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रोगी काया को निरोगी बनाने के पथ को प्रदर्शित करती पुस्‍तक ‘अच्‍छे इलाज के 51 नुस्‍खे’ का विमोचन

-लेखक सर्जन प्रो संदीप कुमार ने कहा, 40 वर्षों की मेडिकल साइंस की समझ को उतारा है पुस्‍तक में
-पुस्‍तक के सह लेखक हैं अजय कुमार अग्रवाल, आस्‍था हॉस्पिटल में आयोजित हुआ विमोचन समारोह


सेहत टाइम्‍स
लखनऊ।
अच्‍छा स्‍वास्‍थ्‍य जिन्‍दगी का दूसरा नाम है क्‍योंकि अच्‍छा स्‍वास्‍थ्‍य ही हमें गुणवत्‍ता से भरा जीवन जीने का मौका देता है, इस स्‍वास्‍थ्‍य को बनाये रखने की जिम्‍मेदारी उस व्‍यक्ति की स्‍वयं की सबसे ज्‍यादा होती है, लेकिन यह भी सत्‍य है कि लाख जतन के बाद भी स्‍वास्‍थ्‍य में कभी-कभी गिरावट आ ही जाती है, ऐसे में हमारा तुरंत ध्‍यान उपचार की ओर जाता है। तुरंत मस्तिष्‍क में सवाल कौंधता है कि क्‍या करें ?????


इस क्‍या करें का जवाब है पुस्‍तक ‘अच्‍छे इलाज के 51 नुस्‍खे’ किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर तथा एम्‍स भोपाल के निदेशक रह चुके डॉ संदीप कुमार, जो वर्तमान में आस्‍था हॉ‍स्‍पाइस में शल्‍य चिकित्‍सा सेवाएं दे रहे हैं, ने अपनी रचनात्‍मक सोच को पन्‍नों में उतारने का फैसला लिया और लिख दी किताब ‘अच्‍छे इलाज के 51 नुस्‍खे’। इस पुस्‍तक को लिखने में उनका सहलेखक के रूप में साथ दिया है अजय कुमार अग्रवाल ने। इस पुस्‍तक का आज यहां आस्‍था हॉस्पिटल में एक सादे समारोह में विमोचन हुआ। समारोह के मुख्‍य अतिथि के रूप में सीआरपीएफ के रिटायर्ड डीजी डॉ एपी माहेश्‍वरी उपस्थित थे।


पुस्‍तक का विमोचन डॉ एपी माहेश्‍वरी ने लेखक डॉ संदीप कुमार, सह लेखक अजय कुमार अग्रवाल के साथ ही लखनऊ के पूर्व मुख्‍य चिकित्‍सा अधिकारी डॉ एके शुक्‍ला, केजीएमयू की पूर्व प्रोफेसर डॉ रश्मि कुमार, केजीएमयू के पूर्व प्रोफेसर डॉ विनोद जैन के साथ ही आस्‍था हॉस्पिटल एवं आस्‍था ओल्‍ड एज होम के संस्‍थापक डॉ अभिषेक शुक्‍ला के साथ किया।


पुस्‍तक के बारे में जानकारी देते हुए डॉ संदीप कुमार ने बताया कि यह पुस्‍तक मेरे 40 वर्ष की मेडिकल साइंस की समझ को जनसामान्‍य तक उतारने का प्रयत्‍न है। इस पुस्‍तक को लिखने में एक वर्ष का समय लगा। उन्‍होंने बताया कि यह पुस्‍तक बीमारी और मृत्‍यु का सामना करना सिखाती है, इसके अध्‍याय 48 में कुबलर रॉस के सिद्धांत को यदि आप समझ लेंगे तो विषम परिस्थितियेां भी आपका यह ज्ञान और आत्‍मविश्‍वास आपकी सहायता करेगा। रोगों के उपचार के साथ ही इन रोगों से बचने और रोग होने पर उनसे छुटकारा पाने जैसे समाधान के साथ ही सही डॉक्‍टर का चुनाव कैसे करें जैसी सलाह को भी बताया गया है।


