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सुखी जीवन को ठुकराकर कठिनाइयों भरे रास्‍ते को चुना था क्रांतिकारी भीखाजी कामा ने

-महापुरुष स्मृति समिति ने राष्‍ट्रीय एकता मिशन के सहयोग से मनाया मैडम भीखाजी कामा का जन्मदिवस

लखनऊ। भारत की स्वतंत्रता के पक्ष में लन्दन, जर्मनी तथा अमेरिका का भ्रमण कर माहौल बनाकर, अंग्रेजों से लड़ने वाली क्रांति माता के नाम से प्रख्यात मैडम भीखाजी कामा का जन्मदिवस मनाया गया। महापुरुष स्मृति समिति की ओर से आयोजित किये गये कार्यक्रम में सहयोग राष्ट्रीय एकता मिशन द्वारा किया गया।

दारूलशफा बी ब्लॉक पार्क में शुक्रवार को आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वैज्ञानिक डा. हरमेश चौहान ने बताया कि मैडम कामा भारतीय मूल की पारसी नागरिक थीं जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के पक्ष में लन्दन, जर्मनी तथा अमेरिका का भ्रमण कर माहौल बनाया। धनी परिवार में जन्म लेने के बावजूद इस साहसी महिला ने आदर्श और दृढ़ संकल्प के बल पर निरापद तथा सुखी जीवन वाले वातावरण को तिलांजलि दे दी और शक्ति के चरमोत्कर्ष पर पहुँचे साम्राज्य के विरुद्ध क्रांतिकारी कार्यों से उपजे खतरों तथा कठिनाइयों का सामना किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता तरुणेश ने बताया कि भीखाजी रुस्तम कामा (मैडम कामा) का जन्म 24 सितंबर 1861 को और निधन 74 वर्ष की आयु में बॉम्बे (तत्कालीन ब्रिटिश भारत) में 13 अगस्त 1936 को हुआ था। वे जर्मनी के स्टटगार्ट नगर में 22 अगस्त 1907 में हुई सातवीं अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस में भारत का प्रथम तिरंगा राष्ट्रध्वज फहराने के लिए सुविख्यात हैं। उन्होंने बताया कि उस समय तिरंगा वैसा नहीं था जैसा आज है। उनके द्वारा पेरिस से प्रकाशित “वन्देमातरम्” पत्र प्रवासी भारतीयों में काफी लोकप्रिय हुआ।

1907 में जर्मनी के स्टटगार्ट में हुयी अन्तर्राष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस में मैडम भीकाजी कामा ने कहा कि ‘‘भारत में ब्रिटिश शासन जारी रहना मानवता के नाम पर कलंक है। एक महान देश भारत के हितों को इससे भारी क्षति पहुँच रही है।’’ उन्होंने लोगों से भारत को दासता से मुक्ति दिलाने में सहयोग की अपील की और भारतवासियों का आह्वान किया कि ‘‘आगे बढ़ो, हम हिन्दुस्तानी हैं और हिन्दुस्तान हिन्दुस्तानियों का है।’’ यही नहीं मैडम भीखाजी कामा ने इस कांफ्रेंस में ‘वन्देमातरम्’ अंकित भारत का प्रथम तिरंगा राष्ट्रध्वज फहरा कर अंग्रेजों को कड़ी चुनौती दी। मैडम भीखाजी कामा लन्दन में दादा भाई नौरोजी की प्राइवेट सेक्रेटरी भी रहीं।

महापुरुष स्मृति समिति‍ के अध्यक्ष भारत सिंह ने बताया कि मैडम कामा का बहुत बड़ा योगदान साम्राज्यवाद के विरुद्ध विश्व जनमत जागृत करना तथा विदेशी शासन से मुक्ति के लिए भारत की इच्छा को दावे के साथ प्रस्तुत करना था। भारत की स्वाधीनता के लिए लड़ते हुए उन्होंने लंबी अवधि तक निर्वासित जीवन बिताया था। उन्होंने अन्यायपूर्ण हिंसा के विरोध का आह्वान भी किया था। स्वराज के लिए आवाज उठाई और नारा दिया, आगे बढ़ो, हम भारत के लिए हैं और भारत भारतीयों के लिए है।

अध्यक्ष भारत सिंह ने बताया कि इस समिति की ओर से हर ऐसे महापुरुषों का जन्मदिवस मनाया जाता है जिन्होंने मुगलों और अंग्रेजों के विरुद्ध भारत निर्माण के लिए लड़ाई लड़ी और किन्हीं कारणों से समाज में उनका नाम नहीं आ सका। महापुरुष स्मृति समिति हर ऐसे महापुरुषों का जन्मदिवस मनाकर समाज को उनके द्वारा की गई उल्लेखनीय क्रांति व शौर्यपूर्ण कार्यों से अवगत ही नहीं कराएगी, बल्कि स्थापित भी करेगी।

इस अवसर पर सतीश दीक्षित, सुरेन्द्र चौहान, आर.बी. सिंह, महेन्द्र तिवारी, शफीक अहमद, अरुणेश, राजा गुप्ता, विकास, अर्पिता सिन्हा, आकाश मिश्र, माता प्रसाद चतुर्वेदी, एडवोकेट पुष्कर सनी, सन्दीप सिंह चौहान, भास्कर सिंह प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।