-होम्योपैथिक की एक दवा से बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक की आयु वालों को हुआ लाभ
-प्रस्तुत किये गये मॉडल केसेज में डेढ़ वर्ष की आयु का एक बच्चा भी शामिल

सेहत टाइम्स
लखनऊ। शरीर पर होने वाले सफेद दाग (विटिलिगो) मन:स्थिति से पैदा होने वाला रोग है, तथा स्टडी में पाया गया है कि मन:स्थिति को बिगाड़ने के लिए जिम्मेदार कारणों में डरावने स्वप्न, किसी चीज का भ्रम होना या किसी बात को लेकर डर लगना मुख्य कारण पाये गये हैं। ऐसे में इसे साइको डर्मेटोलॉजी रोग कहा जा सकता है। अध्ययन से पता चलता है कि सभी उम्र और दोनों लिंगों के रोगियों को ठीक किया जा सकता है। उपचार के दौरान इन मरीजों पर कोई आहार प्रतिबंध नहीं लगाया गया। दाग को ठीक करने के लिए किसी बाहरी मलहम का उपयोग भी नहीं किया गया। मरीज की हिस्ट्री के अनुसार गहनता से अध्ययन करते हुए होम्योपैथिक की एक ही प्रकार की दवा (मल्टी ड्रग्स नहीं) का चुनाव किया गया, जिससे उन्हें फायदा हुआ। शोध में विटिलिगो के उपचार में सफलता की दर 50 प्रतिशत पायी गयी।

यह महत्वपूर्ण जानकारी अंतर्राष्ट्रीय फोरम फॉर प्रमोशन ऑफ होम्योपैथी IFPH द्वारा प्रतिदिन किये जा रहे वेबिनार की शृंखला की 23 सितम्बर को आयोजित 1118वीं कड़ी में लखनऊ स्थित गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च (जीसीसीएचआर) के चीफ कन्सल्टेंट डॉ गिरीश गुप्ता ने विटिलिगो पर अपने प्रेजेन्टेशन के दौरान दी। ज्ञात हो डॉ गुप्ता ने आठ दिन पूर्व 15 सितम्बर को भी इसी फोरम के वेबिनार में विटिलिगो पर अपना प्रेजेन्टेशन हिन्दी भाषा में दिया था, बाद में गैर हिन्दी भाषी देश-विदेश के लोगों की जबरदस्त मांग पर IFPH ने 23 नवम्बर को विटीलिगो विषय पर ही अंग्रेजी भाषा में एक वेबिनार का आयोजन किया।

भारतीय समयानुसार रात्रि 8 बजे से आयोजित इस वेबिनार में डॉ गिरीश ने बताया कि 15 सितम्बर को हिन्दी में उनके द्वारा प्रस्तुत किये गयी विटिलिगो के व्याख्यान और आज 23 सितम्बर को प्रस्तुत किये जा रहे व्याख्यान में सफेद दाग पर की गयी रिसर्च के फैक्ट तो पुन: प्रस्तुत किये गये हैं, क्योंकि फैक्ट तो बदल नहीं सकते हैं, लेकिन 15 सितम्बर को प्रस्तुत व्याख्यान में जिन पांच मॉडल केसेज के बारे में बताया था, उन्हें यहां रिपीट न करके दूसरे नये पांच मॉडल केसेज को प्रस्तुत किये गये हैं। पिछले वेबिनार में जहां 12, 10, 15, 16 और 22 वर्ष के मरीजों के मॉडल केस प्रस्तुत किये गये थे वहीं इस बार डेढ़ वर्ष, साढ़े तीन वर्ष, 5 वर्ष, 48 वर्ष और 58 वर्षीय मरीजों के मॉडल केस प्रस्तुत किये गये।

डॉ गिरीश ने बताया कि ऑटो इम्यून डिजीज विटिलिगो का सम्बन्ध मन यानी मानसिक सोच से होता है, इस बात को अब ऐलोपैथी के चिकित्सक भी मानने लगे है, जबकि होम्योपैथी का मूल सिद्धांत ही यही है इसमें disease in person नहीं बल्कि person in disease देखा जाता है यानी इलाज रोग का नहीं बल्कि रोगी का होता है। उन्होंने बताया कि सभी केसेज में मरीज की हिस्ट्री लेने पर उसके साथ घटी घटनाओं, उसकी आदतों, पूर्व में या वर्तमान में जिन परिस्थितियों का उसकी मनोदशा पर असर पड़ा जैसी बातों के आधार पर मरीज की मानसिक स्थिति को समझते हुए दवा का चुनाव किया गया।


