कार्डियोथोरेसिक सर्जन की अस्पताल में नियुक्ति के बाद मिलेगा इस सुविधा का भी लाभ
लखनऊ। बलरामपुर अस्पताल में डायलिसिस कराने वाले गुर्दा रोगियों के लिए राहत भरी खबर है, क्योंकि अब भविष्य में उन्हें फिस्चुला (fistula) बनवाने के लिए पीजीआई या केजीएमयू के चक्कर नहीं लगाने पडेंग़े। भविष्य में यह सुविधा उन्हें बलरामपुर अस्पताल में मिलेगी। यह सुविधा सीवीटीएस विभाग में नवनियुक्त, एमसीएच डॉ.स्वाती पाठक द्वारा उपलब्ध होगी।
उक्त जानकारी देते हुए अस्पताल निदेशक डॉ.राजीव लोचन ने अस्पताल में कार्डियोथोरेसिक सर्जन डॉ.स्वाती पाठक द्वारा एवी fistula निर्मित करने की जानकारी देते हुए बताया कि गुर्दा रोगियों के लिए बहुत बड़ी सुविधा है, अब उन्हें हर तीसरे माह fistula बनवाने के लिए केजीएमयू या पीजीआई के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. fistula की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि गुर्दा मरीजों में डायलिसिस के लिए मरीज की खून की नब्ज को काटा जाता है जिससे एक तरफ से खून निकलकर मशीन में शुद्धिपरांत दूसरे छोर से अंदर प्रवेश होता है।
डॉ. लोचन ने बताया कि यह डायलिसिस प्रक्रिया , प्रत्यके मरीज को सप्ताह में दो से तीन बार करानी होती है। हर दूसरे दिन नब्ज न काटनी पड़े, इसके लिए एक जगह नब्ज काटकर fistula (नब्ज के कटे हिस्सों पर ठीहा) बनाया जाता है। जिसमें डायलिसिस मशीन के पाइप को जोड़ दिया जाता है और रक्त शोधन उपरांत पाइप हटा दिया जाता है। फ़्युश्चला को ढँक दिया जाता है। उन्होंने बताया कि fistula पेट व कमर के नीचे के अलावा हाथ में भी बनाया जाता है। बलरामपुर अस्पताल में डायलिसिस की सुविधा तो काफी दिनों से है लेकिन fistula बनवाने के लिए गुर्दा रोगियों को पीजीआई या केजीएमयू भेजा जाता था, जहां मरीजों की लंबी फेहरिस्त होने की वजह से कई-कई माह तक मरीजों को fistula बनवाने की तिथि के लिए भटकना पड़ता है।