लखनऊ। सीएनजी की आपूर्ति बाधित होने के विरोध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में एक जनहित याचिका दायर की गयी है। याचिका में बंद सीएनजी स्टेशनों को चालू करने के लिए सम्बन्धित आधिकारियों को निर्देश देने की अपील की गयी है।
प्राप्त समाचार के अनुसार प्रशांत कुमार, अधिवक्ता, उच्च न्यायालय ने सोमवार (31 जुलाई) को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की है, जिसे 3 अगस्त (गुरुवार) को सूचीबद्ध किया जाएगा। यह जनहित याचिका लखनऊ के निवासियों द्वारा सामना की जा रही सीएनजी की कमी के विरोध में उच्च न्यायालय की मदद मांगने के लिए की गई है और न्यायालय से बंद सीएनजी स्टेशनों को चालू करने के लिए संबन्धित अधिकारियों को निर्देश देने की अपील की गई है ताकि सीएनजी की तुरंत कमी को पूरा किया जा सके।
प्रशांत कुमार ने सडक़ पर चलने वाले सीएनजी वाहनों की संख्या को ध्यान में रखते हुए नए सीएनजी स्टेशन खोलने के लिए संबन्धित अधिकारियों को निर्देश देने की भी अपील की, क्योंकि सडक़ पर नए वाहनों के अनुपात में सीएनजी स्टेशनों की संख्या नहीं बढ़ाई गई और इस कारण से लंबे समय से सीएनजी की भरी कमी बनी हुई है। सीएनजी की उपलब्धता जल्द से जल्द बढ़ाने की जरूरत है।
ज्ञात हो लखनऊ सीएनजी गैस की गंभीर लाजिस्टिक कमी का सामना कर रहा है। शहर में जहां सडक़ परिवहन का पूरा बेड़ा लगभग सीएनजी पर निर्भर है, इस प्रकार की कमी सार्वजनिक परिवहन के लिए घातक साबित हो रही है। विद्यालय की बस/ वैन मालिकों की हाल में हुई हड़ताल इस मामले को अच्छी तरह से दर्शा रही है।
बताया गया है कि यह केवल सीएनजी की उपलब्धता की समस्या नहीं है, बल्कि वितरण की भी समस्या है। लखनऊ शहर में सीएनजी पाइपलाइन द्वारा आती है, लेकिन ईंधन वितरण इकाइयों की कमी की वजह से इतनी बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। लगभग 29,000 पंजीकृत सीएनजी वाहनों और काफी संख्या में अपंजीकृत सीएनजी वाहनों की सीएनजी मांग को पूरा करने के लिए (ग्रीन गैस लिमिटेड के) केवल 12 सीएनजी पंप ही मौजूद हैं जिससे यह शहर गंभीर लाजिस्टिक संकट का सामना कर रहा है। हमारे पास सीएनजी है लेकिन हम इसे जनता के बीच वितरित करने में असमर्थ हैं। यह मामला सरकार की ढुलमुल नीति से और भी गंभीर होता जा रहा है।
ग्रीन गैस को लखनऊ और आगरा शहर में गैस प्रदान करने के उद्देश्य से शामिल किया गया था। लेकिन जीजीएल इस कार्य में बुरी तरह से असफल रही है। अपनी स्थापना के 12 साल बाद भी जीजीएल लखनऊ में केवल 12 सीएनजी पंप शुरू कर सकी है।
यह भी कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के कई निर्णय हैं जिसमें यह अनिवार्य किया गया है कि मेट्रो/ बड़े शहरों में वाहनों (सार्वजनिक परिवहन) में सीएनजी/ वैकल्पिक ईंधन का प्रयोग किया जाना चाहिए। सरकार ने भी सार्वजनिक परिवहन बेड़े को सीएनजी में बदलने के लिए कदम उठाए हैं। ईंधन के रूप में सीएनजी को पूरी प्रणाली द्वारा भारी तरीके से प्रचारित किया जा रहा है। हालांकि, उपभोग के लिए सीएनजी की अनुपलब्धता से ये सारे प्रयास असफल हो जाते हैं।
याचिका में कहा गया है कि सीएनजी कार मालिकों द्वारा सीएनजी प्राप्त करने के लिए एक या डेढ़ घंटे इंतजार करना सामान्य बात हो गई है। इसी प्रकार ऑटो और कामर्शियल वाहनों को इससे लंबे समय तक इंतजार करना पड़ रहा है जो कभी-कभी 6-7 घंटे का इंतजार हो जाता है। यदि उन्हें ईंधन प्राप्त करने के लिए 6-7 घंटे तक इंतजार करना पड़ता है तो वे कब अपने वाहनों को सडक़ पर चलाएँगे और कब वे पैसे कमाएंगे।
याचिका में कहा गया है कि इस मामले को सुलझाने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। सरकार और जीजीएल कोई भी कदम नहीं उठा रहे हैं और अत: नागरिकों के पास न्यायालय जाने के अलावा कोई भी विकल्प नहीं बचा है। न्यायालय हमेशा उन मामलों के लिए सहयोगी रहा है जो नागरिकों की मदद करते हैं और पर्यावरण की सुरक्षा करते है और इस समय इसकी ही अपेक्षा की जाती है। यदि उच्च न्यायालय का आदेश सकारात्मक है तो वह लखनऊ के नागरिकों के लिए उद्धारक होगा और आने वाले समय में बिना लाइन में लगे और बिना इंतजार किए सीएनजी भरवाने का रास्ता बन सकता है।