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विवाह के पहले विशेष जांच रोकेगी पीढि़यों से चली आ रही थैलेसीमिया बीमारी को

-लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में दो दिवसीय शिविर 13 एवं 14 नवंबर को

सेहत टाइम्स

लखनऊ। डॉ0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान विज्ञान संस्थान, लखनऊ और अपोलो सेंटर फॉर बोनमैरो ट्रांसप्लांट, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 13 एवं 14 नवंबर को दो दिवसीय निःशुल्क लगभग 200 बच्चों की एचएलए जांच एवं परामर्श शिविर का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें प्रोफेसर डॉ0 गौरव, सीनियर कंसल्टेंट एवं डॉ0 ऐबी पी, सीनियर कंसलटेंट दो दिवसीय परामर्श देंगे।

मीडिया सेल द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार इस शिविर में प्रथम दिन 13 नवंबर को एच0एल0ए0 मैचिंग एवं परामर्श संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। 14 नवंबर को वार्ड में मरीजों की निःशुल्क एचएलए जांच एवं परामर्श दिया जाएगा। यह आयोजन निदेशक, प्रो0 (डॉ0) सी0एम0 सिंह के कुशल निर्देशन में किया जा रहा है। यह सूचना विभागाध्यक्ष, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग प्रोफेसर डॉ0 सुब्रत चंद्र के द्वारा प्रदान की गयी हैं।

थैलेसीमिया एक अनुवांशिक रक्त रोग है। इस रोग में हमारे शरीर की लाल रक्त कोषिकाओं में हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया बाधित होती है। जिससे रोगी में स्वस्थ्य रक्त कोषिकाये नहीं बन पाती जिसके कारण रोगी को बार-बार रक्त चढ़ाना पड़ता है। भारत में हर वर्ष 7 से 10 हजार बच्चे थैलेसीमिया से पीड़ित पैदा होते हैं। यह रोग न केवल रोगी के लिए कष्टदायक होता है बल्कि सम्पूण परिवार के आर्थिक शारीरिक व मानसिक तनाव का कारण बन जाता है। यह रोग अनुवांशिक होने के कारण पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार में चलता रहता है। इस रोग में शरीर में लाल रक्त कण/रेड ब्लड सेल (आर0बी0सी0) सही नहीं बन पाते हैं और केवल अल्प काल तक ही रहते हैं।

थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को बार-बार खून चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है और ऐसा न करने पर बच्चा जीवित नहीं रह सकता है। इस बीमारी की सम्पूर्ण जानकारी और विवाह के पहले विशेष जॉच कराकर आनेवाले पीढ़ी को थैलेसीमिया होने से रोक सकते हैं। थैलेसीमिया रोग को पूर्ण उपचार केवल बोन मैरो (अस्थि मज्जा) ट्रांस्पलाट द्वारा ही सम्भव है।

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