लखनऊ। बाबा रामदेव के भारत स्वाभिमान न्यास पतंजलि योगपीठ द्वारा सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन योगा एंड नेचुरोपैथी, मिनिस्ट्री ऑफ आयुष भारत सरकार द्वारा के सहयोग से यहां लखनऊ में आयोजित उत्तर प्रदेश योग महोत्सव में दूसरे दिन देश भर से आये योगचार्यों ने जहां योग की महत्ता बतायी वहीं आधुनिक चिकित्सा यानी ऐलोपैथी के विशेषज्ञों ने भी योग के जरिये स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने का आह्वान किया। वल्लभभाई पटेल चेस्ट संस्थान नयी दिल्ली के पूर्व निदेशक व किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय के विभागाध्यक्ष डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि जैसा कि देखा गया है कि योग करने से डायबिटीज की दवा का डोज कम हो गया। उन्होंने योग से इलाज पर जोर देतेे हुए इस पर रिसर्च करने का आह्वान किया। उनका कहना था कि अनुसंधान करके प्रत्येक बीमारी के लिए योग का डोज तय करें, कि किस रोग में कौन सी क्रिया करने से लाभ होगा।
जीवन जीने की कला है योग
डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि मेरी उम्र इस समय 68 वर्ष है और मैं पिछले 20 वर्षों से योग कर रहा हूं। उन्होंने बताया कि मुझे योग सीखने की प्रेरणा बाबा रामदेव को टीवी पर योग करते देखकर मिली। उन्होंने कहा कि मेरा अपना अनुभव है कि योग अनुशासन है, योग आसन है तथा योग जीवन जीने की कला है। उन्होंने कहा कि योग स्मार्ट बनाता है, स्मरण शक्ति बढिय़ा रखता है तथा प्रशासनिक कार्य करने में मदद करता है।
उन्होंने कहा कि योग करने से मस्तिष्क शांत रहता है, उन्होंने कहा कि जिस दिन मैं योग नहीं करता हूं तो लगता है कि जैसे कुछ खालीपन है। उन्होंने कहा कि योग हर उम्र में लोगों को फिट रखता है। उन्होंने यह भी कहा कि हर पैथी में कुछ न कुछ अच्छाइयां हैं, इसलिए बेहतर होगा कि सभी चिकित्सा पद्धतियों को साथ लेकर चला जाये।
केशव प्रसाद मौर्य भी पहुंचे योग महोत्सव में
आज ही उत्तर प्रदेश सरकार के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी योग महोत्सव में पहुंचे। अपने सम्बोधन में उन्होंने बाबा रामदेव के पतंजलि द्वारा मल्टीनेशनल कम्पनियों को मात देते हुए स्वदेशी वस्तुओं के अभियान की सराहना की। उन्होंने बाबा रामदेव को उत्तर प्रदेश में भी पतंजलि के प्लांट लगाने का न्यौता देते हुए कहा कि इससे उत्तर प्रदेश के युवाओं को रोजगार रुकेगा और उनका पलायन रुकेगा। एक अन्य मंत्री धर्मपाल सिंह ने भी योग महोत्सव में पहुंचकर योग को विश्वपटल पर ले जाने के लिए बाबा रामदेव की तारीफ की। इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने श्री मौर्य और धर्मपाल को शॉल ओढ़ाकर और स्मृति चिन्ह देकर उनका सम्मान किया।