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सभी संक्रामक रोगों से लड़ने की शक्ति है मां के दूध में

-विश्व स्तन पान सप्ताह 1 अगस्त से 7 अगस्त पर डॉ अनुरुद्ध वर्मा की कलम से

डॉ अनुरुद्ध वर्मा

जन्म के बाद शिशुओं को जरूरत होती है सम्पूर्ण आहार, प्यार और सुरक्षा की। मां का दूध शिशु की सारी जरूरतें पूरी करता है साथ ही साथ शिशु के जीवन की सही शुरुआत भी देता है। स्तनपान प्राकृतिक है। मां के प्यार की तरह इसकी जगह और कोई नहीं ले सकता। मां का दूध बच्चे के लिए अमृत के समान है। स्तनपान कराना मां, बच्चे व समाज सबके के लिए हितकारी है इसलिए शिशु को छह माह तक केवल और केवल स्तनपान ही कराना चाहिए तथा इसे दो वर्ष या उससे अधिक समय तक जारी रखना चाहिए।

मां का दूध विशेष रूप से शिशु के लिए ही बना है। यह शिशु के विकास के लिए पोषण तो देता है साथ ही यह पचने में भी आसान है और इसमें पाये जाने वाले तत्व शिशु और सभी संक्रामक रोगों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। मां का दूध विशेष रूप से शिशु को दस्त से बचाता है। शिशु जन्म से पहले मां के गर्भ में सभी संक्रामक रोगों से सुरक्षित रखता है और जन्म के बाद अगले कुछ दिनों तक आने वाले दूध जिसे (कालेस्ट्रम) कहते है शिशु को अवश्य पिलाना चाहिए क्योंकि यह शिशु को अनेक संक्रामक रोगों व बीमारियों से बचाता है।

स्तनपान से शिशु को होने वाले लाभ

मां के दूध में पर्याप्त मात्रा में ताकत होती है व उसमें उत्तम प्रोटीन, वसा, लैक्टोज, खनिज लवण, आयरन, पानी व एन्जाइम होते हैं जो शिशु की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं।

मां के दूध में गाय के दूध से अधिक मात्रा में लवण, विटामिन डी, ए एवं सी है तथा मां का दूध स्वच्छ होता है व सभी दूषित जीवाणुओं से मुक्त होता है।

मां के दूध में सभी संक्रामक रोगों से लड़ने की शक्ति है तथा यह शिशु को दस्त व सांस की बीमारी से बचाता है।

मां का दूध हर पल तैयार मिलता है। बोतल की तरह इसे तैयार नहीं करना पड़ता और यह किफायती है। मां का दूध सिर्फ खाद्य पदार्थ ही नहीं है बल्कि यह शिशु एवं मां में प्यार भी बढ़ाता है।

माँ का दूध पीने वाले बच्चों में बड़े होने पर डायबिटिज, दिल की बीमारियों, अकौता, दमा एवम् अन्य एलर्जी रोग होने की सम्भावना भी कम होती है तथा मां का दूध पीने वाले शिशुओं की बुद्धि का विकास मां का दूध न पीने वाले बच्चे से तेज होता है।

स्तनपान से मां को होने वाले लाभ

ऽ   स्तनपान शिशु को पैदा होने के बाद होने वाले रक्तस्राव को कम करता है तथा मां में खून की कमी होने को कम करता है।

ऽ   स्तनपान के दौरान गर्भ धारण की सम्भावना कम होती है।

ऽ   स्तनपान कराने वाली माताओं में मोटापे का खतरा कम होता है।

ऽ   स्तनपान से स्तन और अण्डाशय के कैंसर की सम्भावना कम होती है।

ऽ   स्तनपान हड्डियों की कमजोरी से बचाता है।

ऽ   स्तनपान मां एवम् शिशु के मध्य प्यार के बंधन को मजबूत करता है।

ऊपर का दूध पिलाने से होने वाले नुकसान

कुछ माताएं शिशु को अपने दूध के बजाए गाय का दूध या पाउडर का दूध पिलाना पसंद करती हैं। इससे बच्चे को अनेक नुकसान हो सकते हैं क्योंकि इसमें सही मात्रा में प्रोटीन वसा, विटामिन व खनिज नहीं होते हैं जो शिशुओं के सम्पूर्ण विकास के लिए आवश्यक हैं। इससे शिशुओं में संक्रमण की सम्भावना बढ़ जाती है क्योंकि इसमें संक्रमण विरोधी तत्व नहीं पाये जाते। इसके अतिरिक्त शिशु को दस्त और निमोनिया की सम्भावना बढ़ जाती है।

ऽ   शिशु में एलर्जी की सम्भावना बढ़ जाती है तथा दूध के पचने में ज्यादा कठिनाई होती है।

ऽ   दीर्घ स्थायी रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।

ऽ   इसके अतिरिकत दूध न पिलाने वाली माताओं को खून की कमी तथा प्रसव के पश्चात अधिक रक्तस्राव की सम्भावना बढ़ जाती है तथा स्तन एवम् अण्डाशय में कैंसर का खतरा भी ज्यादा होता है।

ऽ   शिशु को छह माह तक केवल मां का दूध देना चाहिए क्योंकि वह पर्याप्त है। बाल जीवन घुट्टी या कोई अन्य पेय नहीं देना चाहिए इससे बच्चे को नुकसान हो सकता है।

ऽ   छह माह के बाद बच्चे को दो वर्ष तक पूरक आहार के साथ-साथ मां का दूध अवश्य देना चाहिए इससे बच्चे का पर्याप्त विकास होगा। बच्चा बुद्धिमान होगा और भविष्य में देश का स्वस्थ नागरिक होगा इसलिए जरूरी है कि बच्चे को मां का दूध पर्याप्त समय तक दिया जाये।

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