महिलाओं की तुलना में पुरुषों में आत्महत्या की दर ज्यादा : डॉ कुमुद श्रीवास्तव
वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे (10 सितंबर) पर विशेष
धर्मेन्द्र सक्सेना
लखनऊ। आत्महत्या अपने आप में एक मानसिक बीमारी नहीं है, लेकिन उपचार योग्य मानसिक विकारों का एक गंभीर संभावित परिणाम है जिसमें प्रमुख रूप से अवसाद, बाइपोलर डिसऑर्डर, पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर, सिज़ोफ्रेनिया, सब्सटैंस यूज डिऑर्डर, और चिंता जैसे बुलीमिया और एनोरेक्सिया नर्वोसा शामिल हैं।
यह जानकारी वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे के मौके पर साइकोलॉजिस्ट-काउंसलर डॉ कुमुद श्रीवास्तव ने ‘सेहत टाइम्स’ से विशेष बातचीत में दी। डॉ कुमुद ने कहा कि जब कोई व्यक्ति अवसाद और निराशावाद के घेरे में आ जाता है और उसे समस्या का समाधान दिखाई देना बंद हो जाता है, साथ ही उसे किसी तरह का भावनात्मक सहारा भी न मिले तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है।
उन्होंने बताया कि हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस, इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन द्वारा आयोजित किया जाता है। इस कार्यक्रम में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भी सह-प्रायोजक के तौर पर शामिल होता है। वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे का उद्देश्य दुनिया भर में जागरूकता बढ़ाना है ताकि आत्महत्या के मामलों को रोका जा सके।
2014 में पेश डब्ल्यूएचओ की पहली ग्लोबल रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल 8 लाख से अधिक लोग आत्महत्या करके मरते हैं। इनमें 75% आत्महत्याएं निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं। उन्होंने बताया कि आत्महत्या दुनिया भर में होती है और लगभग किसी भी उम्र में हो सकती है। डॉ कुमुद ने बताया कि वैश्विक स्तर पर, 70 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों में आत्महत्या की दर सबसे अधिक है। हालांकि, कुछ देशों में सबसे अधिक आत्महत्या की दर युवाओं के बीच पायी जाती है। विशेष रूप से, आत्महत्या विश्व स्तर पर 15-29 वर्षीय बच्चों में मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है।
डॉ कुमुद कहती हैं कि आमतौर पर महिलाओं की तुलना में पुरुषों में आत्महत्या की दर ज्यादा है। अमीर देशों में महिलाओं की तुलना में पुरुष तीन गुना अधिक आत्महत्या से मरते हैं। इन आंकड़ों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि आत्महत्या एक गंभीर समस्या है, जिसका समाधान होना जरूरी है।
आत्महत्या करने के संकेत
डॉ कुमुद कहती हैं कि आत्महत्या से जुड़े कुछ संकेत हैं, जो आत्महत्या से पहले प्राय: उसके अंदर दिखाई देते हैं। इनमें पहला है जब किसी व्यक्ति के अंदर अचानक, अकारण रोने की भावना उत्पन्न होने लगे, दूसरा जब कोई व्यक्ति सुसाइड के तरीकों और कैसे किया जाता है, इसे डिसाइड करने लगे, तीसरा आपराधिक व्यवहार का बढ़ना, चौथा सामान्य सी बात पर भी क्रोधित हो जाना, पांचवां सामाजिक रिश्ते और जिम्मेदारियों से दूर भागने लगना, इत्यादि।
आत्महत्या करने की कारण
डॉ कुमुद के अनुसार आत्महत्या करने के पीछे कई कारण होते हैं, व्यक्ति में अपराधबोध होना, घनघोर निराशा, हमेशा अवसादग्रस्त रहना, क्षति की भावना, जिसकी प्रतिपूर्ति संभव न हो (पढ़ाई और बिजनेस में असफलता, नौकरी छूट जाना आदि), रिश्तों में किसी को खोने का भाव और पारिवारिक कलह भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं, जब किसी बीमारी में ठीक होने की संभावना नजर न आती हो,इत्यादि।
कैसे करें आत्महत्या से बचाव
डॉ कुमुद ने कहा कि “यदि आपके परिवार में या दोस्त अवसादग्रस्त है तो उसे कभी अकेला न छोड़ें। यदि वह हमेशा चुप-चुप सा और अकेला रहता है तो उसे भावनात्मक सपोर्ट दें। ऐसे व्यक्तियों की समस्या के समाधान के लिए नए विकल्पों की तलाश करें। यदि कोई ब्रेकअप की वजह से अवसाद में है तो उसे वर्तमान रिश्तों के मूल्यों के बारे में बताएं। ऐसे व्यक्तियों को तनावपूर्ण माहौल से दूर रखें। अगर, व्यक्ति अवसाद, सिजोफ्रेनिया या अन्य किसी मानसिक विकार से ग्रसित है तो उसे किसी अच्छे मानसिक रोग विशेषज्ञ से इलाज कराना चाहिए ,मनोवैज्ञानिक सलाह से जीवन यापन करने के तरीके सीखने चाहिए।”