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छह प्रकार का होता है हेपेटाइटिस, बी और सी होता है ज्‍यादा खतरनाक

मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में मनाया गया वर्ल्ड हेपेटाइटिस दिवस

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में हेपटाइटिस बी और सी से लगभग 80 लाख लोग पीड़ित हैं, जबकि हेपेटाइटिस सी से 20 से 25 लाख लोग पीड़ित हैं।यदि समय पर इनका उपचार न किया जाए तो यह लिवर की गंभीर बीमारी जैसे लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर का रूप धारण कर सकती है। यह जानकारी लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.नरेन्द्र अग्रवाल ने दी।वे आज विश्व हेपटाइटिस दिवस के अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में आयोजित जन जागरूकता संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि समय पर उपचार से रोगी की जान बच सकती है।

बलरामपुर चिकित्सालय के वरिष्ठ फिजिशियन डा.सुनील कुमार ने बताया कि हेपेटाइटिस बीमारी वायरस से होती है जो 6 प्रकार का होता है।ए,बी,सी,डी,ई और जी। इनमें हेपेटाइटिस बी तथा सी बहुत खतरनाक हैं। हेपेटाइटिस ए तथा ई का संक्रमण खाने पीने की वस्तुओं के वायरस से दूषित होने के कारण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता हैं। इनके द्वारा होने वाला हेपेटाइटिस प्रायः छह सप्ताह के अंतराल पर दिखाई देने लगता है और रोगी लगभग बिना किसी जटिलता के पूर्ण रूप से ठीक हो जाता है। इसके विपरीत बी,सी व डी से होने वाला हेपेटाइटिस रक्त एवं असुरक्षित यौन सम्बधं के द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है, और आगे चल कर सिरोसिस या कैंसर में परिवर्तित हो जाता है।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए डा.एस के.सक्सेना ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के सौजन्य से के जी एम यू में हेपेटाइटिस सी की निशुल्क जांच व उपचार की व्यवस्था की गयी है। संगोष्ठी में हेपेटाइटिस से सम्बंधित विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रचार प्रसार सामग्री का वीडियो डा.मनोज यदु द्वारा दिखाते हुए चर्चा की गयी एव प्रश्नों का उत्तर दिया गया।कार्यक्रम जिला एन.सी.डी.प्रकोष्ठ, लखनऊ के द्वारा आयोजित किया गया जिसमें डा.आर.के.चौधरी, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी/नोडल अधिकारी, एन.सी.डी.,डा.रूखसाना चिकित्सा अधिकारी, एन.सी.डी.क्लीनिक बलरामपुर चिकित्सालय भी उपस्थित थीं।संगोष्ठी में जनपद के चिकित्सकों व पैरामेडिकल कर्मचारियों ने भी भाग लिया।