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दादा-दादी के नुस्खों के संरक्षण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार नुस्खों को करायेगी पेटेंट

लखनऊ। दादा-दादी के नुस्खों को पेटेंट कराने की तैयारी है। उत्तर प्रदेश की सरकार इन नुस्खों की महत्ता को समझती है, इस बारे में सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बौद्धिक सम्पदा अधिकार के तहत पारम्परिक घरेलू और विभिन्न देसी इलाजों जो कि दादा-दादी के नुस्खों के रूप में प्रचलित और प्रभावी हैं, को पेटेंट द्वारा सुरक्षित किए जाने की आवश्यकता बताई और कहा है कि वर्तमान सरकार इस विषय पर गंभीरता से विचार कर रही है।

सिद्धार्थनाथ ने यह बात एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर के एमिटी ला स्कूल द्वारा आयोजित तीन दिवसीय औषधि एवं स्वास्थ्य कानून विषयक राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि जन स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए पर्यावरण प्रदूषण संबंधित कानूनों और स्वास्थ्य कानूनों को संयुक्त रूप में प्रभावी किए जाने की आवश्यकता है। उनका कहना था कि क्योंकि ज्यादातर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओें एवं बीमारियों के पीछे वातावरणीय कारण निहित होते हैं, जैसे कि डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी समस्या, इसके पीछे पानी का ठहराव एक कारण है, और बिना इन कारणों का समाधान किए समस्या को स्थाई तौर पर हल नहीं किया जा सकता।

एमिटी लॉ स्कूल के युवा अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए श्री सिंह ने कहा कि, प्रदेश में एक तरफ तो योग्य और अनुभवी डाक्टरों का अभाव है तो दूसरी तरफ कई चिकित्सकों द्वारा प्राईवेट प्रैक्टिस किए जाने की शिकायतें भी हैं। चिकित्सा क्षेत्र में अप्रशिक्षित और अवैध चिकित्सकों, दवा व्यवसाइयों की उपस्थिति भी चिंता का विषय है। हालांकि प्रदेश सरकार इन सभी स्थितियों के समाधान हेतु उपयुक्त कानूनों के तहत काम कर रही है फिर भी हमें इस विषय में नए समाधान तलाशने होंगे।

इसके पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने दीप प्रज्ज्वलित कर सम्मेलन का शुभारम्भ किया. इस अवसर पर इलाहाबाद हाईकोर्ट लखनऊ बेंच के जज डीके अरोरा, केजीएमयू लखनऊ के वाइसचांसलर डा. एमएलबी भट्ट, एमिटी ला स्कूल के निदेशक प्रो. बलराज चौहान और एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर के निदेशक प्रोजेक्टस् नरेश चंद्र उपस्थित रहे।

प्रो. बलराज चौहान ने कहा कि यह सेमिनार औषधि और स्वास्थ्य कानूनों के बीच अंतर को स्पष्ट करेगा बल्कि इनको और भी प्रभावी बनाने के लिए सुधारों की संभावना भी तलाशेगा। इस अवसर पर सम्मेलन को संबोधित करते हुए जस्टिस डीके अरोरा ने कहा कि, चिकित्सा सुविधाएं एवं गुणवत्तापरक चिकित्सा नागरिकों का अधिकार है. उन्होंने राइट टू हेल्थ पर विस्तार से प्रकाश डाला।

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