-ढाई साल से निष्क्रिय पड़े विभाग को शुरू करने में नये निदेशक डॉ धीमन की बड़ी भूमिका
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। कल्याण सिंह सुपर स्पेशलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट में लंबे इंतजार के बाद यहां के पैलिएटिव केयर डिपार्टमेंट (प्रशामक चिकित्सा विभाग) को सक्रिय किया गया है। शासन से अनुमोदित होने के बाद ढाई साल से निष्क्रिय चल रहे इस विभाग को शुरू करने में संस्थान के निदेशक प्रोफ़ेसर आरके धीमन की बड़ी भूमिका बताई जा रही है। ज्ञात हो स्वास्थ्य उपकरणों की खरीद में घोटाले के आरोप में पूर्व निदेशक डॉ शालीन कुमार को पिछले माह पद से हटा दिया गया था, उसके बाद से संजय गांधी पीजीआई के निदेशक डॉ आरके धीमन को कैंसर इंस्टिट्यूट के निदेशक का कार्यभार भी सौंपा गया था।
ज्ञात हो अब कैंसर इंस्टिट्यूट में पैलिएटिव केयर विभाग के सक्रिय हो जाने के बाद अब लाइलाज रोगों से ग्रस्त मरीजों के कष्ट भरे जीवन को दर्द से राहत देने की दिशा में उपचार किया जा सकेगा। पैलिएटिव केयर विभाग के सक्रिय होने और विभाग के फैकल्टी इंचार्ज के रूप में डॉ हिमांशु प्रिंस को नियुक्त किये जाने की सूचना निदेशक डॉ आरके धीमन द्वारा कार्यालय ज्ञाप में दी गई है।
कार्यालय ज्ञाप के अनुसार पैलिएटिव केयर विभाग में लाइलाज रोगों से ग्रस्त मरीजों के जीवन को उन्नत बनाने की दिशा में उपचार किया जाता है, ऐसे में इंस्टिट्यूट में इस विभाग का निष्क्रिय रहना ठीक नहीं है। प्रो धीमन ने बताया है कि डॉ हिमांशु ने एनेस्थीसिया और पैलिएटिव केयर के क्षेत्र में एम्स नई दिल्ली और एम्स ऋषिकेश में अपनी 3 साल की सीनियर रेजीडेंट के रूप में कार्य करने वाले तथा एसेंशियल ऑफ पैलिएटिव केयर में सर्टिफिकेट कोर्स किया हुआ है। प्रोफ़ेसर धीमन ने कहा है कि डॉ हिमांशु एनएस्थीसियोलॉजी विभाग के साथ ही पैलिएटिव मेडिसिन की ओपीडी और आईपीडी रजिस्ट्रेशन का कार्य भी देखेंगे।
सीजी सिटी स्थित इस इंस्टीट्यूट के पैलिएटिव केयर विभाग में कैंसर के दर्द की पहचान और राहत, मनोसामाजिक पीड़ा की पहचान और राहत, परिवारों और देखभाल करने वालों को देखभाल करना सिखाना मृत्यु के बाद की स्थितियों को सम्भालना जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनियाभर में प्रत्येक वर्ष अनुमानित चार करोड़ लोगों को पैलिएटिव केयर की आवश्यकता होती है जबकि केवल लगभग 14% लोग को ही प्रशामक चिकित्सा मिल सकती है।
डॉ धीमन का कहना है कि एमसीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार पैलिएटिव केयर की दवाओं को कैंसर, एडवांस स्टेज के एचआईवी एड्स, अंतिम स्टेज के अंग फेल्योर तथा क्रॉनिक न्यूरो डिजेनरेटिव स्थितियों जैसे रोगों जिनमें जीवन सीमित हो जाता है, में दिया जाना चाहिये। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ अनुपम वर्मा ने बताया है कि यह सुनिश्चित किया जायेगा कि कैंसर के दर्द के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं जल्द ही संस्थान में उपलब्ध हों।