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एईएस से मस्तिष्क पर प्रभाव के कारणों का पता लगाने के लिए शोध की जरूरत

कार्यशाला आयोजित, मस्तिष्क ज्वर से जुड़े तमाम पहलुओं पर की चर्चा

 

लखनऊ. एईएस का वायरस मनुष्य के  मस्तिष्क को किन कारणों से प्रभावित करता है, इस पर और शोध करने की आवश्यकता है. यह बात अमेरिका के क्रीघटन यूनिवर्सिटी, स्कूल आफ मेडिसिन के अध्यक्ष एवं प्रोफेसर डॉ. संजय प्रताप सिंह ने आज यहाँ स्टेट इंस्टीटयूट आफ हेल्थ एवं फेमिली वेलफेयर तथा यूपीएचएसएसपी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई जेई तथा एईएस विषय पर आज सम्पन्न हुई कार्यशाला में कही. इस कार्यशाला में चिकित्सा विशेषज्ञों ने मस्तिष्क ज्वर से जुड़े तमाम पहलुओं एवं इसके प्रभावों के बारे में विस्तार से विचार रखे .

डॉ. संजय प्रताप सिंह ने कहा कि एईएस का वायरस मनुष्य के  मस्तिष्क को किन कारणों से प्रभावित करता है, इस पर और शोध करने की आवश्यकता है. उत्तर प्रदेश सरकार जेई तथा एईएस के प्रसार को रोकने के लिए गम्भीर प्रयास किए हैं, जिसके फलस्वरूप इस बीमारी का प्रकोप प्रदेश में कम हो रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने स्वास्थ्य मंत्री के पहल पर जो बड़े पैमाने पर पूर्वांचल में टीकाकरण अभियान तथा जागरूकता उत्पन्न की उससे इस वर्ष जेई  के प्रसार पर अंकुश लगा है. उन्होंने कहा कि यह प्रयास लगातार किया जाना चाहिए.

 

डा. संजय ने एईएस के द्वारा मानव की रीढ़ की हड्डी पर होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में भी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि चिकित्सा विज्ञान जैसे प्रगति कर रहा है, उसी रफ्तार से बदलते जीवन शैली के कारण असाध्य बीमारियां पैदा हो रही हैं. जिनका उपचार अभी खोजा जाना शेष है. उन्होंने अपने उद्बोधन के दौरान मस्तिष्क ज्वर रोगियों के इलाज एवं तत्काल दी जाने वाली मेडिसिन की भी जानकारी चिकित्सकों को दी.

 

पीजीआई के यूरोलोजीकल विभाग के पूर्व डीन व प्रोफेसर  डॉ. यू.के.मिश्रा ने अपने सम्बोधन में कहा कि बचाव का तरीका अपना कर  एईएस से होने वाले बीमारियों एवं जनहानि को रोक सकते हैं. उन्होंने एपीडिमियोलोजी  पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए इसके लक्षणों, कारणों एवं त्वरित चिकित्सकीय टूल्स के संबंध में प्रतिभागियों को आवश्यक जानकारी  प्रदान की. कार्यशाला में अन्य प्रतिभागियों ने अपने विचार तथा सुझाव विस्तार से रखे.  इस अवसर पर सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य,  वी हेकाली झिमोमी सहित पूर्वांचल के प्रभावित क्षेत्रों के 26 चिकित्साधिकारी एवं बिहार के सटे जिलों के 6 डाक्टर मौजूद थे.

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