इप्सेफ के अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद उठाया सवाल
लखनऊ। इंडियन पब्लिक सर्विस एम्प्लाई फेडरेशन (इप्सेफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्र ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से चाहा है कि सरकार को चलाने वाले देश भर के इप्सेफ कर्मचारियों के वेतन भत्ते एवं अन्य सुविधाओं में समानता लाने के लिए इप्सेफ के राष्ट्रीय वेतन आयोग गठित करने की मांग विगत 5 वर्ष से लम्बित है। इप्सेफ की मांग को अनदेखी करते हुए पूंजीवादी व्यापारियों को खुश करने की घोषणा की है। इससे देश भर के करोड़ों कर्मचारी परिवार में आक्रोश व्याप्त है।
राष्ट्रीय सचिव अतुल मिश्र ने यह जानकारी देते हुए बताया है कि श्री मिश्र ने इप्सेफ ने प्रधानमंत्री के समक्ष 4 मांगे रखी थीं जिसमें से आयकर सीमा बढ़ाने की मांग के अलावा अन्य मागें यथावत लम्बित पड़ी हैं। एनपीएस में सरकारी अंशदान अंश में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी जिससे कर्मचारी संतुष्ट नहीं हैं। ठेका/संविदा/आंगनबाड़ी कर्मचारियों के रिक्त पदों पर विनियमितिकरण करने, सेवा सुरक्षा देने एवं न्यूनतम वेतन भत्ते एवं अन्य सुविधाएं देने के लिए नीति बनाने की मांग की थी, इनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। कर्मचारियों का कहना है कि यह सरकार पूंजीवादी व्यवस्था की पक्षधर है। नियमित कर्मचारियों को हटाकर ठेका/संविदा कर्मियों से सरकार चलाना चाहती है। ऐसे कर्मियों के जीने लायक वेतन नहीं दिया जा रहा है। इसके लिए देश भर में आन्दोलन चल रहे हैं।
श्री मिश्र ने इस सम्बन्ध में केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से बात की तो उन्होंने आश्वासन दिया कि इप्सेफ की शेष बची मांगों पर भी सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। कैविनेट सचिव भारत सरकार ने भी इसकी पुष्टि की कि चुनाव आचार संहिता समाप्त होने पर निर्णय कर दिया जायेगा।