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भर्ती में देरी और इलाज में लापरवाही के चलते केजीएमयू में मरीज की मौत!

-परिजनों ने गैस्‍ट्रो सर्जरी विभाग के दो रेजीडेंट्स पर लगाया लापरवाही का आरोप

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के डॉक्टरों पर भर्ती में देरी और इलाज में लापरवाही के कारण बाराबंकी के रहने वाले एक व्यक्ति की आज बुधवार को सुबह 9 बजे मौत का समाचार है, यहां के दो रेजीडेंट डॉक्‍टर पर परिजनों ने आरोप लगाते हुए आवश्‍यक कार्यवाही की मांग की है। 

मृतक नवाबगंज बाराबंकी के निवासी रामविलास 40 वर्ष की पत्‍नी सन्‍नो की ओर से गैस्‍ट्रो सर्जरी विभाग के विभागाध्‍यक्ष को दिये शिकायती पत्र में विभाग के दो रेजिडेंट डॉक्टर पर भर्ती करने में देरी और की गयी हीलाहवाली और लापरवाही का और का आरोप लगाते हुए कहा गया है कि बीते 2 जून को बाराबंकी से केजीएमयू रेफर करने के बाद मरीज को 2 जून को केजीएमयू लाए थे तब उनकी पहले कोरोना जांच हुई तथा उसकी रिपोर्ट 4 जून को नि‍गेटिव आने पर उन्हें बताया गया कि मरीज का पीलिया बहुत बढ़ा हुआ है, इनको ईआरसीपी करके स्टंट डालना पड़ेगा। 5 जून को यह प्रक्रिया पूरी हुई और धीरे-धीरे मरीज को आराम मिलने लगा, आरोप है कि पीलिया बढ़े होने व पथरी के दर्द की शिकायत बताने के बाद भी 8 जून को वहां के एक रेजिडेंट डॉक्टर ने उन्हें जबरदस्ती डिस्‍चार्ज कर घर भेज दिया। 

पत्र में आरोप लगाया गया है कि घर जाने के बाद 13 जून से मरीज को उल्टियां होना शुरू हो गईं, केजीएमयू में दिखाने के लिए 15 जून को बुलाया गया था तो 15 जून को जब हम लोग केजीएमयू आए तो सुबह 8 बजे आने के बाद भी पूरा दिन रेजीडेंट डॉक्टर ने हम लोगों की समस्या नहीं सुनी और कोई इलाज नहीं किया। काफी कुछ कहने-सुनने के बाद 2 बजे गंभीर हालत में एंडोस्कोपी करने के बाद डॉक्‍टर ने पेट में सूजन बताते हुए दवाइयां बदल दीं लेकिन भर्ती नहीं किया और कहा कि घर ले जाइए।

सन्‍नों ने पत्र में लिखा है कि मरीज को मजबूरन घर ले जाना पड़ा, घर पर हालत बिगड़ती चली गयी, मरीज की पेशाब रुक गई और सांस लेने में दिक्कत होने लगी फिर अगले दिन 16 जून को हम लोग सुबह 11 बजे केजीएमयू पहुंच गए तब ड्यूटी पर एक और रेजिडेंट डॉक्टर मौजूद थे लेकिन उन्होंने देखने से साफ इनकार कर दिया और कहा कि कंसल्टेंट के कहने पर ही भर्ती करेंगे, लेकिन कंसलटेंट से बात नहीं की और न ही इन्‍हें नम्‍बर दिया, आरोप है कि मरीज की हालत बिगड़ती जा रही थी हम लोगों को बहुत दौड़ाया गया फिर काफी देर बाद कंसल्टेंट डॉ अभिजीत चंद्रा से बात हुई तो उन्होंने तुरंत ही एडमिट करने के लिए कहा। इसके बाद भी 2 घंटे तक भर्ती नहीं किया गया। पत्र में आरोप लगाया गया है कि देर से इलाज शुरू होने और डॉक्टर की लापरवाही की वजह से हमारे मरीज की मौत हुई है। उन्होंने पत्र में इस संबंध में कार्यवाही की मांग की है।

क्‍या कहना है विभागाध्‍यक्ष का 

इस बारे में जब विभागाध्यक्ष डॉ अभिजीत चंद्रा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मैं इस समय कोविड टास्क फोर्स की ड्यूटी के लिए लखनऊ से बाहर हूं। उन्होंने बताया कि मरीज को यदि कोई समस्या थी तो वहां मेरी अनुपस्थिति में डॉ विशाल से मिलना चाहिए था, उन्होंने कहा कि मुझे जो जानकारी मिल रही है उसके अनुसार मरीज को तुरंत एडमिट न करने की वजह लेटेस्‍ट कोविड टेस्ट का न होना प्रतीत हो रहा है, हालांकि उन्‍होंने कहा कि मुझसे जब बात हुई तो मैंने रेजीडेंट्स को तुरंत ही एडमिट कर इलाज शुरू करने व कोविड टेस्‍ट कराने के निर्देश दे दिये थे।