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गीत मात्र शब्‍द संयोजन नहीं, इसमें भाव का भी महत्‍व : हृदय नारायण दीक्षित

-कर्नल आदि शंकर मिश्र आदित्यके काव्य संग्रह आदित्यायनका विमोचन

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। गीत, नृत्य संस्कृति के अंग होते हैं। गीत मात्र शब्द संयोजन नहीं होते, इनमें भाव की महत्ता होती है। यह आनंद का संवर्धन करते हैं। सृजन आसान नहीं होता। कुछ सृजन मोहक होते हैं तो कुछ मादक। गीत काव्य के रचनाकारों को सभ्यता और संस्कृति की मर्यादा का पालन करना चाहिए।

यह बात उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर बुधवार को प्रेस क्लब में कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’ के काव्य संग्रह ‘आदित्यायन’ का विमोचन समारोह में व्‍यक्‍त किये। उन्‍होंने कहा कि वैदिक मंत्र भी काव्य हैं। रामायण और महाभारत भी महाकाव्य कहे जाते हैं। उन्होंने कहा कि आज के कवियों को राष्ट्रगान और राष्ट्र गीत जैसे गीत लिखने चाहिए। श्री दीक्षित ने ‘आदित्यायन’ का लोकार्पण करते हुए कहा कि कर्नल श्री मिश्र उस पीढ़ी का नेतृत्व करते हैं जिसने बदलते हुए भारत की सुनहरी तस्वीर को बहुत ही करीब से देखा है। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से उन बदलावों की तस्वीर को पेश करने की कोशिश की है, जिसके माध्यम से आज की पीढ़ी भी उन क्षणों और परिस्थितियों का सुखद एहसास बड़ी आसानी से कर सकती है।

श्री दीक्षित ने कहा कि ज्ञान के तमाम स्रोत हैं। मनुष्य अपने भाव अनुभूति से भी ज्ञान प्राप्त करते हैं। यह ज्ञान गीत सृजन में प्रकट होता है। गीतों की उम्र दीर्घकालिक होती है और इनका प्रभाव भी दीर्घकालिक होता है। ऐसा श्री मिश्र के आदित्यायन में भी परिलक्षित होता है । 

समारोह के विशिष्ट अतिथि सेना डाक सेवा कोर के पूर्व अपर महानिदेशक जनरल केके श्रीवास्तव और उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण एवं श्रम विकास सहकारी संघ लिमिटेड के चेयरमैन वीरेंद्र कुमार तिवारी ने कर्नल आदि शंकर मिश्र की साहित्य साधना की जमकर तारीफ़ की। उन्होंने कहा कि श्री मिश्र का यह पहला काव्य संग्रह है, जिसमें उन्होंने जीवन के उन पहलुओं को प्रमुखता से स्थान दिया है, जिसको उन्होंने जीया है या बहुत ही करीब से देखा है। 

इस अवसर पर ‘आदित्यायन’ के रचनाकार कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’ ने कहा कि इस काव्य संग्रह के माध्यम से अपने जीवन के उन पहलुओं को छूने की कोशिश की है जो वर्तमान भागदौड़ भरी जिन्दगी में हम सभी से छूट रहा है। मानव खुद को एक मशीन का रूप मानने लगा है। मैंने कविताओं के माध्यम से जीवन की सच्चाई को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि अपने जीवन के मूलमंत्र “प्रयास हमें बहुत कुछ सिखा देते हैं, जीवन में प्रयास, अभ्यास व अध्ययन का बहुत बड़ा महत्व होता है… तो आइये हम सब निरंतर प्रयासरत रहें, अध्ययनरत रहें।      

विमोचन समारोह में सुप्रसिद्ध कवयित्री डॉ शोभा दीक्षित ‘भावना’ ने वाणी वंदना प्रस्तुत कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। जाने-माने कवि मंजुल मंजर लखनवी, राजेंद्र कात्यायन और हरी मोहन बाजपेई ‘माधव’ ने अपनी कविताओं और गजल के जरिये लोगों को भाव-विभोर कर दिया । विमोचन समारोह का संचालन कर्नल मिश्र के अनुज राजेन्द्र शंकर मिश्र ने किया। विमोचन समारोह में उपस्थित सभी लोगों के प्रति कर्नल मिश्र की पुत्री रंजना द्विवेदी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर ज्ञान शंकर मिश्र, नीरज मिश्रा, राकेश मिश्रा, लोकेश कांत त्रिपाठी, शशिधर द्विवेदी, फिरोज हैदर, सोनम राठौर, ज्योति मिश्रा समेत दर्जनों लोग उपस्थित रहे।

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