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जो वृ‍क्ष हमें जिंदा रखने के लिए देता है ऑक्‍सीजन, क्‍या हम उसका संरक्षण नहीं कर सकते ?

-विश्‍व पर्यावरण दिवस पर रेस्‍पाइरेटरी विभाग के पार्क में रोपित किये गये 21 पौधे

-घर में होने वाले प्रत्‍येक समारोह में वृक्षारोपण करने का संकल्‍प लें : प्रो सूर्यकांत

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। यह तो सभी जानते हैं कि जिन्‍दगी की डोर सांसों से बंधी है, हर एक सांस के लिए व्‍यक्ति को जरूरत पड़ती है ऑक्‍सीजन की, और यह ऑक्‍सीजन हमें प्राकृतिक रूप से मिलती है, पेड़-पौधों से और वह भी बिल्‍कुल फ्री। दूसरी ओर सोचिये जब इसी ऑक्‍सीजन की कमी शरीर में होती है तो इस ऑक्‍सीजन को हमें खरीदना पड़ता है। यानी पेड़-पौधे जो हमें फ्री में ऑक्‍सीजन दे रहे हैं, उनको संरक्षित रखना क्‍या हमारी जिम्‍मेदारी नहीं होनी चाहिये?, बिल्‍कुल होनी चाहिये। विश्‍व पर्यावरण दिवस पर हमें यही संकल्‍प लेना चाहिये कि हम ज्‍यादा से ज्‍यादा पेड़ रोपित करें, कम से कम इतना तो करें कि घर में होने वाले शुभ कार्यों के मौके पर पौधरोपण को जरूरी कार्य मानकर करें।

यह सलाह केजीएमयू के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सूर्यकांत में विश्व पर्यावरण दिवस पर विभाग के सामने बने पार्क में आयोजित वृक्षारोपण कार्यक्रम के दौरान दी। सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए कार्यक्रम में पौधों का रोपण किया गया, इस कार्यक्रम में मुख्‍य अतिथि के रूप में संस्‍थान के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो एसएन संखवार को आमंत्रित किया गया था।

देखें वीडियो-विश्‍व पर्यावरण दिवस पर प्रो सूर्यकांत का संदेश

अपने सम्‍बोधन में प्रो सूर्यकांत ने विश्‍व पर्यावरण का इतिहास बताते हुए कहा कि वर्ष 1974 से प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है, इस वर्ष की थीम जैव विविधता है, यानी विश्व में सभी जीव-जंतुओं एवं वनस्पतियों के विभिन्न प्रकारों का संरक्षण करना है जिससे पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सके तथा इन सभी प्रजातियों को संरक्षित किया जा सके। प्रो सूर्यकांत ने बताया कि अफसोस की बात है कि भारत में पिछले 50 वर्षों में 50 प्रतिशत पेड़ काट दिए गए जिससे हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान हुआ है। बहुत से पेड़-पौधों की प्रजातियां विलुप्त हो गईं, जिससे जैव विविधता को गंभीर नुकसान हुआ है। प्रो सूर्यकांत जो कि इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा एंड अप्लाइड इम्यूनोलॉजी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं, ने बताया कि पिछले 3 दशकों में बढ़े हुए प्रदूषण के कारण एलर्जी, अस्थमा एवं सांस के अन्य रोग काफी संख्या में बढ़े हैं, भारत में अस्थमा के लगभग 3.50 करोड़ रोगी हैं।

प्रो सूर्यकांत ने बताया कि व्यक्ति के जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन बेहद जरूरी है हमारे जीवन की शुरुआत होती है पहली सांस से और समापन होता है अंतिम सांस से, उन्होंने बताया कि हम 1 मिनट में 15 बार सांस लेते हैं तथा प्रति एक बार में आधा लीटर सांस फेफड़े के अंदर लेते हैं। उन्होंने कहा कि सांस के लिए यह ऑक्सीजन हमें पेड़-पौधों से फ्री में मिलती है इसलिए इनका सम्मान और संरक्षण हमें प्राथमिकता पर करना होगा। पौधरोपण कार्यक्रम के इस मौके पर विभाग के चिकित्सक डॉ एस के वर्मा, डॉ आर ए एस कुशवाहा, डॉ संतोष कुमार, डॉ अजय कुमार वर्मा सहित सभी रेजिडेंट एवं चिकित्‍साकर्मी उपस्थित रहे।