केजीएमयू में शुरू होगी पीसीएनएल तकनीक
लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय केजीएमयू में अब पेंसिल की नोक के बराबर छेद से गुर्दे की पथरी को निकाला जा सकेगा। गुर्दे की पथरी को अब पीसीएनएल (परक्यूटेनियस नेफ्रोस्टोलिथोटॉमी) तकनीक से निकाला जा सकेगा। इस तकनीक में पेंसिल की नोक के बराबर सुराख से गुर्दे में ही पथरी को पहले तोड़ा जाता है और फिर टुकड़ों को बाहर निकाला जाता है। पथरी तोडऩे में लेजर का भी उपयोग किया जाता है। यहां के यूरोलॉजी विभाग में लेजर तकनीक से इलाज हो रहा है। इस तकनीक से 20 सेंटीमीटर तक की पथरी को निकाला जा सकता है।
गुर्दे में ही तोड़ ली जाती है पथरी
यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसएन संखवार ने बताया कि पेंसिल की नोक के बराबर छेद करके बड़ी पथरी निकाली जा सकती है। इस ऑपरेशन में लेजर का भी सहारा लिया जाता है। इसमें मरीज के गुर्दे में छेद करके पाइप अंदर डाला जाता है। फिर उस पाइप के जरिए ही पथरी को गुर्दे के अंदर तोड़ा जाता है। फिर एक-एक करके पथरी को निकाल लिया जाता है। डॉ. शंखवार का कहना है कि इस तकनीक से ऑपरेशन में रक्तस्राव कम होता है। साथ ही सर्जरी के दौरान मरीज को दर्द का अहसास भी कम होता है। इसके अतिरिक्त इस तकनीक से सर्जरी कराने वाले मरीज को अस्पताल से मात्र दो दिन में ही छुट्टी मिल जाती है। खर्च के बारें में उन्होंने बताया कि इसमें दूरबीन विधि के ही बराबर खर्च आता है। डॉ. संखवार ने बताया कि पीसीएनएल लेजर से 7 एमएम से लेकर 20 एमएम तक की पथरी को खत्म किया जा सकता है।