लखनऊ। आज यहां डॉ. राममनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय में विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर रोगियों के व्यापक हितार्थ डिप्रेशन- लेट्स टॉक विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया। आज से ही यहां ई ब्लड बैंक की शुरुआत भी की गयी। उत्तर प्रदेश का यह पहला ई ब्लड बैंक है।
व्याख्यान चिकित्सालय के सेमिनार कक्ष में आयोजित किया गया। व्याख्यान कक्ष में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), ग्राम्य विकास, समग्र ग्राम विकास, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य (एमओएस), उप्र डॉ. महेन्द्र सिंह ने डॉ. राममनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय का निरीक्षण किया तथा सेमिनार में अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि आज मुख्य स्वास्थ्य-रक्षा को लेकर लोग दिग्भ्रमित हैं। अप्राकृतिक दिनचर्या एवं प्रदूषित पर्यावरण में हम आहार, विहार एवं व्यवहार के व्यतिक्रम से जिन द्रव्यों का वरदान समझकर प्रयोग करते हैं वही हमें अस्वस्थ करने के लिए पर्याप्त हैं। जैसे-सूर्य की रोशनी का अभाव प्राय: लोग सूर्योदय के पश्चात ही बिस्तर छोडते हैं, फिर यह सोचकर कि अब तो सूर्य की तीव्रता अधिक हो गयी या हानिकर है, हम सूर्य से अपने को दूर कर लेते हैं- जिससे शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है- परिणामत: हमें हड्डी रोग, मानसिक रोग तथा अन्य रोग होने लगते हैं। उन्होंने अपनी बात कहते हुए संस्कृत की उक्ति .‘‘स्वस्थस्य स्वास्थ्य रक्षणं। आतुरस्य विकास प्रशमनं च’’ का भी उल्लेख किया।
अंत में महेन्द्र सिंह ने वहा पर उपस्थित सभी लोगों को साधुवाद देते हुये कहा कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता आवश्यक है तभी हम देश की उन्नति में सहयोगी सिद्ध हो सकेंगे। इस मौके पर अस्पताल के निदेशक डॉ डीएस नेगी सहित अन्य चिकित्सक व अन्य स्टाफ मौजूद रहे।
ई रक्त कोष की शुरुआत, अब ब्लड की जानकारी एक क्लिक पर
अस्पताल के निदेशक डॉ डीएस नेगी ने बताया कि आज से ई ब्लड बैंक की शुरुआत कर दी गयी है। इससे अन्य ब्लड बैंकों को भी जोड़ा जायेगा। प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत ई रक्त कोष की स्थापना की गयी है। उन्होंने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट योजना के तहत ई रक्तकोष के लिए लोहिया अस्पताल को चुना गया। उन्होंने बताया कि अब कोई भी व्यक्ति eraktkosh.in अन्य चिकित्सक में लॉगइन करके अपने नजदीकी ब्लड बैंक की स्थिति एवं ब्लड कॉम्पोनेन्ट्स की उपलब्धता ज्ञात कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि ई रक्तकोष का उद्देश्य सुरक्षित एवं पर्याप्त मात्रा में ब्लड की सप्लाई करना, ब्लड मिलने के समय को कम करना, ब्लड खराब होने से बचाना, खून बेचने वालों पर नियंत्रण रखना, सभी बैंकों की नेटवर्किंग करना तथा स्वैच्छिक रक्तदाताओं की उपलब्धता बढ़ाना है।