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सिर्फ रोबोट सफलता की गारंटी नहीं, सर्जन के अनुभव पर निर्भर करती है रोबोटिक सर्जरी की कामयाबी

-हेल्थसिटी विस्तार हॉस्पिटल में हाफ और फुुल नी रीप्लेसमेंट रोबोटिक सर्जरी सुविधा का 6 सितम्बर को उदघाटन करेंगे ब्रजेश पाठक

सेहत टाइम्स

लखनऊ। रोबोटिक सर्जरी का अर्थ यह नहीं है कि वह सिर्फ रोबोट होने के कारण सर्जरी कामयाब होगी ही, रोबोटिक सर्जरी में कामयाबी इस बात पर निर्भर करती है कि रोबोटिक सर्जरी करने वाला सर्जन कितना अनुभवी है। दरअसल रोबोटिक सर्जरी को रोबोटिक असिस्टेड सर्जरी कहना ज्यादा उपयुक्त है, क्योंकि इस रोबोट का संचालन सर्जरी के समय सर्जन ही करता है, सर्जरी वाली जगह को कई गुना बड़ा कर देखने से सर्जन को सटीक प्रक्रिया करना आसान कर देता है जिससे आसपास के टिश्यू का कम से कम नुकसान होता है। हमारे हेल्थसिटी विस्तार अस्पताल में रोबोटिक घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी की सुविधा उपलब्ध हो गयी है, इसका उद्घाटन कल 6 सितम्बर को उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक द्वारा किया जायेगा। इस मौके पर रोबोटिक सर्जरी का लाइव प्रसारण भी किया जायेगा। कल के कार्यक्रम में देश के दो नामी रोबोटिक सर्जन कोलकाता से डॉ विकाश कपूर तथा दिल्ली से डॉ साइमन थॉमस भी हिस्सा लेंगे।

य​ह जानकारी आज 5 सितम्बर को लखनऊ में गोमती नगर विस्तार स्थित हेल्थसिटी विस्तार सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर में आयोजित पत्रकार वार्ता में अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर व सीनियर कन्सल्टेंट ऑर्थोपैडिक सर्जन डॉ संदीप कपूर और अस्पताल के डायरेक्टर व सीनियर कन्सल्टेंट ऑर्थोपैडिक सर्जन डॉ संदीप गर्ग ने दी। डॉक्टरद्वय ने बताया कि हमारे अस्पताल में लगे रोबोटिक सर्जिकल सिस्टम में रोबोट की सहायता से हैंडहेल्ड तकनीक से पूरा घुटना प्रत्यारोपण और आधा घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी किया जाना संभव है। उन्होंने बताया कि यह रोबोटिक प्रक्रिया आर्थोपेडिक सर्जरी में सटीकता और दक्षता बढ़ाती है। इसमें सर्जन को रोगी की विशिष्ट शारीरिक रचना के आधार पर सर्जरी की योजना बनाने और उसे सटीक रूप से करने में मदद करने के लिए 3D मॉडलिंग और कंप्यूटर-सहायता प्राप्त तकनीक का उपयोग किया जाता है, जिससे पारंपरिक सर्जरी की तुलना में कम ऊतक क्षति और तेज़ी से रिकवरी होती है।

उन्होंने बताया कि जब सर्जरी शुरू होती है उस समय कैमरे की मदद से रोबोट में मरीज के घुटने की अंदरूनी स्थित स्पष्ट दिख जाती है, रोबोट इस स्थिति के अनुसार सर्जन को यह गाइड कर देता है कि इस मरीज के जोड़ की स्थिति कैसी है, ज्वाइंट कितना घिसा है, कितना बचा है, उसके अनुसार कम्प्यूटर यह बता देता है कि इस मरीज को किस साइज का घुटना प्रत्यारोपित किया जायेगा, कितना गैप रखना है, इसका पूरा प्लान तैयार कर देता है इस प्लान के अनुसार सर्जन हड्डी की घिसाई करके प्रत्यारोपण करता है, और इसी समय अनुभव काम आता है क्योंकि कुछ चीजें कम्प्यूटर भी नहीं पकड़ पाता है, जिनका ध्यान सर्जन अपने अनुभव के आधार पर रखता है, कहा जा सकता है कि जब कम्प्यूटर+अनुभव का मिश्रण होता है तो परिणाम बहुत अच्छा आता है। डॉ गर्ग ने बताया कि आधा घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी ज्यादातर कम उम्र के मरीजों की होती है, उम्र कम है तो आधा घुटना बदल दिया जाता है कुछ साल बाद पूरा घुटना बदला जाता है।

डॉ कपूर ने बताया कि हम लोग जो रोबोट सिस्टम इस्तेमाल कर रहे हैं उसकी खासियत यह है कि एआई तकनीक से युक्त होने के कारण सर्जरी की प्रक्रिया के दौरान रोबोट सर्जन को गाइड करता है, या यूं कहें कि गलती होने से पूर्व ही आगाह कर देता है। उन्होंने बताया कि रोबोटिक सर्जरी की सुविधा का यह अर्थ नहीं है कि हम सभी नी रीप्लेमेंट सर्जरी रोबोट से ही करेंगे, अगर रोबोटिक सर्जरी परम्परागत सर्जरी से बेहतर है तभी इसकी सलाह मरीज को दी जाती है, वरना सिम्पल सर्जरी से ही प्रत्यारोपण हो जाता है। इसके लिए मरीज के साथ काउंसलिंग करके ही आगे की दिशा तय की जाती है।

एक सवाल के जवाब में चिकित्सकों ने बताया कि घुटना प्रत्यारोपण के लिए साधारण सर्जरी और रोबोटिक सर्जरी में सिर्फ सर्जरी वाले एरिया को सुन्न किया जाता है, इसलिए मरीज को पूरी बेहोशी देने की जरूरत नहीं पड़ती है। उन्होंने बताया कि शुरू में हम बहुत कम खर्च पर रोबोटिक घुटना सर्जरी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि शीघ्र ही हमलोग बेरियाट्रिक सर्जरी (मोटापा कम करने की सर्जरी) भी शुरू कर रहे हैं, इसके लिए मोहक बेरियाट्रिक्स एंड रोबोटिक सर्जरी के साथ करार हुआ है। हम लोग एक माह में 25 से 30 बेरियाट्रिक सर्जरी करेंगे। उन्होंने बताया कि हम लोग अस्पताल में सुविधाओं का और विस्तार कर रहे हैं, जैसे अभी 150 बेड से शुरू किया है, एक से डेढ़ साले के अंदर इसे 250 बेड का कर लेंगे। ऑपरेशन​ थियेटर शुरू में चार थे, अब छह हो गये हैं, जल्दी ही ये आठ हो जायेंगे।

 

 

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