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वैज्ञानिक प्रमाण में दिखा, योग से शारीरिक ही नहीं, मानसिक रोगों का भी इलाज

ओम का उच्‍चारण करता है मन शांत, अवसाद को भी भगाता है दूर

विश्‍व भर से आये मानसिक रोग के ऐलोपैथ डॉक्‍टरों ने भी माना योग का लोहा

 

लखनऊ। योग भगाये रोग, वह भी सिर्फ शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक भी। योग की महत्‍ता तो काफी समय से बतायी जा रही थी लेकिन मॉडर्न पद्धति से इलाज की विश्‍वस्‍तरीय स्‍वीकार्यता के आगे दूसरी पैथी से इलाज में उसकी प्रामाणिकता का मसला हमेशा आड़े आता है, और इस पर सवाल भी ऐलोपैथी से इलाज करने वाले अनेक चिकित्‍सक उठाते आये हैं। मानसिक रोगों का इलाज अंग्रेजी दवाओं से करने वाले दुनिया भर के करीब 3000 डॉक्‍टरों के लखनऊ में लगे जमावड़े के बीच निमहांस, बंगलुरू के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ बीएन गंगाधर ने भारतीय परंपरा और मनोरोग पर चर्चा करते हुए वैज्ञानिक प्रमाण प्रस्‍तुत किये।

डॉ प्रभात सिठोले

आपको बता दें कि भारतीय मनोरोग विज्ञान विभाग की केंद्रीय आंचलिक शाखा, केजीएमयू के मानसिक रोग विभाग और नूरमंजिल मनोरोग केंद्, लखनऊ के संयुक्‍त तत्‍वावधान में इंडियन मनोरोग सोसाइटी के 71वें राष्ट्रीय वार्षिक सम्मेलन लखनऊ के गोमती नगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्‍ठान में आयोजित किया जा रहा है। 3 फरवरी तक चलने वाले चार दिन के इस सम्‍मेलन का आज पहला दिन था। इस सममेलन में भाग लेने वाले केजीएमयू के मानसिक रोग विभाग के पूर्व विभागाध्‍यक्ष प्रो प्रभात सिठोले ने बातचीत में डॉ गंगाधर की योग से मानसिक रोग के इलाज के बारे में दी गयी महत्‍वपूर्ण जानकारी के बारे में बताया।

सम्मेलन में मनोचिकित्सा के क्षेत्र में प्रशंसनीय कार्य करने वाले भारतीय चिकित्सकों का परिचय कराता पोस्टर।

उन्‍होंने बताया कि डॉ गंगाधर ने जब वैज्ञानिक प्रमाण प्रस्‍तुत किये तो उन्‍हें भी लगा कि वाकई योग में दम है। उन्‍होंने कहा कि मैंने सुना तो था लेकिन आज वैज्ञानिक प्रमाण देखकर यकीन भी हो गया। उन्‍होंने बताया कि डॉ गंगाधर ने बताया कि उन्‍होंने इस पर रिसर्च की है। इसके परिणाम उत्‍साहजनक हैं। डॉ गंगाधर ने बताया कि जब हम ओम का उच्‍चारण करते हैं तो हमारी वेगस नर्व में जो झनझनाहट होती है और उससे मस्तिष्‍क को जो सिगनल जाते हैं, उससे मन शांत होता है। डॉ गंगाधर के अनुसार इससे अवसाद में भी फायदा देखा गया।

 

यही नहीं शोध में यह भी पाया गया कि इसके अतिरिक्‍त सीजोफ्रीनिया मानसिक रोग में भी इसका लाभ दिखा। आपको बता दें कि सीजोफ्रेनिया रोग में रोगी संसार से कट जाते हैं, वे फि‍र से संसार से जुड़ते देखे गये। यह पूछने पर कि ऐसे रोगी को समझ में कैसे आयेगा कि क्‍या करना है, उनका कहना था कि प्रत्‍येक रोगी न समझे यह आवश्‍यक नहीं है इसलिए जो भी रोगी समझ सकें कम से कम उन्‍हें तो फायदा होगा।