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इस सेनेटाइजिंग टनल से नहीं है शरीर को कोई खतरा, स्‍प्रे नहीं, भाप से होता है फुल बॉडी सेनेटाइजेशन

-75 प्रतिशत अल्‍कोहलयुक्‍त सेनिटाइजर का प्रयोग, गुजरात हाई कोर्ट, रेलवे स्‍टेशन व कई जगह स्‍थापित है टनल

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी को लेकर जारी जंग में तमाम तरह के अहतियात बरते जा रहे हैं। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने गाइडलाइंस जारी कर रखी हैं। भारत की बात करें तो आईसीएमआर ने भी तरह-तरह की समय-समय पर गाइडलाइंस जारी कर रखी हैं। देश भर में 25 मार्च से चल रहे लॉकडाउन के बावजूद कई केस सामने आये हैं। ये तो समय वह है जब इतनी सख्तियां हैं, लोग घर के अंदर हैं। सोचकर देखिये जब लॉकडाउन हटेगा और लोग बाहर निकलेंगे तब भी कहीं न कहीं यह डर तो रहेगा ही कि व्‍यक्ति संक्रमण की चपेट में न आ जाये।

इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए सेनेटाइजल टनल (विसंक्रमित करने वाला चैम्‍बर) एक ऐसा साधन है जो उसमें से गुजरने वाले व्‍यक्ति को पूरा का पूरा साथ ही उसके पास जो भी सामान जैसे बैग, मोबाइल आदि है, सहित विसंक्रमित कर देता है। इस बीच बहुत सी खबरें आ रही हैं कि टनल में निकलने वाला लिक्विड स्‍प्रे के रूप में जब शरीर पर पड़ता है तो आंख को, त्‍वचा को नुकसान पहुंचा सकता है। ‘सेहत टाइम्‍स‘ ने अपनी पड़ताल में पाया कि गुजरात के अहमदाबाद में सबसे पहली सेनेटाइजल टनल वहां के इंस्‍टीट्यूट ऑफ किडनी डिजीज एंड रिसर्च सेंटर में बनायी गयी है। संस्‍थान में आने वाले प्रत्‍येक व्‍यक्ति को को टनेल के अंदर से होकर गुजरना पड़ता है। इस टनल की खासियत यह है कि इसमें विसंक्रमित करने के लिए अल्‍कोहल बेस्‍ड नेबुलाइजर सिस्‍टम का प्रयोग किया गया है।

अस्‍पताल के निदेशक डॉ विनीत मिश्र बताते हैं कि यह पूरी तरह सुरक्षित है। 30 मार्च को लगी थी और अभी तक तो किसी को टनल में जाने की वजह से त्‍वचा आदि में दिक्‍कत होने की खबर नहीं आयी है। साथ ही यह वही अल्‍कोहल बेस्‍ड फॉर्मूला है जो सेनिटाइजर के लिए विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन द्वारा अनुमोदित किया गया है, इससे त्‍वचा को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचता है।

विनोद पाण्‍डेय

इसके बारे में ज्‍यादा जानकारी लेने के लिए ‘सेहत टाइम्‍स‘ ने इस टनल को बनाने वाली अहमदाबाद स्थि‍त कम्‍पनी सृष्टि मशीनरीज प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्‍टर विनोद पाण्‍डेय से बात की और पूछा कि यह बताइये कि आखिर यह त्‍वचा के लिए किस तरह सेफ है,  इस प्रश्‍न के जवाब में विनोद पाण्‍डेय ने बताया कि इसमें 75 प्रतिशत अल्‍कोहलयुक्‍त सेनिटाइजर का इस्‍तेमाल किया गया है। इसके साथ ही यह स्‍प्रे नहीं बल्कि नेबुलाइजिंग तकनीक के अनुसार भाप तैयार करता है। इस फॉग से पूरा शरीर, सामान सहित सिर्फ 30 सेकंड गुफा में खड़े रहने से विसंक्रमित हो जाता है, खास बात यह है कि हाथों का इस्‍तेमाल चूंकि हर समय ज्‍यादा होता है तो हमने टनल के बाहर हैंड सेनिटाइजर रखने का भी प्रावधान किया है, व्‍यक्ति टनल में घुसने से पहले अपने हाथ सेनिटाइज्‍ड करता है बाद में अंदर घुसता है, जहां पूरा शरीर सेनी‍टाइज्‍ड हो जाता है।

विनोद बताते हैं कि दरअसल एक टनल सोडियम हाईपो क्‍लोराइड/हाईड्रोजन परऑक्‍साइड (TUNNEL FOR SPRAY OF SODIUM HYPO CHLORIDE/ HYDROGEN PEROXIDE) तथा एक दूसरी अल्‍ट्रावायलट लाइट (TUNNEL WITH UV LIGHT) वाली  टनल होती है इन दोनों टनल के इस्‍तेमाल से त्‍वचा को नुकसान पहुंच सकता है, लेकिन हमारी अल्‍कोहलयुक्‍त सेनिटाइजर वाली यह टनल पूरी तरह सुरक्षित है।

उन्‍होंने बताया कि हाल ही में गुजरात के खाद्य एवं औषधि नियंत्रक ने शरीर के लिए इस फॉर्मूले को प्रमाणित किया है। हम 75 प्रतिशतयुक्‍त अल्‍कोहल बेस्‍ड सेनिटाइजर को नेब्युलाइज़र इकाई के साथ तैयार कर फॉगिंग का प्रयोग कर रहे हैं, इसलिए यह पूरी तरह सुरक्षित है। वह कहते हैं कि नेब्युलाइज़र का उपयोग सभी चिकित्सा प्रणाली में किया जाता है।

विनोद बताते हैं कि हमने इंस्टीट्यूट ऑफ किडनी डिजीज एंड रिसर्च सेंटर अहमदाबाद में 30 मार्च को पहली नेबुलाइजर सुरंग स्थापित की है। सुरंग के उपयोग की कोई प्रतिकूल रिपोर्ट आज तक नहीं बताई गई है। उन्‍होंने बताया कि हमारे द्वारा तैयार की गयी यह सुरंग अब तक गुजरात हाईकोर्ट परिसर, अहमदाबाद रेलवे स्टेशन, भारतीय स्‍टेट बैंक, नोएडा में एक टीवी चैनल के ऑफि‍स, हीरो मोटर्स, कच्‍छ केमिकल्‍स जैसी अनेक जगहों पर लगी हुई हैं।