-योगी की कैबिनेट ने दी आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन योजना लागू करने की मंजूरी
सेहत टाइम्स
लखनऊ। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के तहत प्रत्येक मरीज के इलाज से संबंधित पूरा रिकॉर्ड सिर्फ एक क्लिक दूर होगा। इस योजना के तहत इलाज के रिकॉर्ड का रखरखाव सरकार द्वारा किया जायेगा। इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि मरीज को अपने इलाज के परचों को सम्भाल कर रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी, मरीज को देश के किसी भी अस्पताल में इलाज कराते समय व्यक्ति को यूनिक हेल्थ आईडी का नम्बर बताना होगा और उस नम्बर के कम्प्यूटर में डालते ही पूर्व में हुई जांचों और इलाज का पूरा डेटा सामने स्क्रीन पर होगा। योजना के तहत अस्पताल और डॉक्टर का भी डाटाबेस तैयार किया जाएगा। भारत सरकार की इस योजना को उत्तर प्रदेश में लागू करने के कार्य में तेजी लाने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दे दी है।
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि भारत सरकार की एबीडीएम योजना को प्रदेश में प्रभावी तरीके से लागू किया जायेगा। उन्होंने कहा कि योजना के माध्यम से भारत के सभी नागरिकों के स्वास्थ्य अभिलेखों का डाटाबेस तैयार किया जाएगा। इस डाटाबेस में रोगी की बीमारी डॉक्टर की सलाह, पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी समेत दूसरी जांच रिपोर्ट सुरक्षित रखी जाएंगी। नतीजतन मरीजों को मेडिकल रेकॉर्ड साथ लेकर चलने की जरूरत नहीं होगी। एबीडीएम में देश के प्रत्येक नागरिक को एक यूनिक हेल्थ आईडी मिलेगी। यह आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (एमबीएचए) पर बनेगा। मरीज का डाटा इलेक्ट्रानिक हेल्थ रेकॉर्ड के रूप में सुरक्षित किया जाएगा। यह रिकॉर्ड भारत हेल्थ अकाउंट से लिंक्ड होगा और पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा।
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बताया कि योजना के तहत मेडिकल कॉलेज, संस्थान, सरकारी और निजी मेडिकल संस्थानों को जोड़ा जाएगा। इस कारण परचा बनवाने की लाइन से भी मरीजों को छुटकारा मिलेगा। श्री पाठक ने बताया कि योजना के संचालन के लिए राज्य एबीडीएम इकाई की स्थापना की जाएगी और राज्य मिशन निदेशक, एबीडीएम नोडल अधिकारी होंगे।
उन्होंने कहा कि उप मुख्यमंत्री ने कहा कि इस नये सिस्टम से मरीजों को कोरोना जैसी खतरनाक बीमारियों के प्रति जागरूक भी किया जायेगा, मरीज के रिकॉर्ड को देखकर आवश्यक सतर्कता बरतने की भी जानकारी दी जा सकेगी, साथ ही उपचार मुहैया कराने में भी मदद मिलेगी। इससे महामारी से मुकाबला करना आसान होगा। इसके अन्य लाभ के बारे में जानकारी देते हुए ब्रजेश पाठक ने कहा कि मरीजों का डाटाबेस तैयार होने से क्षेत्रवार, जिलेवार बीमारी व मरीजों की संख्या की जानकारी जुटाई जा सकेगी जो शोध के काम आएगा। स्वास्थ्य आईडी निःशुल्क और स्वैच्छिक होगी। यह आईडी स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण करने में मदद करेगी। इससे चिकित्सालयों में दवा, उपकरण की उपलब्धता का ब्यौरा भी तैयार होगा।