डॉ संदीप कुमार ने बताया कि मेरा ऐसा विश्‍वास है कि ये पुस्‍तक जो भी पढ़ेगा, वह अच्‍छा इलाज कराने में ही नहीं, अपितु अपने स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति जागरूक भी हो जायेगा और अपने सेल्‍फ हीलिंग प्रोसेस अर्थात शरीर की रक्षा-सुरक्षा कम से कम दवाओं पर आश्रित रहकर स्‍वस्‍थ जीवन यापन कर सकने में सक्षम हो जायेगा।


डॉ संदीप ने सह लेखक अजय कुमार अग्रवाल के द्वारा चिकित्‍सा की इस पुस्‍तक में साझीदार बनाने के पीछे के राज के बारे में बताया कि कई बार ऐसा होता है कि डॉक्‍टर अपनी भाषा में मरीज या तीमारदारों को नहीं समझा पाता है ऐसे में डॉक्‍टर के कहने के आशय को कोई नॉन मेडिको अपने शब्‍दों में अपनी विशेष शैली के साथ समझाता है तो उस बात की ग्राह्यता कई गुणा बढ़ जाती है। अजय कुमार अग्रवाल का हिन्‍दी भाषा पर अच्‍छा नियंत्रण होने के साथ ही इनकी शैली अच्‍छी है, इस बारे में पुस्‍तक को जब पढ़ा जायेगा तो स्‍वत: अहसास होगा।


डॉ संदीप कुमार ने बताया कि इस पुस्तक में जिन 51 अध्यायों के बारे में जानकारी दी गई है उनमें विभिन्न चिकित्‍सा सेवाएं, रोजमर्रा की स्वास्थ्य समस्याएं-इलाज, अच्छे चिकित्‍सक की पहचान, रोगी अधिकार, अच्छे अस्पताल की पहचान, चिकित्सा नीति, शरीर के विकार और इलाज, अच्छे चिकित्सक से अच्छा इलाज, टेलीमेडिसिन, आयुष एवं अन्य चिकित्सा प्रणाली, ऐलोपैथी- आधुनिक चिकित्सा, लोक स्वास्थ्य, रोगी विवरण एवं डॉक्‍टर वार्तालाप, आधुनिक चिकित्सा-तकनीकी प्रयोग, इंटरनेट एवं गूगल से चिकित्सा, नकली औषधियां, साक्ष्य आधारित चिकित्सा, तीन व्याधियों का बोझ, स्वास्थ्यप्रद आचरण, मिथ्‍या चिकित्सा-क्वैकरी, परिवार नियोजन-मातृत्व स्वास्थ्य, संतुलित आहार एवं पोषाहार, मेटाबॉलिक सिंड्रोम, गट फ्लोरा, मादक पदार्थ दुरुपयोग, हाय-हाय ये कमबख्‍त मेरा पेट, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, रक्त वाहिका रोग, श्‍वसन रोग, स्वस्थ निद्रा, रयूमैटिज्‍म-आमवात गठिया, कैंसर कारण एवं इलाज, महिलाओं के रोग, स्तन विकार एवं रोग, थाइरॉयड विकार, आनुवांशिकी रोग, विकासात्मक विकार, कब्जियत, फिशर फिश्‍चुला, पैरों में दर्द, सूजन, वेरीकोज वेंस, मूत्र अंगों के रोग, मानसिक एवं तंत्रिका रोग, भारतीय मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, दुर्घटनाएं एवं चोटें, घर हेतु उपयोगी उपकरण, औषधियां, ट्रीएज – चिकित्सा प्राथमिकता, सौन्‍दर्य एवं बल की महत्वाकांक्षा, स्वस्थ वृद्धावस्था की तैयारी, मृत्यु एक प्राकृतिक घटना, दीर्घायु कैसे बनें, मेडिक्लेम बीमा-क्या-क्या देखें और सार संक्षेप शामिल हैं।


इस मौके पर आलोक त्रिपाठी, विमल चंद्र गोयल सहित अनेक नर्सिंग एवं पैरामेडिकल स्‍टाफ आदि कई लोग उपस्थित रहे।

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