केजीएमयू में 10वें एटीएलएस प्रशिक्षण कोर्स का समापन
लखनऊ। ट्रॉमा से होने वाली मौतों के चलते भारत में हर वर्ष 3 प्रतिशत जीडीपी का नुकसान हो रहा है जिसे रोका जा सकता है, इसके लिए करना सिर्फ इतना है कि ज्यादा से ज्यादा चिकित्सकों को एटीएलएस यानी एडवांस ट्रेनिंग लाइफ सपोर्ट के कोर्स का प्रशिक्षण दिया जाये। यह जानकारी केजीएमयू इंस्टीट्यूट ऑफ स्किल के कार्यकारी निदेशक डॉ विनोद जैन ने देते हुए ‘सेहत टाइम्स’ को बताया कि केजीएमयू स्थित इस सेंटर पर आज 10वें एटीएलएस प्रशिक्षण कोर्स का समापन हुआ। तीन दिवसीय ATLS प्रोवाइडर कार्यक्रम के इस बैच में BHU, वाराणसी, पटना, दिल्ली, आरएमएल अस्पताल लखनऊ, वेस्ट बंगाल एवं ऋषिकेश एम्स के प्रशिक्षार्थियों ने भाग लिया ।इस ATLS प्रोवाइडर कोर्स में प्रशिक्षार्थियों को ट्रॉमा रोगियों केलिए जीवन रक्षक क्रियाओं का ज्ञान एवं प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
मलेरिया, टीबी और एचआईवी मिलाकर होने वाली मौतें से ज्यादा अकेले ट्रॉमा से होती हैं
डॉ जैन ने बताया कि मलेरिया, टीबी, एचआईवी मिलाकर जितनी मृत्यु होती है उससे ज्यादा मौतें ट्रॉमा से होती हैं। यह हाल तब है जब मलेरिया, टीबी, एचआईवी के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम भी चल रहे हैं जबकि इसके विपरीत ट्रॉमा के लिए कोई राष्ट्रीय कार्यक्रम नहीं चल रहा है। उन्होंने बताया कि सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं में ऑन दि स्पॉट डेथ भारत में प्रति नौ मिनट में एक होती है जबकि सड़क दुर्घटना में घायल होने के बाद एक घंटे के अंदर सही इलाज न मिलने के कारण प्रति दो मिनट में 1.9 मौतें हो जाती हैं। एटीएलएस का प्रशिक्षण इन 1.9 मौतों को बचा सकता है। उन्होंने बताया कि ट्रॉमा से सर्वाधिक मौतें विकासशील देशों में ही होती हैं
3 प्रतिशत जीडीपी के नुकसान के बारे में उन्होंने बताया कि प्रति व्यक्ति 40 लाइफ ईयर्स के हिसाब से यह आंकड़ा निकाला गया है। इसको विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि ट्रॉमा से अधिकतर युवा और पुरुष ही मरते है, जो कमानेवाले सदस्य होते है। ऐसे में औसतन यह माना जाता है कि ट्रॉमा से मरने वाला एक व्यक्ति 40 वर्ष और जीवित रहता और अपने परिवार, समाज और देश के लिए उपयोगी होता।
उत्तर प्रदेश का एकमात्र सेंटर
उन्होंने बताया कि अमेरिकन कॉलेज से अप्रूव्ड केजीएमयू स्थित एटीएलएस सेंटर भारत का दसवां और उत्तर प्रदेश में अकेला है। यहां से अब तक ऑस्ट्रेलिया, अफगानिस्तान, यूके के साथ ही भारत के लगभग 300 से ज्यादा चिकित्सकों एवं नर्सों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। उन्होंने बताया कि जरूरत इस बात की है कि इस तरह की ट्रेनिंग ज्यादा से ज्यादा चिकित्सक लें और वे दूसरें चिकित्सकों को सिखायें जिससे इस प्रशिक्षण का तेजी से प्रसार हो सके और ट्रॉमा से होने वाली मौतों पर लगाम लग सके।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो मदन लाल ब्रह्म भट्ट द्वारा इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की बहुत सराहना की गई एवं उन्होंने कहा केजीएमयू इंस्टीट्यूट ऑफ स्किल द्वारा एक सराहनीय कार्य किया जा रहा है । ATLS प्रोवाइडर कोर्स ट्रामा रोगियों के जीवन रक्षा के लिए बहुत ही अहम है इस कोर्स का संचालन नियमित रूप से करते रहने से जनसामान्य को काफी लाभ मिलेगा साथ ही साथ इंस्टीट्यूट में अन्य चिकित्सकीय जीवन रक्षक विद्याओं का भी प्रशिक्षण देना चाहिए। इस दिशा में किए गए कार्यों के लिए प्रोफेसर विनोद जैन और उनकी टीम प्रशंसा की पात्र है।
ATLS प्रोवाइडर कोर्स में केजीएमयू से डॉ जीपी सिंह, डॉ आरएएस कुशवाहा, डॉ0 संदीप तिवारी, डॉ समीर मिश्रा, डॉ दिव्य नारायण उपाध्याय, डॉ हेमलता एवं SGPGIMS के डॉ0 संदीप साहू द्वारा प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण दिया गया।