Tuesday , April 23 2024

समाज विचार करे कि इलाज के दौरान मौत बेहतर है या बिना इलाज के…

आरडीए एसजीपीजीआई के अध्‍यक्ष डॉ अजय कुमार शुक्‍ल ने कही बड़ी बात

लखनऊ। कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज में बीते सोमवार को हुई जूनियर डॉक्टरों की पिटाई के मामले में शुक्रवार को पूरे देश में विरोध दिवस मनाया। संजय गांधी पीजीआई की रेजीडेंट डॉक्‍टर्स एसोसिएशन ने भी घटना के विरोध में जहां कल शाम को कैंडिल मार्च निकाला था, आज अपरान्‍ह दो बजे तक ओपीडी करने के बाद दो घंटे पेन डाउन हड़‍ताल करके विरोध प्रदर्शन किया। एसोसिएशन के अध्‍यक्ष डॉ अजय कुमार शुक्‍ला ने कहा कि इस तरह की घटना पहली बार नहीं हुई है, अनेक बार हो चुकी हैं। उन्‍होंने कहा कि मौत सभी की आनी है, यह शाश्‍वत सत्‍य है, एक डॉक्‍टर जो सीरियस मरीज की जान बचाने की कोशिश करता है, लेकिन मौत पर वश न होने के कारण यह जरूरी नहीं है कि वह मरीज को बचाने में कामयाब रहे। मौत होने की स्थिति में अगर डॉक्‍टर पर हमला होता है तो फि‍र कल को कौन डॉक्‍टर किसी सीरियस मरीज का उपचार करने की कोशिश करेगा। इसलिए आज समाज को यह सोचने का समय आ गया है कि सीरियस होने पर इलाज के दौरान मौत होना बेहतर है या फि‍र बिना इलाज किये मौत बेहतर है…

 

आरडीए द्वारा आज हमले में घायल हुए रेजीडेंट डॉक्‍टरों की भांति अपने सिर पर पट्टी बांध कर, व्‍हील चेयर पर प्रदर्शन किया, नारेबाजी हुई। इस दौरान आरडीए सचिव डॉ आकाश माथुर ने एसोसिएशन की ओर से कहा कि आज कल हम जो सब कुछ देख रहे हैं, उससे बुरा कुछ भी नहीं हो सकता है। बर्बरता से लेकर बलात्कार तक के सभी रूपों में,  डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा आमजन और देश के लिए कतई ठीक नहीं है।

 

स्वास्थ्य देखभाल की समस्याओं को समझने की कोशिश करने के बजाय राजनीतिक दल परिदृश्य का लाभ उठाते हैं और इसका इस्तेमाल अपने व्यक्तिगत एजेंडे को निपटाने के लिए करते हैं।  पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा दिए गए बयानों से हालात और खराब हो रहे हैं।

 

रेजीडेंट डॉक्‍टर्स का कहना है कि कोलकाता के दोनों डॉक्टर्स के साथ घटित अन्याय को लेकर आरडीए पीजीआई  द्वारा डायरेक्टर और सीएमएस एसजीपीजीआई को,  डॉक्टर्स बंधुओं के समर्थन में कल ज्ञापन दिया गया था  और आज विरोध के तौर पर एसजीपीजीआई के सभी रेजिडेंट डॉक्टर्स  ने  2 घंटे का पेन डाउन कर देशव्यापी आंदोलन मैं भाग लेकर अपनी मांगों को रखने क्या प्रयास किया।

 

एसोसिएशन का कहना है कि (1) आरोपियों को तुरंत कानून के तहत कड़ी सजा दी जाए जिससे कि आगे इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके। (2) केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश में सभी डॉक्टर्स की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने वालों को दंडित करने के लिए एक ठोस कानून बनाया जाए जिसको सभी राज्यों द्वारा लागू किया जाए। (3) हॉस्पिटल में प्रत्येक विभाग में अलग से पब्लिक रिलेशन ऑफिसर्स और उचित सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए तथा (4) एक मरीज के साथ एक या दो तीमारदारों से ज्यादा लोगों का प्रवेश वर्जित हो।

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