मरीजों के साथ किस प्रकार करें व्यवहार, दी गयी इसकी जानकारी
लखनऊ। आपाधापी भरी जिन्दगी के बीच चिकित्सक और मरीज के बीच के रिश्ते को मजबूती देने के लिए आवश्यक है कि चिकित्सक के व्यवहार में सौम्यता दिखे, क्योंकि चिकित्सक का व्यवहार मरीज की परेशानी को काफी हद तक कब कर सकता है। इसीलिए किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय दंत विभाग में भविष्य के दंत विशेषज्ञों यानी बीडीएस के छात्र-छात्राओं के लिए आज संस्कारशाला लगायी गयी। इस संस्कारशाला में विद्यार्थियों को उनके गुरुओं ने संस्कार के पाठ पढ़ाये क्योंकि किताबी ज्ञान के साथ अगर चिकित्सक संस्कारिक नहीं है तो वह मरीज का हमदर्द नहीं बन सकता।
समारोह में मुख्य अतिथि प्रो एमएलबी भट्ट ने अपने सम्बोधन में कहा कि चिकित्सक को मरीजों से उसी भाषा में बातचीत करनी चाहिये, जिसमे वह समझ सके, साथ ही उसके अंदर का भय निकल सके और मरीज सहजता पूर्वक चिकित्सक को पूरी समस्या बता सके, क्योंकि मरीजों के पास केवल बीमारी ही समस्या नहीं होती है, आर्थिक कमजोरी या परिवारिक दिक्कतें भी हो सकती हैं। जिसकी वजह से इलाज कराना कठिन हो चुका है। यह नसीहत कुलपति प्रो.एमएलबी भ्रष्ट ने डेंटल विभाग में सॉफ्ट स्किल डेवलपमेंट कार्यशाला में बीडीएस तृतीय वर्ष छात्रों को संबोधित करते हुए कही।
न्यू डेंटल बिल्डिंग में सीपी गोविला सभागार में डेंटल विभाग और भारतेन्दु नाट्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला की जानकारी देते डॉ.रामेश्वरी सिंघल ने बताया कि केजीएमयू केवल चिकित्सक ही नहीं बनाता है बल्कि समाज के लिए कुशल चिकित्सक तैयार करता है। इसी उद्देश्य से मेडिकोज को इलाज के दौरान आने वाली दिक्कतों और मरीजों के साथ उत्तम व्यवहार स्थापित करने के तरीकों को सिखाने के लिए ‘संस्कार’ दिये गये। उन्होंने बताया कि स्टूडेंट्स को जो बातें बतायी गयीं वे पांच बिन्दुओं पर केंद्रित थीं। पहली मरीज के साथ एक समय में एक मरीज पर ध्यान केंद्रित करके उससे बात करना, दूसरी उसकी सभी तकलीफों को जानना, तीसरा उसका इलाज किस प्रकार किया जायेगा, इस बारे में बताना, चौथा मरीज किस पृष्ठभूमि से आ रहा है, जिस स्तर का हो उसको ध्यान में रखते हुए बात करना तथा अपनी बॉडी लेंग्वेज ऐसी रखना कि मरीज सहज ढंग से अपनी बात कर सके।
बीडीएस तृतीय वर्ष के विद्यार्थियों के लिए आयोजित की गयी कार्यशाला
उन्होंने बताया कि कार्यशाला का आयोजन तृतीय वर्ष के बीडीएस छात्रों के लिए किया गया था, क्योंकि तृतीय वर्ष में छात्र को मरीजों के इलाज की शिक्षा के लिए भेजा जाता है। उन्हें बताया गया कि अपने व्यवहार व शब्दों के चयन से मरीजों के साथ कैसे अच्छा रिश्ता स्थापित कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि कार्यशाला में पहले, भारतेन्दु नाट्य अकादमी के कलाकार अस्पताल में मरीजों और चिकित्सकों के बिगड़ते रिश्तों का नाटक प्रस्तुत किया, बाद में विशेषज्ञों के निर्देश पर सुधारात्मक नाटक प्रस्तुत कर शिक्षा दी गई। डॉ.सिंघल ने बताया कि आजकल डॉक्टरों के पास मरीजों को देखने के लिए समय कम है, लिहाजा मरीजों और चिकित्सकों के मध्य आपसी व्यवहार बिगड़ता जा रहा है। छात्रों को बताया कि अस्पताल में सकारात्मक माहौल कैसे बनाया जाये।
मरीजों के सामने खुश दिखें, भले ही खुश होने का नाटक करना पड़े
पूर्व डीन प्रो एपी टिक्कू ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि मरीज जब आपके पास अपना दर्द लेकर पहुंचे तो उसके सामने आप खुश होकर ही व्यवहार करें इससे मरीज के अंदर का डर और संकोच खत्म हो जायेगा और वह आपसे सहज होकर बात कर सकेगा, अपनी समस्या बता सकेगा। उन्होंने कहा यह सही है कि बहुत बार ऐसा होता है कि चिकित्सक अपनी समस्याओं से जूझ रहा होता है और वह उस दौरान जब मरीज देखता है तो उसके अंदर परेशानी के भाव भी आ सकते हैं लेकिन उस समय यह सोचना चाहिये कि आपके पास आया मरीज भी अपनी परेशानी लेकर आप पर पूरा विश्वास करके आया है। उसके विश्वास को बनाये रखना आपका कर्तव्य है इसलिए आपको अपनी परेशानी भूलकर अपने खुशनुमा चेहरे के साथ उसका उपचार करना चाहिये, भले ही इसके लिए आपको खुश होने का नाटक करना पड़े। उन्होंने कहा कि देखा जाये तो जिन्दगी भी तो एक नाटक ही है।
इस अवसर पर भारतेंदु नाटक अकादमी के निदेशक रमेश चन्द्र गुप्ता ने बताया कि कैसे मरीजों के प्रति सहानूभूति रखी जाए और उनकी शारीरिक एवं मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए एक बेहतर माहौल में उनका इलाज किया जाए। इस कार्यशाला में फार्माकोलॉजी के प्रोफेसर आरके दीक्षित ने पहला लेक्चर लेते हुए बहुत ही आसान और रोचक तरीके से समझाया कि कैसे मरीजों के साथ बेहतर ढंग से संवाद किया जाए। इस अवसर पर डॉ.दिव्या मेहरोत्रा, डॉ.पवित्र रस्तोगी, डॉ.पूरन चंद्र, डॉ.एपी टिक्कू, डॉ.शादाब मोहम्मद, डॉ ऋचा खन्ना, डॉ ऋदम ने भी छात्रों को गुर सिखाये। समारोह में डॉ अंजनी कुमार पाठक, डॉ लक्ष्य कुमार, डॉ शालीन चन्द्रा ,डॉ अरुणेश तिवारी मुख्य रूप से उपस्थित रहे।