-केजीएमयू की टीम कैंसर की जांच वाली मशीनों से युक्त वाहन ले जाकर ग्रामीण इलाकों में लगाती है शिविर
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सेहत टाइम्स
लखनऊ। बचाव उपचार से बेहतर है, इसी दर्शन को अपनाते हुए कुलपति केजीएमयू प्रो सोनिया नित्यानंद के दिशानिर्देशों के अंतर्गत किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय रेडियोथेरेपी विभाग, भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड के CSR फंड से प्राप्त वाहन को मोबाइल कैंसर डिटेक्शन इकाई के रूप में चला रहा है। यह वाहन इम्यूनो एनालाइजर, ऑटो एनालाइजर, गाइनी टेबल काउच, एक्स रे से सुसज्जित है। लेकिन लोग कैंसर की जांच के लिए तैयार नहीं होते हैं, कुछ लोगों को तो जांच कराने में झिझक महसूस होती है जबकि कुछ ऐसे लोग हैं जो जांच के लिए तैयार नहीं होते हैं और इसके पीछे वे अनेक प्रकार के तर्क देते हैं।
यह जानकारी केजीएमयू के मीडिया सेल द्वारा देते हुए बताया गया है कि मलिहाबाद के कई क्षेत्रों एवं राजभवन में इकाई द्वारा कई व्यक्तियों का परीक्षण किया गया है। वर्तमान में कसमंडी कला पंचायत भवन में कैंसर जांच का कैंप लगाया गया। इस शिविर में लोगों को समझाया जाता है कि कैंसर बीमारी का अगर पहले से पता लग जाए तो इसका उपचार आसान एवं परिणाम सुखद हो सकता है।
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लोगों को बताया जाता है कि बीमारी की पहचान के लिए स्क्रीनिंग आवश्यक है। विकसित देशों में व्यक्ति इस जांच में स्वरुचि से भाग लेते हैं, लेकिन हमारे यहां स्थिति बहुत विपरीत है। व्यक्ति इस प्रकार की जांच के लिए सुलभ नहीं होते। बहुत से लोग संकोच एवं हठ के वशीभूत किसी भी जांच को मना कर देते हैं। कैंप में महिलाओं ने परीक्षण को मना कर दिया। बहुत समझाने पर वे तैयार हुईं। उनके तरह-तरह के भ्रम कि हमारे मायके वालों को नहीं ऐसी बीमारी, हम तंबाकू नहीं खाते, मुझे ऐसी बीमारी हो ही नहीं सकती और बहुत सारे व्यक्तव्य लोगों द्वारा जांच के समय कहे गए।
लोगों को यह समझ आना चाहिए कि स्वस्थ अर्थात जिन लोगों में बीमारी के लक्षण नहीं हैं, उन्हीं में यह जांचें महत्त्वपूर्ण हैं। इसी प्रकार कई पुरुष की मुंह की सफाई बहुत बुरी मिली। उनके मुंह का खुलना कम हो गया। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय का ऐसा प्रयास प्रदेश में पहला है, जहां कैंसर डिटेक्शन के लिए कैंप लग रहे हैं। अब धीरे धीरे लोगों में जिज्ञासा बढ़ रही है। हमारे प्रयास भी निरन्तर बेहतर हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि शिविर में पैप स्मीयर, ट्यूमर मार्कर के लिए सैंपल लिए जाते हैं। जांच की रिपोर्ट व्हाट्सअप पर भेज दी जाती है। प्रत्येक 15 दिनों में कैंप का आयोजन किया जा रहा है।
शिविर में डॉ सुधीर सिंह व डॉ अमन वर्मा (रेडियोथेरेपी), डॉ शालिनी सिंह व डॉ अनामिका (स्त्री रोग), डॉ देविशा अग्रवाल व डॉ सुविज्ञ (कान-नाक-गला), डॉ रामप्रवेश मिश्रा (पैथोलॉजी) एवं डॉ शशि (OMFS) द्वारा भाग लिया गया। कैंप का संयोजन राजेंद्र मौर्य एवं निर्मल द्वारा किया गया।
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