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एमबीबीएस के विद्यार्थियों को पढ़ाई के दौरान ही होगा क्‍लीनिक में इलाज करने का अहसास

-केजीएमयू के बाल रोग विभाग में आरम्‍भ हुई स्किल्‍स लैब

-विभाग के 67वें स्‍थापना दिवस पर कुलपति ने किया उद्घाटन

-इंजेक्शन, आईवी फ्ल्‍यूड, सांस नली डालना, सीपीआर करना सिखाया जाएगा

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के बाल रोग विभाग में अब एमबीबीएस पढ़ने वाले विद्यार्थियों को क्लीनिक में काम करने का एहसास हो, इसके लिए एक स्किल्स लैब तैयार की गई है, इस लैब में अभ्यास के लिए पुतले, वीडियो, एक्स-रे, सीटी स्कैन, एबीजी तथा तथा ईसीजी का संकलन है। इस लैब का उद्घाटन आज विभाग के 67वें स्थापना दिवस के मौके पर कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ बिपिन पुरी ने किया। इस लैब में कार्य करने से छात्र क्रियात्मक रूप से निपुण होंगे जो उनके लक्ष्य की प्राप्ति में बहुत सहायता करेगा। इस लैब में छात्रों को इंजेक्शन लगाना, आईवी फ्ल्‍यूड लगाना, नाक में नली डालना, सांस की नली डालना तथा सीपीआर करना सिखाया जाएगा।

उद्घाटन के पश्चात अपने संबोधन में कुलपति ने बाल विभाग के संकाय सदस्यों एवं रेजिडेंट्स की प्रशंसा करते हुए कहा कि कोरोना महामारी के दौरान संकाय सदस्यों व रेजिडेंट्स ने जिस कर्मठता एवं जिम्मेदारी से विभिन्न विभागों में ड्यूटी की है, वह इस बीमारी से लड़ने में मील का पत्थर साबित हो रहा है। उन्होंने क्वीन मैरी अस्पताल में बाल विभाग की नवजात शिशु इकाई को जल्द से जल्द सघन चिकित्सा इकाई में बदलने की इच्छा जाहिर करते हुए कहा कि इसके लिए पूर्ण सहयोग दिया जाएगा। विभागाध्यक्ष प्रो शैली अवस्‍थी ने इस प्रस्ताव पर हर्ष जताया।

कुलपति ने नियोनोटोलॉजी विभाग एवं बाल विभाग की अन्य इकाइयों में भी अति शीघ्र डीएम कोर्स शुरू कर शैक्षणिक गुणवत्ता को और अधिक बढ़ाने पर भी जोर दिया। कुलपति ने कहा कि कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने उन्हें 15 और टीबी से ग्रसित बच्चों को गोद लेने की अनुशंसा की है। कुलपति ने रेजिडेंट की इस बात के लिए प्रशंसा की कि वह स्वयं फिर से कोविड ड्यूटी करने की इच्छा जता रहे हैं।

विभाग की वार्षिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए डॉ शैली अवस्थी ने बताया कि विभाग के संकाय सदस्यों के 35 रिसर्च पेपर भिन्न-भिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित किए गये हैं, इस समय 21 रिसर्च प्रोजेक्ट विभाग में चल रहे हैं तथा फैकल्‍टी व रेजिडेंट्स ने संयुक्त रूप से लगभग 100 एस ओ पी (मानक संचालन प्रक्रिया) बनाए हैं। उन्होंने बताया कि कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल के दिशा निर्देश में 21 सितंबर को छह टीबी से ग्रस्त बच्चों के पोषण के सहयोग के लिए विभाग ने उन्हें गोद लिया है, इसकी जिम्मेदारी गैर सरकारी संगठन हेल्प यू एजुकेशन चैरिटेबल ट्रस्ट ने ली है तथा इस विभाग के संकाय सदस्य इसकी पूरी देखरेख करते हैं। इसके लिए विभाग ने सोमवार व गुरुवार को टीबी क्लीनिक ओपीडी प्रारंभ की है।

इस मौके पर विभाग के तीन कर्मचारियों को अच्छे कार्य के लिए कुलपति द्वारा पुरस्कृत किया गया। इन कर्मचारियों का चयन रेजिडेंट्स डॉक्टरों द्वारा किया गया क्योंकि वही इसका आकलन सबसे बेहतर कर सकते हैं। इन कर्मचारियों में वार्ड बॉय दशरथ सिंह, स्टाफ नर्स मंजू यादव और चतुर्थ श्रेणी कर्मी रवि को सम्मानित किया गया।

आज के कार्यक्रम में पीजीआई चंडीगढ़ की विश्व प्रसिद्ध पीडियाट्रिक पल्मोनोलॉजिस्ट प्रोफेसर मीनू सिंह द्वारा एनएल शर्मा ओरेशन में ब्रीदिंग एविडेंस इनटू पीडियाट्रिक प्रैक्टिस के बारे में व्याख्यान देते हुए बच्चों के फेफड़ों से संबंधित बीमारियों के बारे में जानकारी दी गई। इसके अलावा कार्यक्रम में हमदर्द इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च की प्रोफेसर रेखा हरीश ने प्रोफेसर पीके शर्मा ओरेशन में पीडियाट्रिक डिस्लिपिडेमिया : द साइलेंट एपिडेमिक पर भाषण दिया। इसके साथ ही बदलती जीवन शैली से होने वाले असंतुलन की समस्या के बारे में भी जानकारी दी।

ज्ञात हो बाल रोग विभाग की स्थापना 1954 में की गई थी यहां डीसीएच का पहला बैच 1961 में तथा एमडी का पहला बैच 1962 में आया था। इस समय विभाग में 26 जूनियर रेजीडेंट्स प्रतिवर्ष बाल रोग विशेषज्ञ की शिक्षा के लिए दाखिला लेते हैं, विभाग से अब तक हजार से ज्यादा बाल रोग विशेषज्ञ तैयार किए जा चुके हैं।