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एसजीपीजीआई में अब असाध्‍य रोग वाले मरीजों को कष्‍टरहित जीवन

20 बिस्‍तरों वाले पैलिएटिव केयर वार्ड का उद्घाटन, बीमारी के कारण होने वाली शारीरिक दिक्‍कतों को किया जायेगा दूर

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। असाध्‍य रोगों से ग्रस्‍त रोगियों को कष्‍टमुक्‍त जीवन देने के लिए संजय गांधी पीजीआई में पैलिएटिव केयर के लिए 20 बिस्‍तरों वाले वार्ड की शुरुआत की गयी है, इसका उद्घाटन बुधवार को संस्‍थान के निदेशक प्रो राकेश कपूर और मुख्‍य चिकित्‍सा अधीक्षक प्रो अमित अग्रवाल ने किया।

यह जानकारी देते हुए प्रो संजय धीराज ने बताया कि कैंसर व अन्‍य कई रोग ऐसे हैं जिनका उपचार अभी संभव नहीं है, ऐसे मरीज घर पर ही रहकर अपनी असाध्‍य बीमारी से लड़ते हैं लेकिन उस असाध्‍य बीमारी से होने वाली अन्‍य परेशानियों जिनका लक्षण के आधार पर उपचार किया जा सकता है, उसे देकर उन्‍हें राहत तो प्रदान की ही जा सकती है। इसी सोच को ध्‍यान में रखकर पैलिएटिव ओपीडी के साथ भर्ती करने के लिए 20 बिस्‍तर का वार्ड भी बनाया गया है।

प्रो धीराज ने बताया कि पैलिएटिव केयर बीमारी पर केंद्रित न होकर कष्‍ट पर केंद्रित होती है, इस देखभाल में मरीज को बीमारी के लक्षणों के कारण होने वाले तनाव, दर्द से छुटकारा दिलाने के लिए समग्र इलाज किया जाता है। प्रशिक्षित कार्यकर्ता व मरीज के घरवाले मिलकर दवाओं एवं अन्‍य चिकित्‍सा पद्धतियों द्वारा मरीज के दर्द निवारण में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उन्‍होंने बताया कि संस्‍थान का यह भी प्रयास है कि भविष्‍य में मरीजों को हॉस्पिस की सुविधा भी उपलब्‍ध करायी जाये। इसके तहत जिन मरीजों की देखभाल करने वाला कोई नहीं है, उन्‍हें अस्‍पताल में रखकर उनकी देखभाल की जाये। प्रो धीराज ने बताया कि कैंसर के अलावा पुरानी लाइलाज बीमारी, क्रॉनिक किडनी रोग, सीओपीडी और न्‍यूरोलॉजिकल बीमारियों जैसे अन्‍य असाध्‍य रोगों से ग्रस्‍त मरीज भी ओपीडी में आकर सलाह ले सकते हैं।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कैंसर के बहुत से मरीज हैं जो कि इलाज योग्य नहीं हैं लेकिन उन्हें गंभीर दर्द और अन्य परेशान करने वाले लक्षण हैं जो घर पर प्रबंधित करना बहुत मुश्किल है। उन्‍होंने बताया कि देखा गया है कि कैंसर जैसे असाध्‍य रोगों में दर्द और अन्य दुष्प्रभावों जैसे सांस, मतली और उल्टी, गंभीर कब्ज, जलोदर, फुफ्फुस बहाव से पीड़ित कोई भी कैंसर रोगी पेन एंड पैलिएटिव केयर (दर्द और उपशामक देखभाल) की ओपीडी में आ सकता है, मरीज की स्थिति को देखते हुए उसका उपचार किया जायेगा अगर जरूरी हुआ तो उसे भर्ती कर इलाज किया जायेगा ताकि उसे तुरंत आराम आ सके।