Sunday , December 8 2024

सांस के रोगी अपनी हड्डियों की मजबूती पर भी रखें नजर : डॉ सूर्यकान्‍त

-केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में मनाया जा रहा विश्‍व फीजियोथेरेपी जागरूकता माह  

-जागरूकता शिविर में हड्डियों की क्षमता जांचने के लिए किया गया मरीजों का बीएमडी टेस्‍ट  

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्‍सा वि‍श्‍व विद्यालय के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्‍यक्ष प्रो सूर्यकान्‍त ने सांस की बीमारी से पीड़ि‍त रोगियों को सलाह दी है कि वे समय-समय पर अपनी हड्डियों की मजबूती देखने के लिए की जाने वाली जांच बोन मिनिरल डेनसिटी (बीएमडी) टेस्‍ट अवश्‍य करवाते रहें, क्‍योंकि सांस फूलने के चलते अक्‍सर रोगी चलने, दौड़ने, भागने, सीढ़ी चढ़ने आदि से बचते हैं, कम मूवमेंट और बढ़ती उम्र के चलते उनकी हड्डियों की क्षमता कमजोर हो जाती है, जो कि थोड़ी सी भी चोट लगने पर फ्रैक्‍चर का कारण बन सकती है। ऐसे में जांच की रिपोर्ट के आधार पर हड्डियों की मजबूती की दवा लेकर अप्रिय स्थिति से बचा जा सकता है।

ज्ञात हो सितम्बर माह को विश्व फीजियोथेरेपी जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में श्वसन पुनर्वास एवं बोन मिनिरल डेनसिटी के लिए जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रो सूर्यकान्त ने बताया कि सांस के रोगियों की अक्‍सर दौड़ने पर, भागने पर, सीढ़ी चढ़ने पर और तेज चलने पर सांस फूलती है इसलिए वह चलने से बचते हैं, उम्र के साथ उनकी हड्डियां भी कमजोर हो जाती हैं। ऐसे सांस के रोगी जो कई सालों से सांस के रोगी हैं, और उम्र भी 40 के ऊपर है ऐसे रोगियों का अपनी हड्डियों की क्षमता (बोन मिनिरल डेनसिटी) की जांच जरूर करवानी चाहिए। आज इस शिविर में 60 मरीजों की बोन मिनिरल डेनसिटी की निःशुल्क जांच की गयी। सांस के रोगियों में लगभग 70 प्रतिशत लोगों की बोन मिनिरल डेनसिटी (बी.एम.डी.) कम पायी गयी, इन सभी को समुचित उपचार दिया गया।

धूप में जरूर बैठें, वॉक भी करें

सांस के मरीजों को हड्डियों की क्षमता को बढ़ाने के लिए डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि धूप में जरूर बैठें और चलते रहें, वाकिंग इज दी बेस्ट एक्सरसाइज, और अपनी रक्त में कैल्शियम, विटामिन डी की जांच बीच-बीच में अवश्य कराते रहें। इसके साथ जिन लोगों को हड्डियों में या शरीर में दर्द रहता है उन लोगों को बोन मिनिरल डेनसिटी तथा रक्त में कैल्शियम, विटामिन डी की जांच अवश्य करवानी चाहिए। जिनकी सांस कई वर्षों से फूल रही हो उन्हें भी साल भर में एक बार बोन मिनिरल डेनसिटी की जांच अवश्य करानी चाहिए और अगर यह कम पायी जाती है तो अपने चिकित्सक से सलाह लें और इसका उचित इलाज करें।

इस अवसर पर श्वसन पुनर्वास के लिए कार्डियो रेस्पिरेटरी फिजियोथेरेपिस्ट डॉ शिवम श्रीवास्तव ने श्वसन पुनर्वास फीजियोथेरेपी की एक्सरसाइजेस की सलाह दी तथा सोशल वर्कर जिज्ञासा सिंह ने सभी मरीजों की काउंसि‍लिंग की, साथ ही डाइटिशियन दिव्यानी गुप्ता ने डाइट की सलाह दी। डॉ अंकित कुमार ने बताया कि श्वसन पुनर्वास पर आने वाले समस्त सांस के रोगियों का विशेष खयाल रखा जाता है और हमेशा जानकारी ली जाती है कि उनकी हड्डियां कमजोर हैं कि नहीं, इसी आधार पर उन सभी को चिकित्सकीय सलाह दी जाती है।

इस अवसर पर विभाग के चिकित्सक डॉ एसके वर्मा, डॉ आरएस कुशवाहा, डॉ संतोष कुमार, डॉ राजीव गर्ग, डॉ अजय कुमार वर्मा, डॉ दर्शन कुमार बजाज,  डॉ ज्योति बाजपेई, डॉ अंकित कुमार, जूनियर डॉक्टर्स एवं विभाग के अन्य कर्मचारीगण भी उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.