Wednesday , May 8 2024

अब ‘पीने’ वाले ही नहीं, न ‘पीने’ वाले भी हो रहे हैं फैटी लिवर के शिकार

-खान-पान में लापरवाही और बिगड़ी जीवन शैली से बढ़ रही हैं एनएएफएलडी  

-देश के नामचीन गैस्‍ट्रो विशेषज्ञ 7-8 अक्‍टूबर को जुटेंगे लखनऊ में

-यूपी चैप्टर ऑफ़ इंडियन सोसाइटी ऑफ़ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी आयोजित कर रही दो दिवसीय संगोष्‍ठी

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। पिछले कुछ वर्षों में पेट एवं लि‍वर के रोगियों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है। नॉन अल्‍कोहलिक फैटी लिवर डिजीजेज (एनएएफएलडी) एक महामारी के रूप में उभर रही है, पहले जहां अल्‍कोहल लेने वाले इसका शिकार होते थे, अब अल्‍कोहल का सेवन न करने वाले भी फैटी लिवर से ग्रस्‍त हैं, इसका मुख्य कारण आजकल की जीवन शैली, व खानपान है। विशेषज्ञों की सलाह है कि‍ खान-पान, जीवन शैली में सुधार के साथ यदि फैटी लीवर की शिकायत है तो इसे इग्नोर ना करें और चिकित्सक से अवश्य मिलें, फैटी लीवर आगे चलकर कैंसर का कारण बन सकता है।

यह जानकारी आज पहली अक्टूबर को यहां होटल सिल्‍वेट में आयोजित पत्रकार वार्ता में दी गई। पत्रकार वार्ता का आयोजन आगामी 7 एवं 8 अक्टूबर को गोमती नगर में होने वाली संगोष्ठी के बारे में जानकारी देने के लिए किया गया था। संगोष्ठी का आयोजन यूपी चैप्टर ऑफ़ इंडियन सोसाइटी ऑफ़ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के द्वारा किया जा रहा है। पत्रकार वार्ता को संगोष्‍ठी के आयोजन अध्यक्ष वरिष्ठ पेट व लि‍वर रोग विशेषज्ञ प्रो पुनीत मेहरोत्रा तथा आयोजन सचिव केजीएमयू के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सुमित रूंगटा ने सम्‍बोधित किया।

डॉ मेहरोत्रा ने बताया कि‍ इस संगोष्ठी में देशभर से जाने माने पेट रोग विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे हैं, इनमें मेदांता गुरुग्राम से डॉ रणधीर सूद, एम्स नई दिल्ली के गैस्ट्रो विभाग अध्यक्ष डॉ अनूप सराया, बीएचयू से डॉक्टर देवेश यादव व प्रो वीके दीक्षित, एसजीपीजीआई से के गैस्ट्रो विभाग अध्यक्ष डॉ प्रवीर राय, एआईजी हैदराबाद के डॉ मोहन रामचंदानी व डॉ संदीप लखटकिया, सर गंगा राम हॉस्पिटल दिल्ली से डॉ अनिल अरोड़ा, जोधपुर से डॉ सुनील दधीच, कोलकाता से डॉ उदय घोषाल, बेंगलुरु से डॉ एसके याचा व डॉ एसपी मिश्रा, प्रयागराज से डॉ मनीषा द्विवेदी, जयपुर से डॉक्टर संदीप निझावन व डॉ विवेक सारस्वत के साथ ही अन्‍य विशेषज्ञ शामिल हैं। उन्होंने बताया संगोष्‍ठी में विशेषज्ञ पेट व लि‍वर संबंधित बीमारियों तथा इन बीमारियों के उपचार में जो तरक्की हुई है उस पर भी चर्चा की जाएगी। विशेषज्ञ अपने-अपने अनुभवों को साझा करेंगे। संगोष्‍ठी का उद्देश्य चिकित्सकों को नवीनतम जानकारी देने के साथ ही मरीज को अच्‍छे उपचार का लाभ देना है। डॉ मेहरोत्रा ने कहा कि‍ संगोष्ठी में नेपाल के चिकित्सकों को भी सम्मिलित किया गया है इससे वहां के अनुभवों को भी साझा किया जाएगा। उन्‍होंने बताया कि इस संगोष्ठी का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ ब्रजेश पाठक ने करने पर अपनी सहमति दी है, उनके साथ ही विशिष्ट अतिथि के रूप में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रो सोनिया नित्यानंद व संजय गांधी पीजीआई के निदेशक प्रो आरके धीमन को आमंत्रित किया गया है।

80 प्रतिशत पेट के रोगी होते हैं तनावग्रस्‍त

डॉ सुमित रूंगटा ने बताया कि ओपीडी में पेट संबंधित शिकायत लेकर आने वाले 80% मरीज तनाव ग्रस्त होते हैं। उन्होंने कहा कि तनाव का सीधा संबंध दूसरी बीमारियों से होता है, ऐसे में तनाव का असर पेट पर पड़ना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा गलत खान पान से लोगों में मोटापा बढ़ता है जिसके कारण कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि मोटापा कम करने के लिए बहुत से लोग रोटी में घी नहीं लगाते हैं लेकिन बाद में मीठा खा लेते हैं, नतीजा यह होता है कि कैलोरी की मात्रा ज्‍यादा पहुंच जाती है।

शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक रखें फास्‍ट, वजन घट जायेगा

उन्‍होंने कहा कि जहां तक हो गेहूं को न खाएं, इसकी जगह मोटे अनाज का इस्तेमाल करें। डॉ रूंगटा ने बताया कि वजन कम करने के लिए पूरे दिन का फास्ट रखना आवश्यक नहीं है, यदि शाम 6 बजे से दूसरे दिन प्रात 6 बजे तक अगर व्यक्ति कुछ न खाए तो यह उसकी चर्बी घटाने में सहायक होगा। एक सवाल के जवाब में डॉ रूंगटा ने बताया कि जांच के अभाव में डाटा न रखे जाने के कारण फैटी लीवर से कैंसर होने वाले लोगों की संख्‍या अभी बताना संभव नहीं है। पिछले कुछ समय से डाटा इकट्ठा करना शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि फैटी लीवर से कैंसर होने की संभावना हालांकि कम है, जबकि इसकी अपेक्षा लिवर सिरोसिस होने की संभावना ज्यादा रहती है।

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