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संजय गांधी पीजीआई में लिवर प्रत्‍यारोपण शुरू, 18 वर्षीय बालिका का हुआ पहला प्रत्‍यारोपण

-सफल प्रत्‍यारोपण के बाद लिवर प्राप्‍तकर्ता को दी गयी अस्‍पताल से छुट्टी, डोनर भी स्‍वस्‍थ

लिवर प्रत्‍यारोपण करने वाली टीम

सेहत टाइम्‍स  

लखनऊ। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के निदेशक प्रोफ़ेसर आरके धीमन के प्रयास को एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है, संस्थान में उत्तर प्रदेश के प्रथम हेपेटोलॉजी विभाग की फरवरी 2021 में हुई स्थापना के पश्चात पहला सफल लिवर प्रत्यारोपण हुआ। प्रत्यारोपण के बाद मरीज के स्वतंत्र रूप से चलने-फिरने योग्य हो जाने पर आज 11 मार्च को वार्ड से छुट्टी दे दी गई। इसी के साथ अब संस्थान में लिवर प्रत्यारोपण सेवा नियमित रूप से शुरू कर दी गई है। इस प्रत्यारोपण की कुल लागत 15 लाख से कम आई है इसके लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं से सहयोग जुटाया गया।

यह जानकारी संस्थान द्वारा आज 11 मार्च को जारी विज्ञप्ति में देते हुए बताया गया है कि‍ गोरखपुर की रहने वाली 18 वर्षीय बालिका ऑटोइम्यून लिवर डिजीज से पीड़ित थी, मरीज को लिवर प्रत्यारोपण की आवश्यकता थी, ऐसे में मरीज की 26 वर्षीय बड़ी बहन, जिसके स्‍वयं की चार संतान हैं, ने अपनी बहन की जीवन की रक्षा के लिए अपने लि‍वर का बाया लोब प्रत्यारोपण के लिए दिया।

लिवर प्रत्यारोपण एसजीपीजीआई, लखनऊ की टीम ने इंस्टीट्यूट आफ लिवर एंड बिलिअरी साइंसेज आईएलबीएस नई दिल्ली की टीम के साथ मिलकर संयुक्त रूप से किया। ज्ञात हो संजय गांधी पीजीआई और इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलिअरी साइंसेज के बीच 2021 में इस संबंध में एक मेमो ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एम ओ यू) हस्ताक्षरित किया गया था। प्रत्यारोपण के लिए की गई सर्जरी में निदेशक व हेपेटोलॉजिस्ट प्रो आरके धीमन, डॉ आकाश राय, डॉ सुरेंद्र सिंह, सर्जिकल टीम में प्रो राजन सक्सेना, प्रो आरके सिंह, डॉ सुप्रिया शर्मा, डॉ राहुल और डॉ आशीष सिंह के साथ-साथ 9 सीनियर रेजिडेंट भी शामिल थे। इसके अतिरिक्त एनेस्‍थीसिया और क्रिटिकल केयर टीम के अंतर्गत प्रो देवेंद्र गुप्ता, डॉ दिव्या श्रीवास्तव, डॉ रफत शमीम, डॉ तापस सिंह व 8 सीनियर रेजिडेंट शामिल थे, जबकि पैथोलॉजी विभाग की ओर से डॉ नेहा निगम और माइक्रोबायोलॉजी विभाग की तरफ से प्रो आर एस के मारक, डॉ रिचा मिश्रा, डॉक्टर चिन्मय साहू ने अपना सहयोग प्रदान किया। एसजीपीजीआई की टीम के साथ दिल्ली स्थित आईएलबीएस की टीम में प्रोफेसर वी पमेचा के नेतृत्व में 6 सदस्य शामिल थे यह सर्जरी लगभग 15 घंटे चली। विज्ञप्ति में बताया है कि दोनों को ऑपरेशन के पश्चात सब कुछ ठीक होने पर सामान्य होने पर दसवें दिन छुट्टी दी गई बताया गया कि डिस्चार्ज में 4 दिन का विलंब सामाजिक कारणों से किया गया। इसके पश्चात आज लीवर प्रत्यारोपण कराने वाली रोगी को भी आज 11 मार्च को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस प्रत्यारोपण की सफलता का एक बड़ा श्रेय संस्थान के निदेशक प्रो आरके धीमन को जाता है, जिन्होंने पूर्ण प्रशासनिक सहयोग दि‍या, इसके साथ ही अस्पताल से संबंधित अन्य विभागों का भी सहयोग सराहनीय रहा, जिन्होंने बहुत ही कम समय में आवश्यक संयंत्रों और उपकरणों को उपलब्ध कराने में शीघ्रता दिखायी।

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