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पटाखों के धुएं से बिगड़े सांस के रोग को काबू में करने की तरकीब बतायी एसजीपीजीआई के विशेषज्ञ ने

-दीपावली पर सांस के रोगी सेहत का कैसे रखें खयाल, प्रो आलोक नाथ की ‘सेहत टाइम्स’ से विशेष वार्ता

प्रो आलोक नाथ

सेहत टाइम्स

लखनऊ। दीपावली पर पटाखों के धुएं से अस्थमा, सीओपीडी जैसे श्वास के रोगियों की स्थिति बिगड़ने की आशंका बनी रहती है, ऐसे रोगियों की स्थिति बिगड़ने पर जल्दी से जल्दी चिकित्सक को तो दिखाना ही चाहिये, लेकिन चिकित्सक को दिखाने जाने से पूर्व की अवधि में भी तात्कालिक आराम पाने के लिए रोगी जो भी इन्हेलर इस्तेमाल करते हैं, उसी दवा को इन्हेलर से न लेकर नेबुलाइजर से लेना चाहिये, इससे बहुत लाभ होता है। यह अत्यन्त महत्वपूर्ण सलाह संजय गांधी पीजीआई लखनऊ के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के हेड प्रो आलोक नाथ ने ‘सेहत टाइम्स’ के साथ विशेष बातचीत में दी।

ज्ञात हो दीपावली पर पटाखों का धुआं श्वास के रोगियों के लिए मुसीबत लेकर आता है, ऐसे में हमें क्या ध्यान रखना चाहिये, इस पर प्रो आलोक ने बताया कि अस्थमा, सीओपीडी, आईएलडी के साथ ही जो भी श्वास के रोग से ग्रस्त लोग हैं उनके लिए सलाह है कि दीपावली पर पटाखेे के धुएं से सख्ती से परहेज करें, क्योंकि ऐसा देखा गया है कि दीपावली के बाद करीब 10 से 15 दिनों तक मर्ज बिगड़ने के चलते अस्पताल आने वाले सीओपीडी, अस्थमा के रोगियों की संख्या काफी बढ़ जाती है।

प्रो आलोक नाथ ने बताया कि पटाखे जहां बनते हैं वहां के वातावरण में फंगस, कई तरह के संक्रामक पार्टिकल होते हैं, जो कि पटाखे चलाने के बाद निकलने वाले धुएं में मिल जाते हैं। इस प्रकार पटाखों का धुआं जहरीले तत्व, बैक्टीरिया, धूल के साथ ही इन संक्रामण तत्वों से भरा होता है। इसी वजह से अस्थमा-सीओपीडी के मरीजों ऐसे वातावरण से दूर रखना चहिये।

उन्होंने बताया कि जो श्वास के गंभीर रोगी हैं, उन्हें तो इन दिनों घर से बाहर नहीं निकलना चाहिये, और जो मरीज अपेक्षाकृत बेहतर हैं, और उनका अस्थमा दवा से कंट्रोल है, उन्हें मास्क जैसी पूरी सुरक्षा के साथ ही बाहर निकलना चाहिये। उन्होंने कहा कि मास्क साधारण भी लगाया जा सकता है, लेकिन बेहतर मास्क एन 95 होता है।

एक प्रश्न के उत्तर में डॉ आलोक ने बताया कि नाक में कड़ुवा तेल लगाने से बचाव होता है या नहीं, अभी इसकी कोई स्टडी उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि वैसे तेल से ज्यादा गाढ़ा म्यूकस तो प्राकृतिक रूप से हमारी नाक के अंदर मौजूद रहता है, प्रकृति ने नाक के अंदर बालों के रूप में एक फिल्टर लगाकर दिया है, जो एक लेवल तक हमेशा संक्रमण से बचाने का काम करता है। यह जरूर है कि संक्रमण का लेवल बढ़ने पर यह प्राकृतिक फिल्टर पूरी तरह नहीं रोक पाता है।

प्रो आलोक नाथ ने कहा कि मेरा सभी के लिए यह संदेश है कि दीपावली खुशियों का त्योहार है, और खुशियों को बांटकर जो खुशी मिलती है, हमें उसी में खुश रहना चाहिये।

 

 

 

 

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