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एम्‍बुलेंस से लेकर अस्‍पताल के अंदर तक के संक्रमण को बचाने के लिए नये प्रोटोकॉल जारी

-लापरवाही के चलते अगर कोई चिकित्‍सा कर्मी संक्रमित हुआ तो जिम्‍मेदारों पर होगी कार्रवाई
-चिकित्‍सा कर्मियों मे संक्रमण को लेकर मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने जतायी चिंता
-सरकारी और निजी अस्‍पतालों दोनों में लागू होंगे ये प्रोटोकॉल, डीजी ने जारी किये निर्देश
-ओपीडी सेवाएं, विशेषतय: एंटीनेटल केयर, फ्लू कॉर्नर आदि सुचारु रूप से संचालित की जानी चाहिए

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चिकित्सा कर्मियों में बढ़ रहे कोरोना वायरस के संक्रमण पर चिंता व्यक्त की है और अपेक्षा की है कि सरकारी एवं निजी क्षेत्र में आकस्मिक चिकित्सकीय सेवाएं सुचारु रूप से उपलब्ध कराई जानी चाहिए साथ ही इस कार्य को अत्यंत सावधानी पूर्वक करना चाहिए जिससे चिकित्सा कर्मी संक्रमित न हों। इस संबंध में चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य महानिदेशक डॉ रुकुम केश की ओर से सभी अस्‍पतालों के प्रमुखों एवं सभी जिलों के मुख्‍य चिकित्‍सा अधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए कहा गया है कि पूर्व में भी कई तरह के प्रोटोकॉल जारी किये जा चुके हैं, वर्तमान में चिकित्‍सको, कर्मियों के संक्रमण के मामले सामने आने के बाद उच्‍च स्‍तर पर चिंता व्‍यक्‍त की गयी है। इसीलिए ये प्रोटोकॉल जारी किये जा रहे हैं, इसे सख्‍ती के साथ लागू करना है। पत्र के अनुसार ओपीडी, एंटीनेटल केयर, फ्लू कॉर्नर, आकस्मिक चिकित्सा एवं चिकित्सकीय परिवहन सुविधा के लिए कई प्रकार की सावधानियों का पालन किया जाना आवश्यक है।

इन प्रोटोकॉल का पालन करना अनिवार्य

-चिकित्सालयों में ड्यूटी प्रारंभ होने पर मास्क, हेड कैप, दस्ताने इत्यादि आवश्यकता के अनुसार प्रयोग में लाया जाए।

-ओपीडी कक्ष इमरजेंसी कक्ष इत्यादि में क्रॉस वेंटिलेशन की व्यवस्था हो एंड वॉशिंग सैनिटाइजेशन, डिस्पोजेबल ग्‍लब्‍स, फेस मास्‍क, पीपीई किट शू कवर इत्यादि का प्रयोग किया जाए एवं इनकी उपलब्धता निरंतर बनी रहे।

-टोकन के अनुसार रोगियों को चिकित्सकीय परामर्श की व्यवस्था हो जिससे चिकित्‍सक के कक्ष में एक बार में एक ही होगी रहे।

-वेटिंग एरिया में भीड़ ना एकत्रित हो सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन किया जाए।

-नियमित अंतराल पर कक्ष में उपलब्ध प्रत्येक वस्तु का विशेषकर स्टेथोस्‍कोप, ब्‍लड प्रेशर मशीन, फर्नीचर, चश्मा, लैपटॉप, कीबोर्ड, मोबाइल, टॉर्च, रिमोट, चाबी के गुच्छे, इलेक्ट्रिक स्विचस, दरवाजे खिड़कियां के हैंडल, लिफ्ट के बटन, उपकरणों की सतह, प्‍लेटफॉर्म आदि का नियमित सैनिटाइजेशन किया जाए।

-जहां तक संभव हो कक्ष में अनावश्यक फर्नीचर, स्टेशनरी, भारी पर्दे, कैलेंडर, शोपीस इत्यादि जिन्हें सैनिटाइज न किया जा सके।

-ड्यूटी के समय यथासंभव जलपान इत्यादि का प्रयोग न करना, ऐसा करने के पश्चात मास्‍क इत्यादि बदल लेना, एक बार प्रयोग किए हुए मास्‍क को किसी भी अवस्था में मेज अथवा जेब इत्यादि में न रखा जाए बल्कि बंद डस्टबिन में ही डाले जाएं।

-ऑटोक्‍लेव किए गए ऐप्रेन एवं गाउन का ही प्रयोग किया जाए। दस्ताने में लीकेज एवं छिद्रों को पहचानना एवं अन्य स्थानों का प्रयोग न किया जाए।

-प्रोटोकॉल के अनुसार पीपीई किट का प्रयोग किया जाए। अंगूठी, कड़े, कलावा, कलाई घड़ी इत्यादि का प्रयोग न करें। सभी रोगी द्वारा फेस कवर का प्रयोग अनिवार्य है।

पत्र में जिन चिकित्सकीय सेवाओं को सुनिश्चित करने को कहा गया है उनमें चिकित्सालयों में आवश्यक ओपीडी सेवाएं, विशेषतय: एंटीनेटल केयर, फ्लू कॉर्नर आदि सुचारु रूप से संचालित की जाए तथा चिकित्सा सेवाओं को और अधिक सुदृढ़ करते हुए संचालित किया जाए। सरकारी तथा निजी क्षेत्र के चिकित्सकों एवं चिकित्सा कार्य में लगे कर्मियों को कोरोना वायरस संक्रमण से बचाने के लिए उन्हें बचाव से संबंधित आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने की कार्यवाही का प्रभाव भी किया जाए।

उन्होंने कहा है कि चिकित्सक अथवा चिकित्सा सेवा में लगे अन्य कर्मियों के संक्रमित हो जाने से चिकित्सा व्यवस्था के सुचारु संचालन में अत्यधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, यदि भविष्य में चिकित्‍सा सेवा में लगे किसी चिकित्सक व कर्मी के संक्रमित होने का प्रकरण प्रकाश में आता है तो शिथिलता बरतने वाले अधिकारी, कर्मचारी का उत्तरदायित्व निर्धारित कर आवश्यक कार्यवाही की जाए।