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सशक्त व अपने अधिकारों के प्रति जागरूक थी रामायणकालीन स्त्री

-रामायण का अध्‍ययन कर अपने अंदर आदर्श मानवीय गुणों को विकसित करने की सलाह

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। महाराजा बिजली पासी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, आशियाना, लखनऊ में संस्कृत विभाग द्वारा बुधवार को बाल्मीकि जयंती के उपलक्ष्य में ई-राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में डॉ0 रीता तिवारी, विभागाध्यक्ष संस्कृत विभाग, नवयुग कन्या महाविद्यालय, लखनऊ ने “रामायण कालीन संस्कृति और स्त्री विमर्श” विषय पर अपना सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया।

डॉ रीता तिवारी ने अपने व्याख्यान में संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए रामायणकालीन संस्कृति से परिचित कराया। साथ ही उन्होंने रामायणकालीन स्त्री पात्रों को लेकर एक-एक स्त्री पात्र का चारित्रिक विवेचन करते हुए बताया कि रामायणकालीन स्त्री सशक्त व अपने अधिकारों के प्रति जागरूक थी। उन्होंने कहा कि स्त्री समाज और परिवार की धुरी होती है, इसलिए रामायण में स्त्री पात्रों को अत्यंत उदार दर्शाया गया है। वर्तमान में रामायण का अध्ययन करते हुए छात्र-छात्राएं अपनी संस्कृति से परिचित होकर अपने अंदर आदर्श मानवीय गुणों को विकसित कर सकते हैं।

इससे पूर्व कार्यक्रम का आरंभ डॉ0 उमा सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर-संस्कृत द्वारा बाल्मीकि की स्तुति तथा छात्रा सृष्टि मिश्रा के मंगलाचरण गान से किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर सुमन गुप्ता द्वारा स्वागत उद्बोधन करते हुए महर्षि वाल्मीकि के व्यक्तित्व व योगदान पर प्रकाश डाला गया।

कार्यक्रम का समापन संयोजिका डॉ0 उमा सिंह के धन्यवाद ज्ञापन तथा बी0ए0 तृतीय वर्ष की छात्रा ट्विंकल के शांति पाठ से किया गया। इस अवसर पर गूगल मीट के आभासी मंच से महविद्यालय के प्राध्यापक और कई छात्र-छात्रायें कार्यक्रम से जुड़े रहे।

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