Saturday , November 23 2024

भारत में महामारी का रूप ले रहा है पक्षाघात, संभालना आपके हाथ  

 

भारत में मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण बन रहा है स्ट्रोक

 

लखनऊ. स्ट्रोक (पक्षाघात) एक अत्यन्त सामान्य बीमारी है। अगर पूरे विश्व स्तर पर आकलन करे, तो हर 40 सेकेण्ड के अन्तराल में किसी न किसी को पक्षाघात हो रहा है एवं हर 4 मिनट में कोई न कोई व्यक्ति स्ट्रोक के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं। इसके प्रमुख रिस्क कारणों में उच्च रक्ताचाप, डायबिटीज, धूम्रपान, शराब का अत्याधिक सेवन, वसीय पदार्थों को अत्याधिक सेवन, हृदय रोग, जीवन शैली में व्यायाम की कमी एवं प्रतिदिन खान पान में हरी सब्जियाँ और फलों के सेवन की कमी का होना है। भारत वर्ष में पक्षाघात मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण है जबकि अमेरिका जैसे विकसित देशो में स्ट्रोक के रिस्क कारकों को नियन्त्रित करके इस बीमारी को पाँचवे नम्बर पर कर दिया है।

यह जानकारी केजीएमयू के न्यूरोलॉजी विभाग में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में  विभाग के प्रमुख डा0 आरके गर्ग दी. विभाग के प्रो. राजेश वर्मा बताते हैं कि रिस्क कारणों पर ध्यान देने से स्ट्रोक को निश्चित तौर पर कम किया जा सकता है। हमारे देश में पक्षाघात एक महामारी का रूप लेता जा रहा है। हमारे समाज में डायबिटीज एवं हाई ब्लड प्रेशर तेजी से बढ़ रहा है और इन माप दंडों में भारत वर्ष विश्व की अग्रणी देशों में से एक है।

इस मौके पर डॉ. राजेश वर्मा ने बताया कि विश्व स्ट्रोक संगठन ने विकासशील देशों के लिए पक्षाघात के बचाव के सम्बन्ध में अभियान छेड़ रखा है। विश्व स्ट्रोक संगठन ने जन जागरण अभियान के तहत 29 अक्टूबर को पक्षाघात दिवस पर कहा है कि स्ट्रोक एक इलाज योग्य बीमारी है इसके इलाज के लिए समाज की जागरूकता, इलाज की सुविधा एवं त्वरित इलाज की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को स्ट्रोक के प्रमुख लक्षणों को समझने की आवश्यकता है। इसके लक्षणों में शरीर के एक तरफ अचानक मुंह, हाथ, पैर में कमजोरी या सुन हो जाना, अचानक दिमाग की चेतना को खोना, बोलने की दिक्कत या दूसरे की भाषा को समझने में परेशानी, अचानक आँखों की रौशनी में कमी होना, चलने की दिक्कत, चक्कर आना या संतुलन खोना इत्यादि प्रमुख है। विभाग के प्रो. नीरज कुमार ने  बताया कि स्ट्रोक के त्वरित इलाज की सुविधा किंग जार्ज मेडिकज विश्वविद्यालय से सम्बद्ध इमरजेन्सी विभाग में उपलब्ध है, क्योंकि स्ट्रोक के इलाज के लिये मरीज़ो को स्ट्रोक होने के तीन घंटे के अन्दर अस्पताल पहुंचने कि आवश्यकता है। स्ट्रोक के मरीज़ को अपने लक्षण अतिशीघ्र समझने कि आवश्यकता है। ऐसा इसलिये कि स्ट्रोक के इलाज में दवा दी जाती है जो स्ट्रोक होने के उपरान्त 4.5 घंटे में ही सम्भव है। हमारे स्ट्रोक के मरीज़ अस्पताल में तीन घंटे के अन्दर पहुंच सके इसके लिये न्यूरोलाजी विभाग का स्ट्रोक हेल्पलाइन(8887147300) उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि रेडियोलाजी उपकरणों द्वारा खून की नलिकाओं से थक्के को निकाला जा सकता है एवं रेडियोलाजिस्ट एक्यूट स्ट्रोक केयर में अपनी विशिष्ट भूमिका अदा कर सकते हैं।

इस मौके पर डा0श्वेता पाण्डेय ने बताया कि स्ट्रोक होने के पश्चात अगर जान बच भी जाये तो भी विभिन्न प्रकार की मेडिकल जटिलतायें हो सकती है जिससे जीवन यापन मुश्किल हो जाता है। स्ट्रोक के बाद होने वाली जटिलतायें में याददाश्त की कमी, भाषा समझने में या बोलने में परेशानी, मांसपेशियों का जकड़ना,  हड्डियों का फ्रैक्चर एवं लकवा ग्रस्त होना प्रमुख तौर पर पाये जाते हैं।

डॉ. वर्मा ने स्ट्रोक ने बताया कि लकवा के बाद होने वाली याददाश्त की कमी एवं अन्य दिमाग की परेशानियों पर शोध किया है जो विश्व के अतिविशिष्ट जनरल जर्नल ऑफ़ न्यूरोलॉजिकल साइंस में  प्रकाशित हुआ है. उन्होंने बताया कि यह अध्ययन 102 स्ट्रोक मरीजों पर हुआ जिससे 46 मरीजों यानी 45.1 प्रतिशत में याददाश्त एवं अन्य दिमाग की परेशानियाँ पाई गई। इस अध्ययन में दिमाग के विशिष्ट क्षेत्रों का नष्ट होना एवं बड़ा पक्षाघात पाया गया।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.