विटिलिगो से ग्रस्त मरीजों में पाये जाने वाले लक्षणों में डरपोक, जिद्दी, कम एकाग्रता, गणित में अयोग्य, लापरवाह, अंधेरे का डर, कायरता, अकेले रहने का डर, नीरसता, नमकीन भोजन की इच्छा, पेट के बल सोना, रात में अनैच्छिक पेशाब, बात-बात पर गुस्सा आना, नखरे करना, किसी को देखकर जलना, मूडी होना, मीठा खाने की इच्छा, प्यास ज्यादा लगना जैसी दर्जनों आदतों को देखते हुए ही दवा का चुनाव किया गया।

उन्होंने बताया कि सफेद दाग के लिए जिन कारणों को जिम्मेदार माना गया उनमें गुस्से को दबाना, किसी बात को लेकर दु:ख, प्रियजनों की मृत्यु, निराशा, मानसिक सदमा, अपमान, यौन शोषण, धोखा, किसी की परवाह ज्यादा करना, उसके प्रति चिंतित रहना, महत्वाकांक्षा, धोखा, भय, प्रत्याशा, वित्तीय हानि, आक्रोश, भ्रम होना आदि शामिल रहे।
डॉ गिरीश ने जिन पांच मॉडल केसेज के बारे में विस्तार से प्रेजेन्टेशन दिया उनमें पहला केस एक 5 वर्षीय बच्चे के बारे में बताया जिसकी उंगलियों व अंगूठे में सफेद दाग थे। इस बच्चे को कॉकरोच से बहुत डर लगता था, यहां तक कि कॉकरोच के होते हुए वह बाथरूम तक नहीं जाता था। उन्होंने इस बच्चे की इलाज से पूर्व 1 मई, 2017 की फोटो व उपचारित होने के बाद 13 फरवरी, 2018 की फोटो भी दिखायी। दूसरा केस 48 वर्षीया महिला का था, इसकी कुहनी, पैर, हाथ, एबडोमेन में सफेद दाग थे। तीसरा केस 58 वर्षीय पुरुष का था जिनकी गरदन के पास दाढ़ी के ऊपर सफेद दाग थे। इस मरीज की हिस्ट्री से पता चला कि मरीज नगर निगम में कार्यरत थे, जहां पर इनका एक भूमाफिया से झगड़ा हो गया था, इन्हें सदमा तब लगा जब उस भूमाफिया ने इनके सीनियर ऑफीसर से मिलकर अपने पक्ष में ऑर्डर करवा लिया, उन अधिकारी ने इनका पक्ष न लेकर उस भूमाफिया के पक्ष में ऑर्डर कर दिया। उन्होंने बताया कि इस घटना के एक सप्ताह बाद से इस मरीज को सफेद दाग होने शुरू हो गये थे। चौथा केस डेढ़ वर्षीय बच्चे का बताया। इस बच्चे के लक्षण और आदत आदि जानने में टीम को बहुत मेहनत करनी पड़ी, बच्चे को गर्मी बहुत लगती थी। पांचवां मॉडल केस साढ़े तीन वर्ष के बच्चे का बताया जिसके ऊपर के होठ के किनारे सफेद दाग थे।

वेबिनार के दौरान डॉ गुप्ता ने कुछ और मरीजों के भी फोटो दिखाये। विटिलिगो पर की गयी उनकी स्टडी, जो कि एशियन जर्नल ऑफ होम्योपैथी में छपी है, के बारे में उन्होंने बताया कि 753 लोगों की स्टडी में 90 मरीजों को बहुत लाभ हुआ जबकि 288 मरीजों को कुछ कम लाभ हुआ, 268 की स्थिति दवा से न तो अच्छी हुई और न ही खराब हुई, जबकि 107 लोगों को कोई लाभ नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इस तरह देखा जाये तो कुल 378 (90 प्लस 288) मरीजों यानी लगभग 50 प्रतिशत मरीजों को दवा से लाभ हुआ।
डॉ गिरीश ने बताया कि विटिलिगो में बहुत से होम्योपैथिक चिकित्सक कुछ चुनी हुई दवाएं मरीजों को देते हैं, लेकिन उनसे लाभ नहीं होता है, इसलिए प्रत्येक मरीज के लक्षणों को ध्यान में रखते हुए दवा का चुनाव डॉ हैनिमैन द्वारा बताये गये सिद्धांत कि इलाज रोग का नहीं, रोगी के पूरे शरीर को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिये’।
