बेहतर इलाज के लिए लोहिया अस्पताल और संस्थान के विलय का किया गया है दावा
लखनऊ । एक तरफ सरकार ने जहां स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए डॉ राम मनोहर मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय और लोहिया संस्थान का विलय कर दिया है वहीं अगर इस विलय का लाभ आम आदमी को ना मिले तो ऐसा विलय किस काम का। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि एक मरीज, जिसके मुंह से रात भर खून निकलता रहा, उसको इन दोनों ही जगह भर्ती तक नहीं किया गया और उसे वहां से रेफर कर दिया गया। बाद में मरीज के परिजन उसे लेकर निजी अस्पताल चले गए।
मिली जानकारी के अनुसार मुंह से निकल रहे खून और सीने के दर्द से रात भर मरीज तड़पता रहा, लेकिन लोहिया अस्पताल के डॉक्टरों ने मरीज को भर्ती करने के बजाए उसे रेफर कर दिया। तीमारदारों का आरोप है कि डॉक्टरों ने जांच सुविधा और बेड न होने की बात कह लौटा दिया। लोहिया अस्पताल से लेकर लोहिया संस्थान तक का चक्कर लगाने के बाद भी मरीज को इलाज नहीं मिला तो तीमारदार उसे लेकर निजी अस्पताल चले गए।
बस्ती निवासी रामनरायण सिंह अपने बेटे प्रदीप सिंह (28) को लेकर लोहिया अस्पताल के इमर्जेंसी वार्ड पहुंचे थे। प्रदीप के मुंह से खून निकल रहा था उसके सीने में दर्द था। अस्पताल में इलाज न होने की बात कहते हुए डॉक्टरों ने उसे बलरामपुर, सिविल, केजीएमयू या लोहिया संस्थान ले जाने को कहा। तीमारदार उसे लेकर सबसे पहले लोहिया संस्थान पहुंचे लेकिन यहां भी इलाज नहीं मिला। आरोप है कि चेस्ट फिजीशियन न होने की बात कहते हुए यहां डॉक्टरों ने दूसरी जगह ले जाने को कहा।
इस बारे में इमरजेंसी इंचार्ज डॉ शशिकांत का कहना था कि अस्पताल में सीटी स्कैन की सुविधा व बेड खाली नहीं होने की वजह से मरीज को मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया।
जबकि इस बारे में अस्पताल के निदेशक
डॉ. डीएस नेगी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुझे इस मामले की जानाकरी नहीं है, संबंधित डॉक्टर से इसका जवाब मांगा जाएगा।