेट में ज्यादा समय तक रहता है। ऐसा पेट की मांसपेशियों की गति धीमी या निष्क्रिय होने तथा पाचन तंत्र के वाल्व में विकार आ जाने से होता है।

उन्‍होंने बताया कि ‘जीपोयम’ प्रक्रिया द्वारा बिना ऑपरेशन पाचन तंत्र में मुंह के रास्ते एंडोस्कोप (कैमरे के साथ एक संकीर्ण ट्यूब) डालकर चिकित्सा कर दी जाती है।

गैस्ट्रोपैरेसिसके क्‍या हैं लक्षण

प्रो घोषाल ने बताया कि यहां यह महत्‍वपूर्ण है कि ‘गैस्ट्रोपैरेसिस’ रोग (धीमी पाचन प्रक्रिया) की पहचान कैसे जल्‍दी की जाये। उन्‍होंने बताया कि इस रोग में रोगी को उल्टी आना, जी मिचलाना,पेट फूलना, पेट में दर्द,पेट भरा हुआ महसूस होना, सीने में जलन, भूख में कमी आदि लक्षण आते हैं, जो पाचन तंत्र के अन्य सामान्य विकार या रोग जैसे हैं अतः इस विकार की पहचान मुश्किल हो जाती है।

कैसे पहचानें इस रोग को

‘गैस्ट्रोपैरेसिस’  की पहचान के विषय में डॉ आकाश ने बताया कि भोजन पचने की शिकायत होने पर अगर सामान्‍य तौर पर दी जाने वाली दवाओं से अगर फायदा न हो रहा हो तो यह समझ लेना चाहिये कि यह गैस्‍ट्रोपैरेसिस हो सकता है। इसके अतिरिक्‍त डायबिटीज के रोगियों में इस विकार के पाए जाने की संभावना अधिक होती है क्‍योंकि डायबिटीज में भी पाचन तंत्र कमजोर पड़ सकता है।  संस्‍थान के निदेशक प्रो राधाकृष्ण धीमन के अनुसार पाचन संबंधित विकारों के लिए पीजीआई ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ (उत्कृष्टता का केंद्र) है।

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