-जांच कमेटी ने प्रथम दृष्टया दोषी पाया, अगला निर्णय अंतिम जांच रिपोर्ट आने के बाद
-कर्मचारियों की मांग पर जांच कमेटी में दो कर्मचारी नेता भी शामिल
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में मंगलवार को मेडिकल छात्रों और कर्मचारियों के बीच हुई नोकझोंक के बाद मारपीट और जमकर हुए हंगामे में शामिल रहे एमबीबीएस 2018 बैच के तीन छात्रों को निलंबित करते हुए उन्हें तत्काल हॉस्टल खाली करने के निर्देश दिये गये हैं। इन तीनों को प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया है, जांच पूरी होने तक इनका निलंबन और हॉस्टल से निष्कासन जारी रहेगा। इस बीच कर्मचारियों की मांग पर जांच कमेटी में कर्मचारियों के दो प्रतिनिधियों को शामिल करने का निर्णय लिया गया है।
ज्ञात हो संस्थान के ऑन्कोलॉजी भवन में स्थित कर्मचारियों के लिए बने काउंटर पर परचा बनवाने को लेकर एमबीबीएस छात्रों और कर्मचारियों के बीच कहासुनी हुई थी, इसके बाद साथी मेडिकल छात्रों ने पहुंच कर तोड़फोड़ कर कर्मचारियों के साथ मारपीट की थी जिसमें आधा दर्जन कर्मचारी घायल हो गये थे। इसके तत्काल बाद निदेशक ने इसकी जांच के लिए कमेटी गठित कर दी थी। जांच कमेटी में सीएमएस प्रो पीएस सिंह, डीन प्रो नुजहत हुसैन और यूजी कमेटी मेम्बर सेक्रेटरी डॉ नबवीर पसरीचा शामिल हैं।
संस्थान के मीडिया प्रवक्ता डॉ विक्रम सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि घटना के तत्काल बाद निदेशक द्वारा गठित जांच कमेटी ने दोनों पक्षों को मंगलवार को ही नोटिस जारी कर 24 घंटे में जवाब मांगा गया था। जवाब और सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद एमबीबीएस 2018 बैच के तीन छात्रों को प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया है, इसलिए इन तीनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए हॉस्टल छोड़ने का आदेश दे दिया गया है, कमेटी द्वारा विस्तृत जांच जारी रहेगी। अंतिम जांच रिपोर्ट आने तक ये तीनों छात्र निलंबित व हॉस्टल से बाहर रहेंगे।
जांच कमेटी में कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व रहे, इसके लिए मांग की गयी थी, इस पर निदेशक प्रो एके त्रिपाठी ने दो प्रतिनिधियों को शामिल करने पर सहमति दे दी है। सूत्रों के अनुसार इन दो कर्मचारी प्रतिनिधियों में नर्सिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष अमित शर्मा तथा संयुक्त सचिव धर्मेन्द्र सोनी शामिल हैं।
आज भी कर्मचारियों में गहरा आक्रोश रहा, सभी कर्मचारी प्रशासनिक भवन पर दोपहर बाद इकट्ठा होने शुरू हो गये थे। इन सभी की निगाहें निदेशक के कमरे में चल रही बैठक के निर्णय पर लगी थीं। कर्मचारियों का कहना था कि मारपीट, तोड़फोड़ करने वाले छात्रों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिये, जिससे दूसरों को सबक मिले।