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नयी तकनीक अपनाकर बढ़ाई जा सकती है आईवीएफ से माँ बनने की दर

देश भर से आये विशेषज्ञों ने मॉर्फिअस आईवीएफ समिट में की चर्चा  

 

लखनऊ. निःसंतान दम्पतियों की गोद भरने के लिए अपनाई जाने वाली तकनीक IVF से गर्भ ठहरने का प्रतिशत 30 से 40 है. इसे बढ़ाने के लिए नयी-नयी तकनीक से जटिल केसों का इलाज कैसे किया जाये इस पर लखनऊ स्थित होटल रेनासेंस में मॉर्फिअस आईवीएफ समिट का आयोजन किया गया. मॉर्फिअस आईवीएफ सेंटर द्वारा बीते रविवार को आयोजित इस समिट में दूर-दूर से आयीं देश भर के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया.

 

इस बारे में जानकारी देते हुए आयोजक कोर फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. सुनीता चंद्रा ने बताया कि समिट में कई महिलाओं में आईवीएफ तकनीक फेल होने के कारणों पर चर्चा की गयी. इन कारणों में प्रमुख थे कि जैसे किसी महिला की झिल्ली कमजोर है तो उसे कैसे मजबूत बनाया जाये, या उसके अंडे नहीं बनते हैं तो उसके लिए क्या करना चाहिए. इसके अलावा कई केस में यह सामने आता है कि पिता के शुक्राणु कमजोर हैं तो इसके लिए क्या करना चाहिए, इसी प्रकार कई महिलाओं में कई बार गर्भधारण होने के बाद फेल हो जाता है, इसका कैसे इलाज करें. डॉ. सुनीता का कहना है कि इन जटिल केसों को हल करने में इलाज की विधियाँ अपनाये जाने से सफलता का प्रतिशत निश्चित रूप से बढ़ने की आशा है.

 

उन्होंने बताया कि समिट का उद्देश्य था कि किस प्रकार से ज्यादा से ज्यादा निःसंतान दम्पतियों के घर में नन्हे पैरों की चहलकदमी हो तथा इसके लिए किस तरह से इलाज किया जाये. इस समिट में जिन विशेषज्ञों ने भाग लिया उनमें डॉ. शीतल सावनकर, डॉ. जयश्री श्रीधर, डॉ. नीरू ठकराल, डॉ. अंजू माथुर, डॉ. दिव्या अग्रवाल और डॉ. ऋतु प्रसाद शामिल थीं.

 

 

 

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